फ़िल्म चांदनी, हीरोइन श्रीदेवी और मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां हैं… थोड़ा ठहरो सजन मजबूरियां हैं… 1989 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म के इस गाने पर तब से लेकर आज भी शादी-ब्याह में लेडीज़ संगीत में लड़कियां नाचती ज़रूर हैं. मैंने भी इस गाने पर ख़ूब डांस किया है. और आगे भी लोग इस गाने को शादी-ब्याह के मौके पर बजाते आएंगे. सच बताऊं तो इसी गाने से मैंने जाना था कि श्रीदेवी कितनी बड़ी स्टार है और वो दिन था और आज का दिन वो हमेशा मेरी फेवरेट स्टार रही हैं और रहेंगे. इस गाने पर सबको नाचने पर मजबूर करने वाली श्रीदेवी एक ऐसी अदाकारा जिसने अपने चुलबुले अंदाज़, गंभीर अभिनय, मधुर आवाज़ से हर किसी को अपना दीवाना बनाया आज हमारे बीच नहीं हैं.

मैं भी बचपन से उनकी फ़िल्में देखती आयी हूं, हर फिल्म में वो कुछ अलग ही अंदाज़ में नज़ार आती हैं. फिर चाहे उनकी फ़िल्म चालबाज़ में उनका डबल रोल में नज़र आना हो, या चांदनी में अपनी खूबसूरती से लोगों को अपना दीवाना बनाना हो. हर रोल में वो परफ़ेक्ट नज़र आयीं और अपने किरदार में जान डाल दी.

मैं जब भी उनकी फ़िल्में पहले दिखती थी या आज भी देखती हूं, तो उनको देखती ही रह जाती हूं. गज़ब की खूसूरत उनकी आंखें, उनका आकर्षक व्यक्तित्व की मैं हमेशा से फ़ैन रही हूं. शायद इसी वजह से लाखों-करोड़ों लोग श्रीदेवी के फ़ैन हैं. तभी तो बॉलीवुड में भी लोगों ने उनको ‘रूप की रानी’ का टाइटल दे दिया.

जब मैंने फ़िल्म चालबाज़ देखी थी, तो मैं उनके चुलबुले अंदाज़ की कायल हो गई थी. और उनके स्टाइल को भी फ़ॉलो करने लगी थी. उनका वहीं चुलबुलापन फ़िल्म लम्हे में भी नज़र आया था. उनका ये मस्तीभरा अंदाज़ साबित करता था कि असल ज़िन्दगी में भी वो ऐसी ही बिंदास होंगी.

अगर बात करें उनकी नृत्य कला की तो चाहे ‘नागिन’ का मैं तेरी दुश्मन का नागिन डांस, ‘चांदनी’ का मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां हैं का शरारत भरा डांस, ‘लम्हे’ का मोरनी बागा में डोले का राजस्थानी अंदाज़ का डांस, या फिर ‘मिस्टर इंडिया’ का काटे नहीं कटते ये दिन ये रात का सेंशुअस अंदाज़ या हवा हवाई गाना…हर गाने में उन्होंने जो जादू बिखेरा है वो कोई और कर ही नहीं सकता.

चार साल की उम्र में स्कूल की सीढ़ियां चढ़ने के बजाये स्टूडियो की दहलीज़ पर कदम रखने वाली श्रीदेवी ने अपनी फ़िल्मी करियर में जो मुक़ाम हासिल किया वो हर किसी को मुक्कमल नहीं होता. और इसके लिए सारा क्रेडिट मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ श्रीदेवी की ख़ूबसूरती, संजीदा अभिनय, उनकी नृत्य कला, मस्तीभरा अंदाज़ और उनके बेहतरीन अभिनय को ही दूंगी.

ये उनकी अदाकारी और लोगों का उनके प्रति प्यार ही था कि शादी के बाद अपने परिवार को संभालने के लिए बॉलीवुड को अलविदा कहने वाली श्रीदेवी ने जब 2012 में इंग्लिश-विंग्लिश के ज़रिये अपने रूप और ग्लैमर के साथ कमबैक किया तो उनके चाहने वालों ने उनको बहुत सराहा और उनकी फ़िल्म 100 करोड़ के क्लब में पहुंच गई.

पर पीढ़ियां बदल गयीं, लेकिन श्रीदेवी आज तक हर दिल अजीज़ थीं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1967 में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की, पर बतौर लीड हीरोइन उन्होंने 1978 की फिल्म सोलहवां सावन से अपने करियर में कदम बढ़ाया. 90 के दशक में उनकी फिल्मों ने जैसे लोगों को पागल ही कर दिया था, हर किसी की पहली पसंद थीं श्रीदेवी. अगर श्रीदेवी के बारे में ये कहा जाए कि वो दर्शकों को केवल हंसाना ही नहीं, बल्कि रुलाना भी जानते थीं. और इस बात को साबित करती हैं उनकी सदमा, चालबाज़, चांदनी, लम्हे, ख़ुदा गवाह, जुदाई, मिस्टर इंडिया जैसे उनकी कई सुपरहिट फ़िल्में.
बीते शनिवार दुबई में दिल का दौरा पड़ने से 54 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. इस ख़बर ने फ़िल्म जगत समेत पूरे देश को गमगीन कर दिया. इस खबर ने सबको गहरा सदमा दिया है.

वैसे तो दुनिया को अलविदा कहने की उनकी उम्र नहीं थी, पर वो कहते हैं न कि जिसने दुनिया में जन्म लिया है वो एक दिन जाएगा ही, पर कब और कैसे ये किसी को नहीं पता. इसी के साथ मैं बस इतना कहना चाहूंगी कि श्रीदेवी तुमको कोई नहीं भूलेगा, तुम हमेशा याद आओगी. अलविदा श्रीदेवी!