बॉक्स ऑफ़िस को अगर फ़िल्मों का माई-बाप कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा क्योंकि यही वो जगह है जो फ़िल्मों के बारे में बताती है. फ़िल्म अच्छी है या बुरी. कमाई करेगी या नहीं. ये बॉक्स ऑफ़िस बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों जगह होता है. आप भी फ़िल्मो के बॉक्स ऑफ़िस के हिसाब से ही जज करते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई? समय के साथ-साथ इसमें क्या बदलाव हुए क्योंकि इसके शुरुआती दौर का हाल अब के समय से अलग है.
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बॉक्स ऑफ़िस की शुरुआत कहां से हुई?
बॉक्स ऑफ़िस की शुरुआत 1786 में हुई, तब थिएटर में कुछ वीआईपी सीट्स होती थीं और टिकट बेचने के लिए भी थिएटर के आस पास ही बॉक्स की तरह के स्टॉल बनाए जाते थे, जहां से टिकट ख़रीदी की जाती थी. इसकी शुरुआत तो हो गई थी, लेकिन इसे नाम नहीं मिला था. इसके नाम को लेकर कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में इंग्लैंड के एलिज़ाबेथ थिएटर में जो भी आमदनी होती थी उसे एक बॉक्स में रखा जाता था, इसी वजह से इसका नाम बॉक्स ऑफ़िस पड़ा.
बॉक्स ऑफ़िस में हुआ बड़ा बदलाव
इसकी शुरुआत के बाद धीरे-धीरे इसके काम के तरीक़ों में बदलाव किया गया. उत्तरी अमेरिका में जो भी फ़िल्में रिलीज़ होती थीं उनक कमाई को दो हिस्सों में बांटा जाता था. पहला हिस्सा, युनाइटेड स्टेट और कनाडा में रिलीज़ हुई फ़िल्मों से आता था, जिसे डोमेस्टिक कलेक्शन कहते थे. वहीं, दूसरा हिस्सा विदेश में रिलीज़ होने वाली फ़िल्मों की कमाई का होता था, जिसे फ़ॉरेन बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन कहा जाता था.
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कम्प्यूटर से कलेक्शन की शुरुआत कब हुई?
1960 में अमेरिका से कम्प्यूटर के ज़रिए बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन का रिकॉर्ड रखने की शुरुआत की गई. जिसके लिए IBM System/360 कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया गया. 1 जनवरी 1968 में अमेरिका के 24 शहरों में रिलीज़ होने वाली फ़िल्मों का रिकॉर्ड इसी कम्प्यूटर में रखा गया.
अब डिजिटल हो गया बॉक्स ऑफ़िस
अब बॉक्स ऑफ़िस की रिपोर्ट के लिए कहीं जाना नहीं पड़ता है क्योंकि सब डिजिटल जो हो गया है. इसलिए अब एक क्लिक पर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से पूरी रिपोर्ट जान सकते हैं, जिनमें बॉक्स ऑफ़िस, बॉक्स ऑफ़िस मोजो, अ बॉक्स ऑफ़िस, बॉक्स ऑफ़िस इंडिया, कोईमोई और शोबिज़ डाटा जैसी कई वेबसाइट्स शामिल हैं, जहां फ़िल्मों की कमाई का सारा डाटा उपलब्ध है. इसके ज़रिए आप फ़िल्मों के रिलीज़ होने के दिन से लेकर उनके लाइफ़टाइम तक की पूरी रिपोर्ट ले सकते हैं.