Hiralal Thakur Biography : दिल में एक्टिंग का जूनून रखने वाले लोग अक्सर हीरो बनने का सपना देखते हैं. शायद ही इक्का-दुक्का ऐसा कोई आपको मिल जाएगा, जो ये कहे कि उसकी फ़िल्मों में विलेन बनने की चाहत है. पर क्या आप जानते हैं कि भारतीय सिनेमा के पहले विलेन बने एक्टर हीरालाल ठाकुर (Hiralal Thakur) बचपन से ही हीरो नहीं बल्कि विलेन बनना चाहते थे? वो हीरालाल ही थे, जिन्होंने फ़िल्मों में विलेन वाले किरदारों की शुरुआत की थी.  

आइए आपको साइलेंट फ़िल्मों से अपनी शुरुआत करने वाले हिंदुस्तान के सबसे पहले विलेन बने एक्टर हीरालाल ठाकुर के बारे में बताते हैं. 

1912 में हुआ था जन्म

हीरालाल का जन्म लाहौर में 1912 में सुंदरदास ठाकुर के घर हुआ था. बचपन से ही उन्हें एक्टिंग में दिलचस्पी थी. एक्टिंग की ओर रुझान उनका तब और बढ़ गया, जब वो थोड़े बड़े होने पर अपने माता-पिता के साथ रामलीला देखने जाने लगे. उन्हें रामलीला का सबसे ज्यादा कैरेक्टर ‘रावण’ पसंद था, जो किसी से भी ना डरे. तभी से हीरालाल ने तय कर लिया था कि वो हीरो नहीं बल्कि विलेन बनेंगे. 

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1928 में किया फ़िल्मों में डेब्यू

जिस वक़्त हीरालाल ने फ़िल्मों में एंट्री ली, उस वक़्त साइलेंट फ़िल्मों का दौर था. उन्होंने शंकरदेव आर्या की फ़िल्म ‘डॉटर्स ऑफ टुडे’ से एक्टिंग डेब्यू किया था. इसके बाद 1930 में जब वो 16 साल के थे, तब लाहौर में पहली मूक फ़िल्म ‘सफ़दर जंग’ बनाई जा रही थी. इसमें पहली बार विलेन दिखाया गया और वो विलेन थे हीरालाल ठाकुर. फ़िल्म सुपरहिट साबित हुई, जिसने हीरालाल को टॉप एक्टर्स की लिस्ट में लाकर खड़ा कर दिया. 

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कई फ़िल्में हुई सुपरहिट

इस फ़िल्म के हिट होने के बाद हीरालाल का डायरेक्टर्स पर जादू चल गया. फ़िल्ममेकर्स उन्हें अपनी फ़िल्म में लेने के लिए बेताब रहते थे. उस दौरान मूवीज़ मुंबई में नहीं, बल्कि कोलकाता में बनती थीं. हीरालाल ठाकुर ने 1945 में दर्पण रानी से शादी कर ली और भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद कोलकाता आकर बस गए थे, क्योंकि लाहौर फ़िल्म इंडस्ट्री उतनी डेवलप नहीं थी. 

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अपने करियर में डेढ़ सौ से ज़्यादा फ़िल्मों में किया काम 

हीरालाल को बॉलीवुड में पहली बार मौका 1951 में फ़िल्म ‘बादल‘ से मिला. इसमें उनके अपोज़िट मधुबाला थीं. हीरालाल को एक के बाद एक खूंखार खलनायकों के रोल मिलते गए. इसके बाद हीरालाल ठाकुर ने सुपरहिट फ़िल्मों की तो जैसे लाइन लगा दी. इसमें ‘औरत’, ‘गुमनाम’, ‘अमर प्रेम’, ‘यहूदी की लड़की‘ आदि मूवीज़ शामिल हैं. पांच दशक से भी लंबे करियर में हीरालाल ठाकुर ने डेढ़ सौ से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया था.

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देश की आज़ादी में भी दिया योगदान

मूवीज़ में कदम रखने से पहले हीरालाल ठाकुर देश की आज़ादी के आन्दोलन में भी सक्रिय थे. वो भगत सिंह के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई का अहम हिस्सा रहे. वो मात्र 14 साल में ही इंडियन नेशनल कांग्रेस के एक्टिविस्ट बन गए थे. इसके बाद वो लाला लाजपत राय और भगत सिंह के साथ भी जुड़े. 1981 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके 6 बच्चे थे, जिसमें से एक एक्टर इंदर कुमार एक्टिंग की दुनिया में बाद में आए. वो एक फ़ैशन डिज़ाइनर भी थे. उन्होंने ‘नदिया के पार‘ फ़िल्म में काम किया था. लेकिन 35 साल की उम्र में एक प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो गई थी.

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