Firsts Of Indian Cinema: भारत में बनी पहली फ़िल्म 1913 में रिलीज़ हुई थी. तब से अब तक 100 साल से अधिक का समय बीत चुका है. भारतीय सिनेमा ने ऐसे मील के पत्थर पार कर लिए हैं जिनकी कल्पना करना लगभग असंभव था.

यहां उन पहली फ़िल्मों की सूची दी गई है जिन्हें भारतीय सिनेमा ने इन सभी बीते वर्षों में धीरे-धीरे ही सही हासिल कर सिनेमा के लिहाज से महत्वपूर्ण पड़ाव पार किए.

Firsts Of Indian Cinema

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1. राजा हरिश्चंद्र (1913) – पहली भारतीय फ़िल्म

Raja Harishchandra
India Today

इस फ़िल्म ने भारतीय फ़िल्म उद्योग में एक ऐतिहासिक मापदंड स्थापित किया. फ़िल्म का केवल एक प्रिंट बनाया गया था और कोरोनेशन सिनेमैटोग्राफ़ में दिखाया गया था. ये एक व्यावसायिक सफलता थी और आज भारतीय सिनेमा को बनाने वाली हर चीज का मार्ग प्रशस्त करती है.

2. आलम आरा (1931)- पहली भारतीय टॉकी

Alam Ara
Mumbai Mirror

सिनेमा के माध्यम को एक आवाज़ देने वाली यानी पहली बोलती फ़िल्म थी ये. इसमें एक उम्रदराज राजा और उसकी दो प्रतिद्वंद्वी रानियों के बारे में एक काल्पनिक कहानी थी. कई चुनौतियों के कारण फ़िल्म को बनाने में महीनों लग गए.

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3. किसान कन्या (1937)- भारत की पहली रंगीन फ़िल्म

Kisan Kanya
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किसान कन्या 1937 की हिंदी सिने कलर फ़ीचर फ़िल्म थी, जिसे मोती बी. गिडवानी द्वारा निर्देशित और इम्पीरियल पिक्चर्स के अर्देशिर ईरानी द्वारा निर्मित किया गया था. ये फ़िल्म व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रही, लेकिन इसे देश की पहली रंगीन फ़िल्म के रूप में याद किया जाता है.

4. धूप छांव (1935)- पहला पार्श्व गीत

Dhoop Chhaon
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भारतीय सिनेमा में सबसे महत्वपूर्ण विकास में से एक पार्श्व गायन यानी प्लेबैक सिंगिंग का इस्तेमाल करना था. ‘धूप छांव’ (Dhoop Chhaon) फ़िल्म में प्लेबैक सिंगिंग की व्यवस्थित तकनीक का इस्तेमाल करने वाले राय चंद बोराल पहले व्यक्ति थे. इससे पहले, अभिनेता सेट पर लाइव गाते थे और वो संवादों की तरह ही रिकॉर्ड किया जाता था.

5. 1942: ए लव स्टोरी (1994)- पहली डॉल्बी साउंड फ़िल्म

1942: A Love Story
Prime Video

यही वो पहली भारतीय मूवी थी जिसमें डॉल्बी साउंड था. संगीतकार के रूप में आर.डी. बर्मन की ये आख़िरी फ़िल्म भी थी.

6. अपराधी (1931)- कृत्रिम रोशनी से शूट की जाने वाली पहली भारतीय फ़िल्म

Apradhi (1931)
Indian Film History

भारतीय सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक पी.सी. बरुआ को फ़िल्मांकन के दौरान कृत्रिम रोशनी का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने लंदन के एक स्टूडियो में प्रोडक्शन तकनीकों का अवलोकन किया और स्टूडियो में उपयोग होने वाले प्रकाश उपकरणों को ख़रीदा. उनके  उनके स्टूडियो में देबकी बोस द्वारा निर्देशित ‘अपराधी’ (Apradhi) देश की पहली फ़िल्म थी जिसे कृत्रिम रोशनी का उपयोग करके बनाया गया था. 

 7. संगम (1964)- विदेश में शूट होने वाली पहली फ़िल्म

Sangam (1964)
IMDb

राज कपूर की फ़िल्म ‘संगम’ (Sangam) के कई दृश्य यूरोप में फ़िल्माए गए थे. उस समय सिनेमा देखने वालों की केवल विदेशी लोकेशंस को चलचित्र में देखने के लिए कतार लगी रहती थी.

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8. आवारा (1951)- पहला ड्रीम सीक्वेंस

Awaara (1951)
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राज कपूर की क्लासिक फ़िल्म ‘आवारा’ (Awaara) के गाने ‘घर आया मेरा परदेसी’ में पहला ड्रीम सीक्वेंस था. वीडियो उस समय के लिए काफ़ी असली था.

