बॉलीवुड (Bollywood) एक्टर जॉन अब्राहम (John Abraham) एक एक्शन सुपरस्टार हैं. हाल ही में रिलीज़ फ़िल्म अटैक (Attack) में भी भी एक्शन करते नज़र आ रहे हैं. दर्शकों को भी सुपर सोल्जर के क़िरदार में जॉन काफ़ी पसंद आ रहे हैं. मगर एक्शन हीरो बनना कोई आसान काम नहीं होता है. कई बार एक्टर्स की ज़िंदगी भी ख़तरे में पड़ जाती है. जॉन के साथ भी ऐसा हो चुका है. एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान जॉन के साथ ऐसा हादसा हुआ था कि उनका पैर काटने तक की नौबत आ गई थी.

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जी हां, ये शॉकिंग है, मगर सच है. इस बात का ख़ुलासा ख़ुद एक्टर ने एक इंटरव्यू के दौरान किया. उन्होंने बताया कि कैसे डॉक्टर उनका पैर काटने वाले थे. 

फ़ोर्स 2 (Force 2) के दौरान घुटने में लगी थी चोट

फ़ोर्स 2 (Force 2) साल 2016 में रिलीज़ हुई थी. ये फ़िल्म साल 2011 में आई फ़ोर्स का सीक्वल थी. इस फ़िल्म में एक स्टंट सीन शूट करते वक़्त जॉन के घुटने में चोट आ गई थी. उसके बाद उन्हें तीन सर्जरी से गुज़रना पड़ा था. यहां तक कि डॉक्टर्स उनका पैर भी काटने वाले थे.

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ETimes को दिए गए इंटरव्यू में एक्टर ने बताया, ‘कुछ स्टंट बहुत घातक होते हैं. मुझे याद है कि फ़ोर्स 2 के दौरान मैंने अपना घुटना तोड़ लिया था और मुझे तीन सर्जरी करानी पड़ी थी. मेरे दाहिने पैर में गैंग्रीन था और डॉक्टर मेरे पैर को काटना चाहते थे.

हालांकि, John Abraham ने डॉक्टर्स को ऐसा करने से साफ़ इन्कार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते.’ जॉन ने मुंबई के अपने सर्जन डॉ राजेश मनियर को शुक्रिया कहा, जिन्होंने उनका घुटना बचा लिया.

आज पहले से ज़्यादा फ़िट है जॉन अब्राहम (John Abraham)

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इस हादसे के बाद जॉन आज रिकवर हो चुके हैं. वो पहले से ज़्यादा फ़िट महसूस करते हैं. मगर अब वो ख़तरों को लेकर पहले से ज़्यादा जागरूक भी हैं. इस हादसे पर उन्होंने कहा, ‘ये क़रीब 7 साल पुरानी बात है. शुक्र है कि वो समय निकल गया. आज मैं चल पा रहा हूं, बैठ सकता हूं. आज मैं पहले से भी ज़्यादा लचीला और तेज़ हूं. मुझे एक्शन करना पसंद है. बेशक, मैं एक ब्रेक लेता हूं और कुछ अलग करता हूं, लेकिन मुझे एक्शन में वापस आना पसंद है.’

इसी के साथ जॉन ने कहा, ‘आपको सावधान रहने की ज़रूरत होती है. आपको सेट पर पांच लोगों के ये साबित करने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए कि आप यहां से वहां कूद सकते हैं. कभी-कभी आपको चोट लग जाती है और फिर आप ख़रतों के बारे में थोड़ा और जागरूक हो जाते हैं.’