ऐसा कम ही होता है कि फ़िल्मों में पॉपुलर कोई एक्टर, टीवी पर भी अपना जादू बिखेर दे. अगर वो रेडियो में कुछ बोले, तो मंत्रमुग्ध कर दे और थिएटर में कोई रोल पकड़े, तो आप उसे भूल न पाएं.

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रेडियो पर आजकल आप उन्हें 92.7 BIG FM के शो, ‘सुहाना सफ़र विद अन्नू कपूर’ में सुन रहे होंगे, जिसमें वो 1950 से लेकर 1980 तक भारतीय सिनेमा की सबसे चर्चित कहानियों लोगों के सामने लेकर आते हैं. उनके शो का कॉन्टेंट भी नया नहीं है, न ही शो का फॉर्मेट नया है. इस शो के हिट होने की सबसे बड़ी वजह है अन्नू साहब का कहानी बताने का तरीका, उनका अंदाज़े-बयां.

भाषा पर उनकी मज़बूत पकड़ और बेहतरीन प्रेज़ेन्टेशन स्टाइल उन्हें एक अच्छा होस्ट बनाता है. इसके पीछे एक वजह, उनका कला और संगीत से जुड़ा होना है. अनु कपूर के पिता एक पारसी थिएटर कंपनी के मालिक थे और उनकी मां एक अच्छी कवियत्री थीं, जो शास्त्रीय संगीत में परिपूर्ण थीं.

फ़िल्म और टीवी इंडस्ट्री में अपने लगभग 30 सालों में अन्नू कपूर वो नाम बन कर सामने आये हैं, जिसकी पकड़ अगर टीवी पर है, तो उसका जादू फ़िल्मों में भी उतना ही है.

अंताक्षरी

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सास-बहू सीरियल के आने से पहले जिस शो की TRP कभी नहीं गिरी, वो था म्यूज़िकल शो, अंताक्षरी. अन्नू कपूर आज भी अंताक्षरी को अपने दिल के करीब मानते हैं, इस शो ने ही उन्हें सबसे बड़ी पहचान दिलाई थी. उनकी को-होस्ट पल्लवी जोशी, रागेश्वरी सचदेव, रेणुका शहाणे, दुर्गा जसराज रहीं. 

हम सभी को आज भी शो की तीन टीमों के नाम याद हैं, दीवाने, परवाने, मस्ताने. ये तीनों टीमें आपस में तीन राउंड्स में प्रतियोगिता करती थीं – धुन, प्रील्यूड और रीमिक्स. इस शो से मिली पहचान को अन्नू कपूर आज भी याद रखते हैं. उन्होंने अंताक्षरी को फिर से ज़िन्दा करने के लिए दोबारा प्रयास किये थे, पर TRP की दौड़ में ये शो शायद सास-बहू सीरियल से काफ़ी पीछे रह जाए.

शक्ल देख कर स्पर्म पहचानने वाला डॉक्टर चड्ढा

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अन्नू कपूर ने कई यादगार फ़िल्मों में काम किया है, पर उनके कुछ कैरेक्टर ऐसे भी थे, जो फ़िल्मों से बड़े हो गए. विकी डोनर के ‘डॉ. बलदेव चड्ढा’ को शायद ही कोई भूला हो. अन्नू साहब ने जिस तरह से चड्ढा के किरदार का रंग चढ़ा लिया था, उसे सीखने में कईयों को उम्र लग जाती है. 

जिस तरह उन्होंने दिल्ली की पंजाबी पकड़ी थी, उसने इस किरदार को रीयलिस्टिक बना दिया. फ़िल्म देखने के बाद सच में लगा था कि लाजपत नगर के पास सच में किसी डॉक्टर की दुकान होगी, जो लोगों को पकड़-पकड़ कर स्पर्म डोनेट करवाता होगा.

सुहाना सफ़र विद अन्नू कपूर

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रेडियो में सबसे ज़्यादा चर्चित वो ही शो हुए हैं, जिनमें RJ या Announcer ने श्रोताओं को बांध के रखा हो. चाहे वो अमीन सायानी का बिनाका गीतमाला हो, या फिर नीलेश मिस्रा का ‘यादों का इडियट बॉक्स’, या फिर अनु जी का शो, ‘सुहाना सफ़र विद अन्नू कपूर’, इनकी ख़ासियत थी इनके RJs के बात करने, अपने लिसनर को बांध कर रखने की कला. यही वजह है कि अन्नू कपूर का शो अपने शानदार 4 साल पूरे कर चुका है.

 

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अन्नू कपूर उन अभिनेताओं में से एक रहे हैं, जिन्होंने खुद किसी एक फॉर्मेट या किसी एक तरह के किरदार में नहीं रहने दिया. उनको जब मौका मिलता, वो एक्सपेरिमेंट करते हैं, नए-नए तरीकों से अपनी अदाएगी को निखारने कि कोशिश करते हैं. 

Featured Image Source: Santa Banta