Friendship Day 2021: कोरोनाकाल में क्या होली-दीवाली और क्या फ़्रेंडशिप डे (Friendship Day). इन दिनों हाल-चाल लेने के लिये दोस्त फ़ोन कर दें वही काफ़ी है. वरना घर में रह-रह कर सारे दोस्त आलसी हो चुके हैं. एक तो भगवान ने पहले ही सारे निकम्मे दोस्ते भेजे थे. ऊपर से कोरोना ने उन्हें और आलसी बना दिया. सच में ये जिगरी और हाथ में हाथ मिल कर चलने वाले दोस्तों की कहानियां न फ़िल्मों तक ही ठीक लगती है.

हम पूरा जग भी घूम आयेंगे, फिर भी अभिनय की दुनिया जैसे दोस्त कतई न मिलेंगे.  

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1. ‘दोस्ती’  

‘दोस्ती’ पर आधारित फ़िल्म 1964 में रिलीज़ हुई थी, जिसमें रामू और मोहन नामक दो जिगरी दोस्तों की कहानी थी. रामू और मोहन दोनों ही विकलांग होते हैं. एक-दूसरे से मिलने के बाद उन्हें अपनी क़ाबिलियत का एहसास होता है और दोनों साथ मिलकर काम करने लगते हैं. दोनों एक-दूसरे के लिये कई त्याग भी करते हैं.  

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2. ‘शोले’ 

‘शोले’ बॉलीवुड की यादगार फ़िल्मों में से एक है. सालों बाद भी लोग जय-वीरू के किरदार को नहीं भूल पाये हैं. कितनी बार लोगों को कहते सुना है वो देखो जय-वीरू आ रहे हैं, लेकिन सच यही है कि ऐसी दोस्ती बस ‘शोले’ जैसी फ़िल्मों तक ही होती है.  

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3. ‘अंदाज़ अपना अपना’ 

फ़िल्म में अमर और प्रेम की दोस्ती और शरारतों ने दर्शकों का दिल जीत लिया था. काश रियल लाइफ़ में हमारे पास भी कोई ऐसा दोस्त होता.

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4. ‘दिल चाहता है’  

दोस्ती को क़रीब से समझना हो, तो सैफ़ अली ख़ान, अक्षय खन्ना और आमिर ख़ान स्टारर फ़िल्म ‘दिल चाहता है’ ज़रूर देखियेगा. 3 युवा दोस्तों की कहानी देखने के बाद आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, लेकिन प्लीज़ असल ज़िंदगी में ऐसे दोस्तों की उम्मीद भी मत करना.  

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5. ‘मुन्ना भाई MBBS’ 

‘मुन्ना भाई MBBS’ देखने के बाद हर कोई बस यही सोच रहा था कि काश उसकी ज़िंदगी में भी सर्किट होता, लेकिन भूलिये मत वो फ़िल्म है दोस्तों.  

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6. ‘रॉक ऑन’ 

चार दोस्तों की ज़िंदगी पर आधारित इस फ़िल्म आपको दोस्ती, प्यार और तकरार सब देखने को मिलेगी. अगर कुछ नहीं देखने को मिलेगा, तो वो है रियल लाइफ़ में ऐसी फ़िल्मी दोस्ती.  

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7. ‘वीरे दी वेडिंग’ 

फ़िल्म में कालिंदी, अवनी, साक्षी और मीरा की दोस्ती देखने के बाद लगता है कि यार अगर लाइफ़ में ऐसे दोस्त हों न, तो बॉयफ़्रेंड और पति की ज़रूरत किसे है. पर वही बात है न रियल लाइफ़ में बॉयफ़्रेंड मिलने के बाद दोस्त, दोस्त कहां रहती है.  

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8. ‘डोर’ 

नागेश कुक्कुनूर की इस फ़िल्म में ज़ीनत अपना मतलब निकालने के लिये मीरा से दोस्ती करती है. वहीं बाद में दोनों एक-दूसरे की बेस्ट फ्रेंड बन जाती हैं. इन दोनों की दोस्ती काफ़ी सुकून देने वाली थी. पर सच बतायें, तो असल ज़िंदगी में बिना मतलब के दोस्ती दिखती ही कहां है. 

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9. काय पो छे!

‘काय पो छे’ तीन दोस्तों की ज़िंदगी पर आधारित फ़िल्म है. गोविंद, ईशान और ओमी जो अहमदाबाद में रहते हैं. तीनों दोस्त मिल कर एक खेल अकादमी शुरु करने की प्लानिंग करते हैं और यहीं से कहानी में ट्विस्ट शुरु होता है.

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10. ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा

अगर फ़्रेंडशिप डे पर दोस्तों के साथ मिल कर फ़िल्म देखने की प्लानिंग में लगे हैं, तो इसे ज़रूर देख डालियेगा. तीन दोस्तों की मस्ती, लड़ाई-झगड़े और ग़लतफ़हमियां देख कर अच्छा लगेगा, लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसे दोस्तों की उम्मीद मत करना. 

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11. याराना

दोस्ती की बात हो और ‘यराना’ फ़िल्म का ‘तेरे जैसा यार कहां…’ गाना न चले हो ही नहीं सकता. फ़िल्म में बिशन और किशन की ख़ूबसूरत दोस्ती देख कर दर्शकों की आंखें भर आईं थीं. एक ओर जहां बिशन, किशन को सिंगर बनने में मदद करता है. वहीं किशन भी अपने दोस्त के लिये हर वक़्त खड़ा रहता है.  

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भाई ये फ़िल्में देखने बाद हमने भी ऐसे दोस्तों की कल्पना की थी, लेकिन अब तक नहीं मिले. आपको मिले हैं, तो कमेंट में दोस्तों को टैग करके उन्हें Happy Firendship Day! कह दो.