‘कर चले हम फ़िदा…’, ‘लग जा गले कि फिर…’, ‘हुसन हाज़िर है…’, ‘दिल ढूंढता है…’ जैसे सैंकड़ों गीतों को अपने संगीत के ज़रिये हमेशा-हमेशा के लिए अमर कर दिया था ग्रेट म्यूज़िक डायरेक्टर मदन मोहन जी ने. 60 और 70 के दशक में उन्होंने ‘आंधी’, ‘मदहोश’, ‘अंज़ाम’, ‘लैला मजनू’, ‘हकीकत’, ‘मौसम’ जैसी कई सुपरहिट फ़िल्मों में संगीत दिया था.

वो एक न सिर्फ़ एक महान संगीतकार थे बल्कि एक अच्छे लेखक भी थे. उन्हें कई सुपरहिट ग़ज़लों को लिखने के लिए आज भी याद किया जाता है. मगर क्या आप जानते हैं वो मुंबई संगीतकार बनने नहीं, बल्कि एक्टर बनने आए थे. उन्हें ये मौक़ा मिला भी मगर बदकिस्मती से उनका ये सपना सच न हो सका.

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मदन मोहन के पिता मुंबई के बॉम्बे टॉकिज़ में मैनेजर का काम करते थे. उनकी जान-पहचान कई बड़े स्टार्स से थी. उस ज़माने के मशहूर स्टार राज कपूर से मदन की दोस्ती थी. मदन भी उनकी तरह बड़ा स्टार बनाना चाहते थे. लेकिन उनके पिता को ये मंजूर नहीं था. वो चाहते थे कि उनका बेटा फ़ौजी बने.

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मदन ने पिता के कहे अनुसार फ़ौज में दो साल तक काम भी किया मगर वो फिर नौकरी छोड़ लखनऊ चले आए. उनकी कुछ रूची संगीत में थी तो वो यहां ऑल इंडिया रेडियो में काम करने लगे. कुछ समय बाद वो मुंबई चले गए. यहां वो हीरो बनने की चाहत से आए थे. किंतु नियती को कुछ और ही मंजूर था. वो मुंबई में जहां ठहरे वहां वेटरन एक्ट्रेस नरगिस की मां जद्दन बाई का घर था.

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वो रोज़ शाम को उनका गाना सुनने जाया करते थे. चूंकि मदन की रूची संगीत में भी थी, वो उनसे संगीत सीखने लगे और आगे का हाल तो आपको पता ही है. रही बात एक्टर बनने की तो धर्मेंद्र की सुपरहिट फ़िल्म ‘हक़ीक़त’ में उन्हें ये मौक़ा मिला था. इस फ़िल्म से जुड़ा एक क़िस्सा फ़ेमस सिंगर भूपिंदर सिंह ने एक इंटरव्यू में सुनाया था.

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उन्होंने बताया कि इस फ़िल्म की शूटिंग के लद्दाख में चल रही थी. फ़िल्म के डायरेक्टर चेतन आनंद ने भूपिंदर और मदन को लद्दाख बुलाया था. इसके लिए दोनों मुंबई से रवाना हुए और श्रीनगर पहुंचे. मगर यहां मौसम ख़राब हो जाने के चलते दोनों को वहीं रुकना पड़ा. कई दिनों तक मौसम जब साफ़ नहीं हुआ तो मदन मुंबई चले आए. उन्हें मुंबई में कोई ज़रूरी काम करना था.

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मौसम साफ़ होने के बाद भूपिंदर लद्दाख पहुंचे तो उन्हें पता चला कि चेतन आनंद ने उन्हें फ़िल्म में काम करने के लिए बुलाया था. ये बात बाद में भूपिंदर ने मदन से शेयर की थी. मदन लद्दाख नहीं जा पाए तो चेतन आनंद ने वो रोल अपने भाई विजय आनंद से करवा लिया.

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अगर उस दिन मौसम ख़राब न हुआ होता और मदन मोहन मुंबई न गए होते तो शायद उनके एक्टर बनने का सपना भी पूरा हो जाता. मदन मोहन जी लाइफ़ से जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं.

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