1965 में एक फ़िल्म आई थी, जिसने पूरे हिंदुस्तान में धूम मचा दी थी. ये हिंदुस्तान की पहली ऐसी फ़िल्म थी जिसे हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में बनाया गया था. बात हो रही है इंडस्ट्री के सदाबहार हीरो देवानंद की सुपरहिट फ़िल्म गाइड की.

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गाइड फ़िल्म की कहानी जितनी कमाल की थी उतने ही शानदार इसके गाने थे. इसके गाने गाता रहे मेरा दिल’, आज फिर जीने की तमन्ना है, क्या से क्या हो गया, पिया तो से नैना लागे. आज भी रेडियो, टीवी और इंटरनेट पर सुनाई देते हैं. आज हम आपको इस फ़िल्म से जुड़ा एक ऐसा क़िस्सा बताने जा रहे हैं, जो जुड़ा है इसकी रिलीज़िंग से.

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दरअसल, हुआ यूं के इस फ़िल्म का एक सीन सेंसर बोर्ड की आंखों में खटकने लगा था. इसलिए उन्होंने इसे रिलीज़ करने से रोक दिया था. फिर क्या हुआ आइए जानते हैं. इस फ़िल्म की चर्चा 1962 में बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में हुई थी. यहां देवानंद साहब भी पहुंचे थे. उनके साथ फ़िल्म बनाना चाहते थे हॉलीवुड डायरेक्टर Danielewski और अमेरिकन लेखक Pearl S. Buck. ये दोनों एक प्रोडक्शन हाउस के मालिक थे. 

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देव साहब से बात हुई और आर. के. नारायण के नॉवल ‘गाइड’ पर फ़िल्म बनाने पर सहमत हो गए. इसके साथ देवानंद जी ने एक शर्त ये रखी कि इसे हिंदी में भी बनाया जाएगा, जिसकी स्क्रिप्ट वो अपने हिसाब से रखेंगे. सारे पक्ष राज़ी हो गए और दोनों फ़िल्म भी बनकर तैयार हो गईं. जब इसका हिंदी वर्ज़न सेंसर बोर्ड के पास गया तो वहां ये एक सीन की वजह से अटक गई.

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इस सीन में वहीदा रहमान का पति गांव की एक लड़की का रेप करने की कोशिश करता है. सेंसर बोर्ड ने इसे हटाने के लिए फ़िल्म डायरेक्टर विजय आनंद को कहा. मगर विजय आनंद नहीं माने, क्योंकि ये सीन फ़िल्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण था. इसी वजह से फ़िल्म की कहानी आगे बढ़ती है. (राजू गाइड के साथ एक्ट्रेस के प्यार की कहानी शुरू होती है.)

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जब सेंसर बोर्ड नहीं माना तो देवानंद जी ने तत्कालीन सूचना एंव प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी को अप्रोच किया. उन्होंने इस फ़िल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग अपने ऑफ़िस पर रखी. इस स्पेशल स्क्रीनिंग में देवानंद और इंदिरा गांधी ही मौजूद थे. उन्होंने पूरी फ़िल्म देखी, जब वो सीन आया जिस पर सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी, इंदिरा जी ने पीछे मुड़कर देवानंद जी को देखा और कहा-’आप कल आइए और आपकी इस फ़िल्म को क्लीयरेंस मिल जाएगी.’

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इस तरह इंदिरा गांधी जी के अप्रूवल के बाद ‘गाइड’ का रिलीज़ होने का रास्ता साफ़ हुआ. 1965 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म को दर्शकों ने ख़ूब पसंद किया था. आज इस फ़िल्म की गिनती हिंदी सिनेमा की कल्ट पिक्चर्स में की जाती है. वहीं इंग्लिश वर्ज़न कब आया और कब चला गया पता ही नहीं चला.

गाइड से जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं.


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