9. रूप लेखा (1934)- फ़्लैशबैक वाली पहली भारतीय फ़िल्म

Rooplekha (1934)
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सिनेमाई कहानियों को कहने में फ़्लैशबैक हमेशा एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और इस तकनीक का उपयोग करने वाली पहली फ़िल्म पी.सी. बरुआ की ‘रूप लेखा’ (Roop Lekha) थी.

10. मार्तंड वर्मा (1933)- पहला ऑन-स्क्रीन चुंबन

Marthanda Varma (1933)
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दूसरी मलयालम फ़ीचर फ़िल्म ‘मार्तंड वर्मा’ (Marthanda Varma) 1933 में रिलीज़ हुई इसमें मुख्य पहला ऑन-स्क्रीन चुंबन दिखाया गया था. उसी साल के अंत में देविका रानी और हिमांशु राय ने हिंदी फ़िल्म ‘कर्मा’(Karma) में 4 मिनट का चुंबन किया था.

11. हंसते आंसू (1950)- A सर्टिफ़िकेट पाने वाली पहली भारतीय फ़िल्म

Hanste Aansoo (1950)
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दिसंबर 1949 में मूल भारतीय सिनेमैटोग्राफ़ अधिनियम (1918) में संशोधन के बाद मधुबाला और मोतीलाल अभिनीत हंसी आंसू ‘केवल वयस्कों के लिए’ प्रमाणन प्राप्त करने वाली पहली फ़िल्म बन गई.

12. भक्त विदुर (1921)- प्रतिबंध का सामना करने वाली पहली फ़िल्म

Bhakta Vidur (1921)
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कांजी भाई राठौड़ द्वारा निर्देशित ये फ़िल्म रौलट एक्ट (Rowlatt Act) के मद्देनज़र आई थी, जिसने भारतीय आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. ये पौराणिक रूपक उस समय के राजनीतिक मुद्दों से सीधे जुड़ा था और मद्रास और कराची में प्रतिबंधित कर दिया गया था.

13. माई डियर कुट्टीचाथन (1984) – पहली 3D फ़िल्म

My Dear Kuttichathan (1984)
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1984 में मलयालम फ़िल्म ‘माई डियर कुट्टीचाथन’ के साथ भारत को 3D मोशन पिक्चर्स से परिचित कराया गया था. इस फ़िल्म को 1998 में ‘छोटा चेतन’ (Chhota Chetan) के रूप में हिंदी में डब और रिलीज़ किया गया था. 

14. ताल (1998)- बीमाकृत होने वाली पहली फ़िल्म

Taal (1998)
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सुभाष घई को भारत में फ़िल्मों का बीमा कराने का चलन शुरू करने का श्रेय दिया जाता है और ‘ताल’ (Taal) 110 मिलियन की भारी राशि के लिए बीमाकृत होने वाली पहली बॉलीवुड फ़िल्म बन गई. पहली हिंदी फ़िल्म की रिलीज़ के लगभग 85 साल बाद.

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15. फातमा बेगम (1926)- बॉलीवुड की पहली महिला निर्देशक

Fatma Begum (1926)
Cinestaan

1926 में अभिनेत्री फातमा बेगम (Fatma Begum) कैमरे के पीछे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पहली महिला बनीं, जिन्होंने अपनी खु़द की प्रोडक्शन कंपनी Fatma Films की स्थापना की. बाद में उन्होंने ‘बुलबुल-ए-परस्तान’ (Bulbul-e-Parastan) का निर्देशन किया.

16. भानु अथैया (1983)- ऑस्कर जीतने वाले पहली भारतीय

Bhanu Athaiya (1983)
Asiana

ये दिग्गज कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर 1982 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘गांधी’ (Gandhi) के लिए प्रतिष्ठित अकादमी पुरस्कार जीतने वाले पहली भारतीय थी. ये पुरस्कार John Mollo के साथ साझा किया गया था.

17. सीता (1934)- भारतीय फ़िल्म के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार

Seeta (1934)
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देबाकी बोस द्वारा निर्देशित ‘सीता’ (Seeta) 1934 में वेनिस फ़िल्म फेस्टिवल में प्रीमियर होने वाली पहली भारतीय टॉकी फ़िल्म थी. दुर्गा खोटे और पृथ्वीराज कपूर की विशेषता वाली फ़िल्म ने Honorary Diploma जीता. इस तरह ये एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली पहली फ़िल्म बनी. 

18. लगे रहो मुन्ना भाई (2006)- संयुक्त राष्ट्र में प्रदर्शित होने वाली पहली भारतीय फ़िल्म

Lage Raho Munna Bhai (2006)
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राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ (Lage Raho Munna Bhai) 10 नवंबर 2006 को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में प्रदर्शित होने वाली पहली भारतीय फ़िल्म थी.  

