Female Characters From Bollywood: कई बार ऐसा होता है कि फ़िल्मों के कोई किरदार देखो तो लगता है कि कहीं न कहीं वैसे किरदार हमारे अंदर है. पर्दे पर जितने भी किरदार देखने को मिलते हैं उनमें से कुछ फ़िक्शन होती हैं और कुछ नॉन फ़िक्शन, जो नॉन-फ़िक्शन होते हैं वो असली किरदार होते हैं. कहीं न कहीं उस तरह का इंसान इस समाज में रह रहा होता है. यही वजह कि फ़िल्मों को समाज और चरित्र का आईना कहा जाता है. इन्हीं फ़िल्मों के कई फ़ीमेल किरदार हैं, जो बहुत फ़ेमस हुए, जिनकी कॉपी असल ज़िदंगी में भी लड़कियों ने ख़ूब की या कहें कि वो हमारे दिल और दिमाग़ पर ऐसे बस गए कि हमें लगना लगा कि कहीं न कहीं वो हम ही हैं.
चलिए जानते हैं उन फ़ीमेल कैरेक्टर्स (Female Characters From Bollywood) के बारे में:
1. पीकू, दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone)
पीकू का किरदार दीपिका पादुकोण ने निभाया था, जो एक इंडिपेंडेंट लड़की थी और अपने बूढ़े पिता के लिए कुछ भी करने को तैयार थी. साथ ही, उसकी ज़िंदगी में शादी को लेकर भी काफ़ी उधेड़बुन चल रही थी. इस किरदार से बाकी लड़कियों की तरह मैंने ख़ुद को भी रिलेट किया. पीकू के पिता किरदार अमिताभ बच्चन ने निभाया था.
2. सफ़ीना, आलिया भट्ट (Alia Bhatt)
फ़िल्म गली बॉय में सफ़ीना का किरदार आलिया भट्ट ने निभाया था, जो एक अड़ियल और जुनूनी लड़की का था, जो अपने प्यार और करियर के लिए कुछ भी कर सकती है. वो अपने परिवार से अपने मुताबिक़ जीने के लिए लड़ती है और वो करके दिखाती है जो वो करना चाहती है. न जानें कितनी सफ़ीना परिवार की इस रूढ़िवादी सोच का समाना कर रही हैं और इससे आज़ाद होना भी चाहती हैं.
3. रेहाना आबिदी, प्लबिता बोरठाकुर (Plabita Borthakur)
फ़िल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्क़ा में रेहाना का किरादर प्लबिता बोरठाकुर ने निभाया था. ये एक ऐसी लड़की का किरदार था, जिसे अपने परिवार की थोपी हुई बातों में जीना नहीं आता था और वो इस नियंत्रण को तोड़कर इससे निकलना चाहती थी. उसका ग़ुस्सा बिल्कुल वैसा ही था, जैसा असल ज़िंदगी में 19 से 20-21 साल के बच्चे करते हैं.
4. कालिंदी, करीना कपूर ख़ान (Kareena Kapoor Khan)
फ़िल्म वीरे दी वेडिंग में कालिंदी का किरदार करीना कपूर ख़ान ने निभाया था. कालिंदी एक खुले विचारों की आज के ज़माने की लड़की थी जो ज़िंदगी को जीना चाहती हैं शादी करना चाहती है और इस बात को वो एक्सेप्ट भी करती हैं. हालांकि, हमारे समाज में एक लड़की का अपनी ही को लेकर एक्साइटेड होना बदतमीज़ी और बेशर्मी माना जाता है और लड़के ऐसा कर सकते हैं उन्हें कोई बेशर्म नहीं कहता, जबकि एक शादी में लड़का और लड़की की बराबर की भागीदारी होती है. कालिंदी उसी सोच को चैलेंज देती है और अपनी ज़िंदगी जीती है.
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5. रानी, कंगना रनौत (Kangana Ranaut)
फ़िल्म क्वीन में रानी का किरदार कंगना रनौत ने निभाया था. रानी एक शर्मीली लड़की का किरदार था, जो घर की चाहरदीवारी में ख़ुद को सुरक्षित महसूस करती है. घरवालों के लिए शादी भी करने को तैयार होती है, लेकिन दूल्हे के शादी में से मना करने पर उसके व्यक्तित्व में एकदम से बदलाव आता है और वो अपने हनीमून पर अकेले निकल जाती है, जो उस रानी से बिल्कुल अलग होता है, जिसे हम फ़िल्म में शुरू में देखते हैं. वो रोती नहीं है टूटती नहीं है, बल्कि आत्मविश्वास के साथ खड़ी होती है और परिस्थितियों को मुंहतोड़ जवाब देकर ज़िंदगी जीती है. ऐसा हर लड़की को करना चाहिए.
