Ek Chatur Naar Song Was Made From Three Different Songs: हिंदी म्यूज़िक इंडस्ट्री में कुछ एवरग्रीन गाने आजतक हमारे ज़ेहन में हैं. उनमें से एक गाना फ़िल्म ‘पड़ोसन 1968’ का ‘एक चतुर नार’ भी है. जिसका ज़िक्र अभी भी सिनेमा में किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, ये गाना तीन अन्य गानों को मिलाकर बना है? नहीं विश्वास तो आज हम आपको इस गाने के बनने की यूनिक कहानी के बारे में विस्तार से बताएंगे-

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चलिए नज़र डालते हैं किन गानों से मिलकर बना था हिंदी सिनेमा का पॉपुलर गाना ‘एक चतुर नार’-

फ़िल्म ‘पड़ोसन’ का गाना ‘एक चतुर नार’ गाना 50 साल पहले जितना मनोरजंक और हास्यपूर्ण था. उतना आज भी है. किशोर कुमार का मज़ाकियां अंदाज़, आर डी बर्मन का साथ, राजेंद्र कृष्ण की कलम का जादू और सुनील दत्त, मेहमूद और किशोर कुमार की शानदार टीम का बनाया ये गाना, एवरग्रीन है.

पर क्या आप जानते हैं कि ये गाना ओरिजिनल नहीं है? ये गाना चतुर दिमाग के किशोर कुमार ने 3 गानों को जोड़कर बनाया था!

एक चतुर नार करके श्रृंगार’ गाने का आलाप मूल रूप से किशोर के बड़े भाई अशोक कुमार से प्रेरित था. ज्ञान मुखर्जी की फ़िल्म ‘झूला’ (1941) में अशोक कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई थी और इस गाने को अपनी आवाज़ में गाया था.

जिसके बाद किशोर कुमार ने 27 साल बाद फिर एक बार ये गाना लेखक राजेंद्र कृष्ण के सामने लेकर आए और कहा कि अगर हम इस गाने की स्पीड और हास्यपूर्ण बना दें, तो ये गाना हिट हो सकता है. लेकिन इसका परिणाम कुछ ठीक निकल कर नहीं आया.

बाद में ‘एक चतुर नार’ गाने को बनाने में 1939 में रिलीज़ हुई जयंत देसाई की फ़िल्म ‘संत तुलसीराम’ के गाने का इस्तेमाल किया गया. जिसका नाम ‘बन चले राम रघुराई’ था. गाने के बोल को ‘अरे देखी तेरी चतुराई’ से बदला गया था. देखिये-

साथ ही आख़िरी भाग, शहीद लतीफ़ की फ़िल्म ‘ज़िद्दी 1948’ से लिया गया था. वहीं दूसरी तरफ़ उसी दौरान म्यूज़िक इंडस्ट्री के महानायक किशोर कुमार ने भी डेब्यू किया था. जिसमे सिंगर लता मंगेशकर जी भी शामिल थी.

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शहीद लतीफ़ की फ़िल्म ‘ज़िद्दी 1948’ से किशोर कुमार ने ‘चंदा रे जा रे जा रे’ वाली लाइन का इस्तेमाल किया था. जिसमें आरडी बर्मन, किशोर कुमार और राजेंद्र कृष्ण ने गाने के बोल बदलकर उसे ‘काला रे जा रे जा रे, अरे नाले में जाके तू मुंह धोके आ’ कर दिया.

भले ही एवरग्रीन गाने ‘एक चतुर नार’ को बनाने में 3 अलग-अलग गानों का इस्तेमाल हुआ. लेकिन किशोर कुमार और उनकी टीम की मेहनत रंग लाई. जिसे हिंदी सिनेमा हमेशा याद रखेगा!