हमारा बेटा इंडियन आइडल बनेगा…हमें अपने बच्चे को टीवी के पर्दे पर देखना है. भारत में टीवी रिएलिटी शोज़ की Entry के साथ ही देश के बहुत से माता-पिता की आंखें ये ख़्वाब देखने लगी थीं.

हर मुश्किल का सामना करते हुए अपने सपने के पीछे भागने वाले लोगों को कड़ी मेहनत करते हुए ऑडिशन तक पहुंचने की कहानी, हमारी पलकों पर आंसू छोड़ जाती थी. भारतीय मध्यम वर्ग के दिलों में जगह बनाने का काम डांस, सिंगिंग, टैलेंट हंट जैसे रिएलिटी शोज़ ने बड़ी आसानी से किया.

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अब जब बड़ों के लिए रिएलिटी शोज़ थे, तो प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स ने बच्चों के लिए भी रिएलिटी शोज़ के कॉन्सेप्ट को भी हमारी ज़िन्दगी से जोड़ दिया.

छोटे से बच्चे को मुश्किल से मुश्किल सुर लगाते और Stand-up Comedy करते देखना किसे अच्छा नहीं लगेगा? बच्चों की हरकतें तो किसी को भी हंसा देती हैं, फिर ये तो Extra-Talented बच्चे हैं.

किसी बच्चे के दिल को छू लेने वाले Performance ने हमें भी रुलाया. पर क्या आप रूपहले पर्दे के पीछे की हक़ीक़त जानते हैं? पूरा Set-up हमें इस तरह से काबू कर लेता है कि हमारे दिमाग़ में ये बात आती ही नहीं कि ये सब एक नाटक का हिस्सा भी हो सकते हैं.

सेलेब्स से मिलने और टीवी पर आने का सपना कई बच्चों को रिएलिटी शोज़ तक तो खींच लाता है, पर रिएलिटी शोज़ के Dark Side से बहुत कम लोग ही वाकिफ़ होते हैं.

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स्क्रीनप्ले रायटर और डायरेक्टर अमोल गुप्ते ने रिएलटी टीवी शोज़ का काला चेहरा दुनिया के सामने लाया है. अमोल के अनुसार, ये शोज़ प्रतिभागियों के ज़िन्दगी में Success कम और हादसों का कारण ज़्यादा बनते हैं.

गुप्ते ने HT से बातचीत में कहा,

‘उन्हें दूर-दराज के इलाकों से मायानगरी मुंबई लाया जाता है और माता-पिता के साथ सस्ते होटल्स में ठहराया जाता है. हर सुबह उन्हें टीवी स्टूडियो तक Rehearsal के लिए जाना पड़ता है. उन्हें आम ज़िन्दगी से दूर, पूरी तरह से ख़ुद को रिएलिटी टीवी शो के सुपुर्द कर देना पड़ता है. उन्हें अनगिनत घंटों के लिए शूट करना पड़ता है, कभी-कभी तो बिना Airconditioned Rooms के. ये भयानक है.’

अमोल ने एक ऐसे बच्चे के बारे में बताया जिसने अपनी ज़िन्दगी बचाने के लिए शो छोड़ दिया था.

‘एक दृष्टिहीन बच्चा एक सिंगिंग कॉन्टेस्ट में सेलेक्ट हो गया और फ़ाइनल तक पहुंच गया. वो पूरे दिन Rehearsal करता और 1 बजे जब उसके रिकॉर्डिंग की बारी आई, तब उसकी आवाज़ ही चली गई. वो बच्चा अब पूरी ज़िन्दगी सदमे में गुज़ारेगा.’
The Storypedia

इन बच्चों पर जो प्रेशर होता है वो हम आप जैसे लोग सोच भी नहीं सकते. Make Up चेहरे के हर ग़म को छिपा देता है. दूसरे के Expectations को पूरा करते-करते ये बच्चे अपने ख़ुद के ही सपने खो देते हैं.

अमोल ख़ुद एक डायरेक्टर है और ऐड फ़िल्म शूट करते हैं, पर उन्होंने कहा कि वो बच्चों को Priority देते हैं और जब बच्चा तैयार हो, तभी शूट करते हैं.

‘बच्चे तभी शूट करते हैं जब उनका दिल करता है. उन पर कोई प्रेशर नहीं होता. मैंने देखा है कि बच्चे लंबे शूट्स के दौरान कितना थक जाते हैं. एक बार 2 साल के बच्चे के साथ Maggi का ऐड शूट कर रहे थे. रात बहुत हो चुकी थी, इसीलिये बच्चा सो गया और शूट रोकना पड़ा. बच्चे की मां उसे उठाने लगी, तो मैंने ही उसे रोका और कहा कि बच्चा अगर तैयार न हो तो शूट नहीं होगा, ज़रूरत पड़ने पर शूट कैंसल भी करवाया जा सकता है.’
IB Times

अमोल ने जो सच बयां किया है वो अंदर तक झकझोर देता है. इस पूरे System में बदलाव लाने पर ज़ोर देते हुए अमोल ने कहा,

‘हर कोई Victim है, माता-पिता भी. सरकार को इससे जुड़े कड़े नियम बनाने चाहिए. जब मैं Children’s Film Society का चेयरपर्सन था, तब मैंने एक नियम बनाया था, जिसके अनुसार बच्चे 5-6 घंटे से ज़्यादा शूट नहीं कर सकते. ये नियम आज भी है, पर कितने लोग हैं जो इस नियम का पालन करते हैं. इस मामले में सरकार को सख़्त नियम बनाने चाहिए.’

हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले में जल्द से जल्द कोई कदम उठाया जायेगा, सिर्फ़ उम्मीद ही कर सकते हैं.

Source: Scoop Whoop