19. नीचा नगर (1946) – कान फ़िल्म समारोह में पाल्मे डी’ओर जीतने वाली पहली फ़िल्म

Neecha Nagar (1946)
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चेतन आनंद द्वारा निर्देशित और इंडिया पिक्चर्स द्वारा निर्मित ‘नीचा नगर’ (Neecha Nagar) 1946 के कान फ़िल्म समारोह में Palme d`Or अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय फ़िल्म थी. फ़िल्म में अमीर और ग़रीब समाज की विपरीत तस्वीर पेश की गई है.

20. नौजवान (1937)- बिना गानों वाली पहली बोलती फ़िल्म

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1931 में रिलीज़ हुई पहली बोलती फ़िल्म के ठीक बाद गाने हिंदी फ़िल्मों का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए. जे.बी.एच वाडिया की ‘नौजवान’ (Naujawan) 1937 में रिलीज़ हुई और भारत की पहली गीत-रहित बोलती फ़िल्म बन गई. ये एक तेज़ गति वाली थ्रिलर मूवी थी, इसलिए इसमें कोई गीत शामिल नहीं किया गया था.

21. बिलात फेरत (1921)- प्रथम भारतीय सामाजिक व्यंग्य

Bilat Ferat (1921)
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‘बिलाट फेरत’ (Bilat Ferat) का अर्थ है ‘विदेशी लौटा’ और विदेशी का मतलब आमतौर पर उस समय इंग्लैंड था. ये फ़िल्म विदेशों से लौटने वाले भारतीयों और भारत में रूढ़िवादियों के विपरीत पश्चिम-समर्थक दृष्टिकोण अपनाने के बारे में थी जो परिवर्तन के विरोधी थे. इस बंगाली मूक फ़िल्म का निर्देशन एन.सी. लाहिड़ी और धीरेंद्र नाथ गांगुली ने किया था.

22. शिवाजी गणेशन (1964)- एक फ़िल्म में 9 भूमिकाएं निभाने वाले पहले अभिनेता

Sivaji Ganesan (1964)
Cinestaan

शिवाजी गणेशन (Sivaji Ganesan) को 9 अलग-अलग भूमिकाओं में अभिनीत फ़िल्म के लिए जाना जाता है. मूल भावनाएं- आश्चर्य, भय, करुणा, क्रोध, शांति, प्रेम, साहस, प्रतिकर्षण और खुशी. ‘नवरात्रि’ लगातार 9 रातों में इन 9 भावनाओं के अनुभव में नलिना (नारी नायक) का पता लगाती है. कमल हासन ने अपनी 2008 की फ़िल्म ‘दशावतारम’ (Dasavathaaram) में 10 अलग-अलग भूमिकाएं निभाकर इस रिकॉर्ड को तोड़ा.

23. यादें (1964)- एक ही अभिनेता के साथ शूट की जाने वाली पहली फ़िल्म

Yaadein
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‘यादें’ (Yaadein) का निर्देशन और निर्माण सुनील दत्त ने किया था जिसमें उन्होंने खु़द अभिनय भी किया था. फ़िल्म में एकमात्र अन्य अभिनेता नरगिस दत्त हैं वो भी अंतिम दृश्य में एक छायाचित्र में. ये फ़िल्म पहली बार भारतीय और विश्व सिनेमा में अपनी तरह की फ़िल्मों में से एक है क्योंकि इसमें केवल एक ही अभिनेता है और इसलिए इसे गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में ‘सबसे कम अभिनेता एक कथा फ़िल्म’ श्रेणी में दर्ज किया गया है.

24. किस्मत (1943)- मुख्य भूमिका में एक विरोधी नायक और दोहरी भूमिका वाली पहली फ़िल्म

Kismet (1943)
Cinestaan

मुख्य भूमिका में अशोक कुमार के साथ फ़िल्म भारतीय सिनेमा में पहली बार कुछ साहसिक विषयों के साथ आई जिसमें एक नायक-विरोधी चरित्र, दोहरी भूमिका और एक अविवाहित लड़की का गर्भवती होना दिखाया गया. ये फ़िल्म भारतीय सिनेमा की पहली ब्लॉकबस्टर फ़िल्म थी. इस फ़िल्म से परिवार के सदस्यों को खोया और पाया का चलन भी शुरू हुआ जो 90 के दशक तक जारी रहा.

25. लंका दहन (1917)- एक ही फ़िल्म में दो भूमिकाएं निभाने वाले पहले अभिनेता

Lanka Dahan (1917)
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दादासाहेब फाल्के (Dadasaheb Phalke) ने ‘राजा हरिश्चंद्र’ (Raja Harishchandra) में रानी तारामती की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अन्ना सालुंके को ‘लंका दहन’ (Lanka Dahan) में दो रोल करने दिए. अन्ना सालुंके ने फ़िल्म में राम और सीता दोनों की भूमिका निभाई थी.