मुंबई का कार्टर रोड आज महानगर की सबसे पॉश जगहों में से एक है. कई फ़िल्मी सितारे यहां पर बसते हैं. लेकिन हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के शुरुआती दिनों में यहां पर पारसियों और एंग्लो-इंडियन कम्युनिटी के बंगले थे. 1950 के दशक में बस दो ऐसे बड़े बंगले थे जो फिल्मी हस्तियों के थे. पहला संगीतकार नौशाद के पास ‘आशियाना’ था. वहीं, दूसरा ‘आशीर्वाद’ के नाम से फ़ेमस बंगला, जिसकी कहानी आज हम आपको बताने वाले हैं. (Haunted Aashirwad Bungalow Housed Three Bollywood Superstars)
शापित और हॉन्टेड बंगले की कहानी
Cursed Bungalow Of Bollywood Superstars: दो मंज़िला सी फ़ेसिंग ये बंगला एक एंग्लो-इंडियन परिवार के पास था. फिर 1950 के दशक की शुरुआत में एक्टर भारत भूषण ने इसे ख़रीद लिया. भारत भूषण को 50 के दशक में ‘बैजू बावरा’, ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’, ‘गेटवे ऑफ़ इंडिया’ और ‘बरसात की रात’ जैसी हिट फ़िल्मों से बड़ी सफलता मिली.
लेकिन दशक के अंत तक उनकी फ़िल्में फ्लॉप होने लगीं और वे भारी कर्ज में डूब गये. इसके बाद उन्हें बंगला छोड़ना पड़ा, जो जर्जर हो गया. तब ऐसी कहानियां सामने आने लगीं कि ये बंगला शापित या हॉन्टेड है और जो कोई भी इसमें रहेगा, वो बर्बाद हो जाएगा.
राजेंद्र कुमार ने इस बंगले का नाम रखा ‘डिंपल’
1960 के दशक में उभरते अभिनेता राजेंद्र कुमार को इस बंगले के बारे में पता चला. इसकी हालत और इसके आसपास की कहानियों के कारण ये महज़ 60,000 रुपये की मामूली कीमत पर बिक रहा था. घर के लिए ज़रूरी रकम जुटाने के लिए राजेंद्र कुमार ने तुरंत बीआर चोपड़ा के साथ तीन फ़िल्मों की डील साइन की और यहां आ गए. उन्होंने बंगले का नाम अपनी बेटी के नाम पर ‘डिंपल’ रखा.
दोस्त मनोज कुमार की सलाह पर उन्होंने घर के कथित अभिशाप से बचने के लिए यहां पूजा कराई. ये घर अभिनेता के लिए पहले तो भाग्यशाली साबित हुआ क्योंकि उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्में दीं और उन्हें ‘जुबली कुमार’ के नाम से जाना जाने लगा. मगर भारत भूषण की तरह राजेंद्र कुमार की किस्मत भी बदल गई.
1968-69 के आसपास, उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल होने लगीं और वो वित्तीय संकट में पड़ गए. उसके बाद वो सपोर्टिंग रोल करने लगे और आख़िर में उन्हें भी घर बेचने को मजबूर होना पड़ा.
राजेश खन्ना ने ‘डिंपल’ को बनाया ‘आशीर्वाद’
70 के दशक में इस घर को एक और उभरते अभिनेता राजेश खन्ना ने खरीदा था. बहुत जल्द, राजेश खन्ना को नया सुपरस्टार कहा जाने लगा. उन्होंने 70 के दशक की शुरुआत में रिकॉर्ड लगातार 17 हिट फ़िल्में दीं और स्क्रीन आइडल बन गए. उनका बंगला, जिसे अब ‘आशीर्वाद’ कहा जाता है, मुंबई में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया.
मगर राजेश खन्ना के साथ भी वही हुआ, जो उनसे पहले इस बंंगले में रहने वाले दो सुपरस्टार्स के साथ हुआ था. राजेश खन्ना का बेहद नाटकीय पतन हुआ. 70 के दशक के अंत तक उनकी फ़िल्मों ने काम करना बंद कर दिया था. उनकी जगह अमिताभ बच्चन ने बॉलीवुड में नंबर एक अभिनेता के रूप में ले ली थी, और वो आर्थिक और व्यक्तिगत रूप से भी संघर्ष कर रहे थे.
उनकी पत्नी डिंपल उन्हें छोड़कर अपने बच्चों को अपने साथ ले गईं और सफलता भी राजेश खन्ना से दूर हो गई. हालात यहां तक पहुंच गए कि उनके पास कोई काम नहीं रह गया. उस वक़्त राजेश खन्ना आशीर्वाद की जगह अपने लिंकिंग रोड वाले ऑफ़िस में ज़्यादा समय बिताने लगे. हालांकि, उन्होंने बंगला बेचा नहीं और आख़िर तक यहीं पर रहे.
बता दें, 2014 में ये बंगला एक उद्योगपति को 90 करोड़ रुपये में बेच दिया गया था. फरवरी 2016 में नए मालिक ने बंगले को तोड़ दिया. इसके साथ ही ये फ़ेमस बंगला हमेशा के लिए ख़त्म हो गया.
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