लेख में Spoilers हैं.

2018 में कान्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाए जाने के बाद, रोहेना गेरा की Is Love Enough Sir नेटफ़्लिक्स पर रिलीज़ हो गई. गेरा की इस फ़िल्म को दुनियाभर में दिखाया गया है. अगर आप नेटफ़्लिक्स पर चुनिंदा कन्टेंट देखते हैं, अंग्रेज़ी वेब सीरीज़ बिंज वॉच करते हैं और हिंदी को ब्राउज़ भी नहीं करते, ऐसे में भी हम आपसे कहेंगे कि ये एक ऐसी हिन्दी फ़िल्म है जो आपको ज़रूर देखनी चाहिए.  

Cinestaan

विवेक गोम्बर, तिलोत्तमा सोम और मराठी एक्ट्रेस, गीतांजलि कुलकर्णी की ये फ़िल्म 20 मार्च 2020 को रिलीज़ होने वाली थी. पैंडमिक की वजह से फ़िल्म की रिलीज़ टली, बीते 9 जनवरी को ये नेटफ़्लिक्स पर रिलीज़ की गई. इस फ़िल्म का ट्रेलर देखने के बाद, सच कह रहे हैं कई दफ़ा इसे ऑनलाइन ढूंढा लेकिन ये कहीं नहीं मिली. अक्सर बेहद सुंदर कहानियों की पाइरेटेड कॉपीज़ भी नहीं मिलती.  

Indulge Express

फ़िल्म में तिलोत्तमा (रत्ना) ने एक विधवा मेड का और गौरव (अश्विन, सर) ने उसके एम्प्लोयर का किरदार निभाया है. फ़िल्म की शुरुआत में ही ये साफ़ हो जाता है कि विवेक की शादी होने वाली थी और वो पत्नी के साथ रहना वाला था, इन दोनों की मेड होती रत्ना. शादी नहीं हुई लेकिन मेड ने नौकरी नहीं छोड़ी. अश्विन अपनी ज़िन्दगी नॉर्मली जीने की कोशिश करता है और रत्ना इसमें उसकी सहायता करती है. रत्ना को एक पुरुष के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं होती क्योंकि उसका मकसद है अपने पैरों पर खड़े होना, अपनी बहन को अच्छी ज़िन्दगी देना.  

99 मिनट की इस फ़िल्म में एक ऐसी प्रेम कहानी जो आमतौर पर कम ही देखने को मिलती है. प्रेम जैसे सरल लेकिन कठिन भावना को बेहद सुंदर तरीके से इस फ़िल्म में दिखाया गया है. 

कुछ कारण जिस वजह से आपको ये फ़िल्म देखनी चाहिए-

1. रत्ना का चुड़ियां पहनना

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रत्ना एक विधवा है. गांव में पली-बढ़ी, बयाही रत्ना शहर आकर भी गांव की पाबंदियों पर ही जीती है. गांव में विधवाएं चुड़ियां नहीं पहनती. शहर आकर, ख़ुद से पैसे कमाने के बावजूद, रत्ना अपनी ज़िन्दगी की डोर भी ख़ुद थामती है और चुड़ियां पहनना शुरू करती है. 

2. सपनों की तरफ़ एक क़दम

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रत्ना बातचीत में ही अश्विन से कहती है कि उसे फ़ैशन डिज़ाइनर बनना था. सिलाई सीखने के लिए रत्ना एक दर्ज़ी के पास भी जाती है. दर्ज़ी उसे छोटे-मोटे काम देता है, जैसे-सफ़ाई करना, मैचिंग कपड़ा, लेस आदि लाना. एक दिन रत्ना के सब्र का बांध टूटता है और वो दर्ज़ी की दुकान से निकल आती है. 

