सपनों की नगरी मुंबई में हर रोज़ हज़ारों कलाकार अपने सपनों को पूरा करने आते हैं, लेकिन सपने सच किसी-किसी के ही हो पाते हैं. बॉलीवुड जितनी तेज़ी से किसी कलाकार को रातों रात स्टार बनाता है उतनी ही तेज़ी से उसे ज़मीन पर भी ला देता है.

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साल 2011 में अक्षय कुमार की एक फ़िल्म आई थी ‘पटियाला हाउस’. इस फ़िल्म में उनके साथ सवी सिद्धू ने भी काम किया था. ये कलाकार इन दिनों पाई-पाई को मोहताज़ है. सवी को अपना घर चलाने के लिए मजबूरन सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ रही है. 

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सवी सिद्धू का असली नाम त्रिलोचन सिंह है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अनुराग कश्यप की फ़िल्म ‘पांच’ से की थी. ये फ़िल्म अब तक रिलीज़ नहीं हो पायी. सवी ने इसके बाद अनुराग कश्यप की दो बेहतरीन फ़िल्मों ‘गुलाल’ और ‘ब्लैक फ़्राइडे’ में काम किया. आयुष्मान खुराना के साथ ‘बेवकूफ़ियां’ में भी काम किया. साथ ही ‘डी-डे’ और ‘एस्केप फ़्रॉम तालिबान’ जैसी फ़िल्मों में भी दिखे थे.

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सवी ने यशराज और सुभाष घई के मुक्ता आर्ट्स जैसे बड़े बैनर की फ़िल्मों में भी कई अहम किरदार निभाए, लेकिन आज इस कलाकार को 12 घंटे वाली सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ रही है. 

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सवी मूलतः पंजाब के रहने वाले हैं. शुरुआती पढ़ाई लखनऊ से पूरी करने के बाद वो ग्रेजुएशन करने चंडीगढ़ चले गए. पढ़ाई के दौरान ही सवी को मॉडलिंग के ऑफ़र मिलने लगे. इसके बाद वो लॉ करने लखनऊ लौट आए और साथ ही थिएटर भी करने लगे. कुछ साल थिएटर करने के बाद उनके बचपन का शौक उन्हें मुंबई खींच लाया.  

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‘फ़िल्मी कंपैनियन’ से बातचीत के दौरान सवी ने कहा कि ‘मैंने कई बड़े डायरेक्टर के साथ काम किया. मुंबई में जहां एक्टर्स को काम नहीं मिलता वहीं मेरे पास काम की कोई कमी नहीं थी. फ़ैमिली और हेल्थ प्रॉब्लम बढ़ने के चलते मुझे मजबूरन काम छोड़ना पड़ा. फ़िल्मों से दूरी बनाई तो पैसे की कमी होने लगी, इसलिए मजबूरी में गार्ड की नौकरी करनी पड़ रही है’.  

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सवी आगे बताते हैं कि ‘सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी काफ़ी मुश्किल होती है. सुबह 8 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक काम करना होता है. इसके बाद घर पहुंचकर ख़ुद ही खाना बनाना पड़ता है, फिर सुबह जल्दी उठकर काम पर आना होता है’. 

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सवी ने बताया कि उनकी ज़िंदगी का सबसे मुश्किल दौर तब था जब उन्होंने अपनी पत्नी को खोया. इसके कुछ समय बाद ही उनके माता-पिता और सास-ससुर भी चल बसे. इतने लोगों का एकसाथ चले जाने से वो बिल्कुल अकेले पड़ गए. यही उनकी बीमारी का कारण भी बना.  

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प्रोड्यूसर्स से मिलने के सवाल पर सवी कहते हैं कि ‘अभी मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं बस का किराया देकर किसी प्रोड्यूसर-डायरेक्टर से मिल सकूं. फ़िल्में देखने का तो बहुत मन करता है लेकिन पैसे ही नहीं हैं. अब बस कोशिश यही है कि गार्ड की नौकरी करके थोड़े पैसे इकट्ठे कर लूं फिर काम को लेकर प्रोड्यूसर्स लोगों से मुलाक़ात करूंगा. मुझे पहले भी हमेशा पॉजिटिव रिस्पॉन्स ही मिला था उम्मीद है कि वो मुझे अब भी काम ज़रूर देंगे’. 

‘वो मेरा इंतज़ार कर रहे हैं मैं जल्द आ रहा हूं’.