Guess the film which was based on the story of three brothers : बॉलीवुड में ऐसी कई फ़िल्में रही हैं, जिन्हें आज तक लोग याद करते हैं. उनके ना ही सिर्फ़ एक्टर दमदार थे, बल्कि उनकी स्टोरीलाइन भी ग़ज़ब की थी. ‘शोले’ (Sholay), ‘मुग़ल-ए-आज़म’, ‘नया दौर’ ये सारी मूवीज़ उन तमाम फ़िल्मों में शामिल हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही फ़िल्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको अपने दौर की आइकॉनिक मूवीज़ में से एक कहा जाता है. इसकी गिनती बॉलीवुड की एवरग्रीन फ़िल्मों में की जाती है.

आपको यहां तक ये बात भी नहीं पता होगी कि इस फ़िल्म के डायलॉग ख़ुद दिवंगत एक्टर कादर ख़ान ने लिखे थे. साथ ही वो इस फ़िल्म के स्क्रिप्ट राइटर और एक्टर भी थे. 1977 में आई इस मूवी को मनमोहन देसाई ने डायरेक्ट किया था.

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क्या थी इस फ़िल्म की कहानी?

ये एक एक्शन-कॉमेडी फ़िल्म थी, जिसमें अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), ऋषि कपूर (Rishi Kapoor), विनोद खन्ना (Vinod Khanna), परवीन बाबी, नीतू कपूर और शबाना आजमी (Shabana Azmi) लीड रोल में थे. ये बचपन में बिछड़े 3 भाइयों की कहानी है. जिसमें तीनों भाई को अलग-अलग धर्मों के परिवार वाले ले जाते हैं. इसके बाद तीनों भाई हिंदू, मुस्लिम और ईसाई परिवारों में पलते-बढ़ते हैं. अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, विनोद खन्ना ने इन बिछड़े हुए भाइयों का रोल किया था.

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अखबार से मिला था फ़िल्म को बनाने का आइडिया

इस फ़िल्म को बनाने का आइडिया उनके निर्देशक का अपना नहीं था, बल्कि ये उन्हें एक अखबार से मिला था. अखबार में एक ख़बर छपी थी, जिसे पढ़कर मनमोहन देसाई हैरान रह गए थे. ख़बर थी कि एक आदमी अपने 3 बेटों को पार्क में छोड़कर भाग गया है और तीनों ही बच्चे छोटे हैं और उनके पिता ने उन्हें वहां छोड़कर आत्महत्या कर ली. ये खबर मनमोहन के जहन में बस गई. उन्होंने अपने दोस्त और लेखक प्रयाग राज को बताते हुए कहा, “अगर वो आदमी खुदकुशी नहीं करता और वापस आकर देखता कि उसके तीनों बच्चें वहां नहीं हैं तो? उससे भी आगे अगर उन तीनों बच्चों को अलग अलग आदमी ले जाए, एक हिंदू, एक मुस्लिम और एक ईसाई तो क्या होता?‘ यहीं से उन्हें फ़िल्म बनाने का आईडिया आया.

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कितना था फ़िल्म का बजट?

हम जिस फ़िल्म की बात कर रहे हैं, उसका नाम ‘अमर अकबर एंथनी’ (Amar Akbar Anthony). इस फ़िल्म को बनाने में मनमोहन देसाई (Manmohan Desai) का प्रयागराज ने भरपूर साथ दिया. उन्होंने कहा कि इन बच्चों का क्या होगा ये तो कोई नहीं बता सकता. लेकिन तुम पर्दे पर इन बच्चों को लेकर इनकी किस्मत लिख सकते हो. इस फ़िल्म की कहानी प्रयाग राज, कादर खान और केके शुक्ल ने मिलकर लिखी थी. कहानी के साथ ही मूवी के किरदार और गाने लोगों ने काफी पसंद किए थे. इसे 1 करोड़ रुपए के बजट में बनाया गया था. इस फ़िल्म ने भारत में 7.20 करोड़ रुपए और वर्ल्डवाइड 15.50 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था.

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