3. जब रत्ना अश्विन का पक्ष लेती है

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फ़िल्म के शुरुआत से ही, वॉचमैन, ड्राइवर की बात-चीत आदि से ये साफ़ हो जाता है कि अश्विन की शादी टूट गई है. अश्विन अपनी Ex मंगेतर से बात-चीत नहीं करना चाहता और उसका फ़ोन इग्नोर करता है. एक सीन में रत्ना देर से घर लौटती है और अश्विन घर पर बैठा हुआ है, तभी उसका मोबाईल बजता है पर वो नहीं उठाता. इसके बाद लैंडलाइन पर फ़ोन आता है और रत्ना उठाती है, रत्ना फ़ोन पर कह देती है कि सर घर पर नहीं है और फ़ोन रखकर गये हैं.

4. जब अश्विन रत्ना का पक्ष लेता है

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अश्विन अमेरिका में रहता था, उसके भाई राहुल की तबियत ख़राब होने की वजह से उसे वापस आना पड़ता है. अश्विन के घर पर हाउस पार्टी के दौरान रत्ना से एक महिला की ड्रेस पर वाइन गिर जाती है. वो महिला रत्ना को काफ़ी भला-बुरा कहती है, अश्विन रत्ना का पक्ष लेता है. अक्सर काम करने वाले लोगों के साथ उनके एम्प्लॉयर्स बुरा बरताव करते हैं. ये सीन उन सब पर एक तंज है. 

5. अश्विन का रत्ना को घर चलने के लिए पूछना

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अश्विन की मां के घर पर पार्टी है, जहां रत्ना सबको खाना सर्व कर रही है. रत्ना बाद में बाकी नौकरों के साथ किचन में खाना खाती है और वहां अश्विन आ जाता है और उसे घर चलने के लिए पूछता है. रत्ना मना कर देती है. अश्विन, मनसूर से रत्ना को ड्रॉप करने को कहता है. इसके बाद बाकी नौकर, रत्ना का मज़ाक उड़ाते हैं. इस सीन में ये क्लियर हो जाता है कि अश्विन रत्ना की परवाह करने लगता है, बिना कुछ सोचे-समझे. 

6. जब रत्ना अश्विन को अपनी ‘Secret जगह’ पर ले जाती है

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रत्ना और अश्विन एक इंटीमेंट पल शेयर करते हैं, इसके बाद रत्ना को तुरंत रिग्रेट होता है क्योंकि उसे लोग क्या सोचेंगे ये फ़र्क़ पड़ता है. रत्ना, अश्विन को अपनी सिक्रेट जगह पर ले जाती है जहां दोनों मौन होकर शहर को देखते हैं. गणपति विसर्जन का शोर, हवा, लाइट इस सीन में सब परफ़ेक्ट है. आमतौर पर प्यार के इज़हार के बाद फ़िल्मों में जो नज़र आता है, इस सीन में सबकुछ बेहद अलग, बेहद रियल है. 

7. रत्ना सर को अश्विन कहती है

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ये एक सीन, कई प्रेम पत्र, कई गीत और कई शेरों के बराबर ही लगती है. फ़िल्म में कई बार अश्विन रत्ना से कहता है ‘मुझे सर मत बुलाओ’ और आख़िर में उसी Secret जगह पर खड़े होकर, रत्ना सर को अश्विन कहकर बुलाती है.

फ़िल्म में कई सीन्स में क्लास डिवाइड अच्छे से दर्शाया गया है लेकिन कोई भी सीन ऐसा नहीं है जहां लोगों की ग़रीबी को देखकर ज़्यादा हमदर्दी महसूस हो या अमीरों की हरकतों को देखकर ज़्यादा ग़ुस्सा आये. ऐसा लगता है, सब माप-तौल कर थोड़ा-थोड़ा ऐड करके ये फ़िल्म तैयार की गई है. 

पेशकश कैसी लगी कमेंट बॉक्स में बताइए, अगर आपने फ़िल्म देख ली है फ़िल्म देखकर आपको कैसा लगा ये भी हमारे साथ साझा कर सकते हैं.