6. कायरा, आलिया भट्ट (Alia Bhatt)
फ़िल्म डियर ज़िंदगी में कायरा का किरदार आलिया भट्ट ने निभाया था, जिससे आज की हर लड़की रिलेट करेगी. कायरा की ही तरह आज लड़कियां रिलेशनशिप हो या ज़िंदगी, जॉब हो या घर हर जगह कुछ अच्छा तो करना चाहती है, लेकिन कंफ़्यूज़ रहती है.आज की भागती ज़िंदगी में ये फ़िल्म एक ठहराव का काम करती है.
7. विजयलक्ष्मी, लीसा हेडन (Lisa Haydon)
फ़िल्म क्वीन में लीसा हेडन ने विजयलक्ष्मी का किरदार निभाया था, जो रानी यानि कंगना की दोस्त थी और एक सिंगल मदर भी. ये किरदार बहुत ही इंस्पायरिंग था क्योंकि विजयलक्ष्मी ख़ुद की ज़िंदगी में मुसीबतों से उलझ रही थी, लेकिन अन्य महिलाओं को प्रोत्साहित करती थी.
8. डॉली, डॉली आहलूवालिया (Dolly Ahluwalia)
फ़िल्म विकी डोनर में डॉली का किरदार डॉली आहलूवालिया ने निभाया था, जो एक यथार्थवादी मां थीं और अपने पति की मृत्यु के बाद अपने परिवार को आर्थिक और भावनात्मक दोनों तरफह से संभालती है. साथ ही, कभी-कभी अपनी सास के साथ शराब भी पीती थी और फिर भी, उसे अपनी भावी बहू के तलाक़शुदा होने और उसके बेटे के स्पर्म डोनर होने पर आपत्ति थी. जैसे कहीं न कहीं असल ज़िंदगी में भी कुछ मांएं ऐसी होती हैं.
9. देवी, ऋचा चड्ढा (Richa Chadha)
फ़िल्म मसान एक ऐसी फ़िल्म थी समाज के अलग-अलग पहलुओं को उजागर करती है. इसमें ऋचा चड्ढा के देवी किरदार ने उन भूमिकाओं पर सवाल उठाया जिनके लिए उनके पिता और समाज ने उन्हें मजबूर करते हैं. अपने प्रेमी की मौत के लिए ज़िम्मेदार ठहराये जाने पर भी उसने अपनी ज़िंदगी की सभी बाधाओं को दूर किया और आगे बढ़ने की सोची.
10. सुलु, विद्या बालन (Vidya Balan)
फ़िल्म सुलु में सुलु का किरदार विद्या बालन ने निभाया था और ये किरदार समाज के लिए एक सवाल उठाता है कि क्यों महिलाओं से हम सिर्फ़ घर, पति और बच्चों की देखभाल की उम्मीद रखते है? उसने कोई और आकांक्षा क्यों नहीं रखते हैं? मगर सुलु समाज और परिवार की रूढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए RJ का करियर चुनती है और अपना एक नाम बनाती है.
11. फ़लक, कीर्ति कुल्हारी (Kirti Kulhari)
समाज कितना भी आगे बढ़ जाए, लेकिन महिलाओं को कमाते तो आज भी पुरूष देख नहीं पाते हैं. आज भी वो पुरुषों की तरह अकेले पार्टी नहीं कर सकती न ही लड़कों के साथ पार्टी कर सकती हैं. बस ऐसा ही कुछ फ़िल्म में तीन लड़कियां करती हैं इन्हीं तीन लड़कियों में से एक फ़लक है, जिसका किरदार कीर्ती कुल्हारी ने निभाया है. फ़लक जो पारिवारिक परस्थितियों से गुज़रते हुए कोर्ट-कचहरी की मुसीबत का भी सामना करती है.
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12. कालिंदी, राधिका आप्टे (Radhika Apte)
फ़िल्म लस्ट स्टोरी में कालिंदी का किरदार राधिका आप्टे ने निभाया है, जो अपने वैवाहिक जीवन में उलझी हुई है साथ ही उसके आंतरिक आशांति न जाने कितनी ही लड़कियों के अंतर्मन को छूती है.
13. शशि, श्रीदेवी (Sridevi)
फ़िल्म इंग्लिश-विंग्लिश में शशि का किरदार दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी ने निभाया था, वो एक मां तीं, जिनसे सभी मांएं ख़ुद को कनेक्ट कर पाईं. जो कम पढ़े-लिखे होने के चलते बच्चों के बीच में अपनी पहचान को धुंधला होते देखती है और फिर इंग्लिश सीखती है, जिससे वो अपने बच्चों और पति के बीच अपनी एक पहचान बना लेती है.
