जया बच्चन भले ही आजकल राजनीति में सक्रीय हों, लेकिन उनकी गिनती हिंदी सिनेमा की टैलेंटेड अभिनेत्रियों में की जाती है. उन्होंने 1963 में फ़ेमस डायरेक्टर सत्यजीत रे की बांग्ला फ़िल्म महानगर से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की थी. उनकी पहली हिंदी फ़िल्म गुड्डी थी. इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट हिंदी फ़िल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया. इनमें ‘चुपके-चुपके’, ‘गुड्डी’, ‘बावर्ची’, ‘सिलसिला’, ‘शोले’, ‘अभिमान’, ‘मिली’, ‘परिचय’, ‘शोर’, ‘कभी खुशी कभी गम’ जैसी फ़िल्मों के नाम शामिल हैं.

जया बच्चन ने 3 जून 1973 को अमिताभ बच्चन से शादी की थी. मगर इनकी शादी एक शर्त पर हुई थी, वो क्या थी, चलिए इससे जुड़ा दिलचस्प क़िस्सा आपको भी बता देते हैं. 

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अमिताभ और जया बच्चन की पहली मुलाकात फ़िल्म गुड्डी के सेट पर हुई थी. इस फ़िल्म के निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने दोनों का परिचय करवाया था. हांलाकि, इससे पहले जया अमिताभ को पुणे के फ़िल्म इंस्टीट्यूट में देख चुकी थीं. मगर तब दोनों में कोई बात नहीं हुई थी. इस मुलाकात के बाद दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे.

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जया जब फ़िल्म बावर्ची की शूटिंग कर रही थीं, तब अमिताभ अकसर उनसे मिलने वहां पहुंच जाते थे. इस तरह उनका प्यार परवान चढ़ने लगा. मगर अमिताभ का करियर कुछ ठीक नहीं चल रहा था, जबकि जया ख़ुद को एक अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर चुकी थीं. तब दोनों ने फ़िल्म ज़ंजीर में साथ काम किया. साथ काम करने के दौरान अमिताभ और पूरी फ़िल्म के क्रू ने ये तय किया था कि अगर फ़िल्म हिट होगी तो सभी लंदन घूमने जाएंगे.

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फ़िल्म रिलीज़ हुई और हिट भी हो गई. सभी लोग लंदन जाने की तैयारी करने लगे, जिसमें जया बच्चन भी शामिल थीं. ये बात जब अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन को पता चली तो, उन्होंने अमिताभ के सामने एक शर्त रख दी. वो ये कि अगर दोनों को साथ लंदन जाना है तो उससे पहले शादी करनी होगी, वरना वो लंदन नहीं जा सकते. ये बात अमिताभ ने जया को बताई तब दोनों ने तय किया कि शादी के बाद ही वो लंदन जाएंगे. 

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इस तरह एक दिन के अंदर ही शादी के सब इंतज़ाम किए गए और एक सादे समारोह में दोनों की शादी संपन्न हुई.इसके बाद दोनों लंदन निकल गए. शादी के बाद भी जया बच्चन ने फ़िल्मों में काम करना जारी रखा. मगर एक दिन उनकी बेटी श्वेता ने एक ऐसी बात कह दी कि जिसके बाद उन्होंने फ़िल्मों से किनारा कर लिया. बात उन दिनों की है जब जया सिलसिला फ़िल्म की शूटिंग कर रही थीं. 

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तब श्वेता ने उनसे कहा कि ‘आप हमारे साथ वक़्त क्यों नहीं गुज़ारतीं, काम सिर्फ़ पापा को करने दो ना.’

अपनी बेटी की ये बात सुन जया ने ये फ़ैसला किया था कि वो अपने बच्चों की देखभाल करेंगी और फ़िल्मों में काम नहीं करेंगी. कई सालों के ब्रेक के बाद उन्होंने 1998 में फ़िल्म हज़ार चौरासी की मां से फ़िल्मों में कमबैक किया था.

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