14. नैना, दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone)
फ़िल्म ये जवानी है दीवानी में नैना का किरदार दीपिका पादुकोण ने निभाया था, जो एक पढ़ाकू और संस्कारी लड़की थी. दोस्तों के साथ ट्रिप पर जाती है, लेकिन ख़ुद को नहीं बदलती, उस लड़की के वैल्यूज़ उसके साथ चलती हैं. जिसने ये साबित किया कि, हम ज़िंदगी को अपनी तरीक़े से जी कर भी अपने वैल्यूज़ को ज़िंदा रख सकते हैं.
15. आयशा, कोणकोणा सेन शर्मा (Konkona Sen Sharma)
फ़िल्म वेक अप सिड में आयशा के किरदार कोणकोणासेन शर्मा ने निभाया था. आयशा एक ऐसी लड़की की कहानी थी, जो परिवार से संपन्न होते हुए भी अपने पैसे कमाना चाहती थी इंडिपेंडेंट बनना चाहती थी. इसलिए वो मुंबई जैसे शहर में राइटर बनने आती है और वो उसे पा भी लेती है. हर लड़की में एक आयशा है.
16. आयशा, प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra)
फ़िल्म दिल धड़कने दो में आयशा का किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया था, जो अपना बिज़नेस शुरू करती है और उसे सफलतापूर्वक चालती है उसमें अपने भाई से ज़्यादा अच्छे से बिज़नेस करने की समझ थी, लेकिन वो मां नहीं बनना चाहती है और ये एक मां की अपी चॉइस होती है कि वो मां बने या नहीं.
17. सुनीता, रत्ना पाठक शाह (Ratna Pathak Shah)
फ़िल्म Kapoor & Sons में रत्ना पाठक शाह ने सुनीता नाम की मां का किरदार निभाया था. सुनीता एक ऐसी मां थीं, जो अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकती हैं और अपने पति की बेवफ़ाई को भी पूरे सकारात्मक रूप से स्वीकार करती है.
18. रूमी, तापसी पन्नू (Taapsee Pannu)
फ़िल्म मनमर्ज़ियां में तापसी पन्नू ने रूमी का किरदार निभाया था, जो अपनी पुश्तैनी दुकान चलाती है और एक लड़के के प्यार में पागल है. रूमी के प्रेमी का किरदार विक्की कौशल ने निभाया था. हालांकि वो प्यार विक्की से करती है, लेकिन उसकी शादी अभिषेक बच्चन से हो जाती है, जो शादी के बाद भी अपने प्यार को भूलती नहीं है और उससे छुप-छुप कर मिलती है, जिसे अपनी ग़लती और इच्छा दोनों के बारे में अच्छे से पता है. हालांकि, समाज इस सोच की लड़की का विरोध करता है, लेकिन ये किरदार झूठ बोलकर नहीं, बल्कि डंके की चोट पर करता है.
19. बिट्टी, कृति सेनन (Kriti Sanon)
फ़िल्म बरेली की बर्फ़ी में बिट्टी का किरदार कृति सेनन ने निभाया था, जो अपने पिता की बेटी है और उसके सारे कामों का समर्थन उसकी मां से ज़्यादा उसके पिता करते हैं. बिट्टी का किरदार कभी भी लड़कों के साथ कॉम्पिटीशन करने वाला नहीं था, लेकिन उसकी हरकतों के चलते उसकी तुलना लड़कों से की जाती है. मगर देखें तो आज कई लड़कियां हैं, जो बिट्टी जैसी हैं.
20. गीत, करीना कपूर ख़ान (Kareena Kapoor Khan)
फ़िल्म जब वी मेट में गीत का किरदार करीना कपूर ख़ान ने निभाया था. ये किरदार एक ऐसी लड़की का था जिसके लिए प्यार ही सबकुछ है और वो प्यार के लिए घर से भी भाग जाती है, लेकिन उसका प्यार उसे नहीं अपनाता तो वो घर वापस आने की जगह कहीं चली जाती है और अपनी ज़िंदगी को जीने लगती है. हालांकि, गीत का किरदार बहुत बक-बक करने वाला था जो धोखा मिलने के बाद शांत हो जाती है.
21. बदरुनीसा शेख़, डार्लिंग्स (Darlings)
फ़िल्म डार्लिंग्स में आलिया भट्ट ने बदरुनीसा का किरदार निभाया था, जो घरेलू हिंसा सहती है और इसके चलते अपने बच्चे को भी खो देती है. अपने पति के सभी अत्याचारों को सहती है, लेकिन बच्चे को खोने का दर्द वो नहीं सह पाती और अपने पति के साथ वही करती है, जो वो उसके साथ करता है. बदरू उसे नींद की दवाइयां देती है और उसे जमकर मारती है. असल ज़िंदगी में भी अत्याच्र सहने की जगह उसका मुंहतोड़ जवाब देना ज़रूरी है.
इन सबसे आप ख़ुद को कितना रिलेट करती हैं?