Illogical Bollywood Movies: पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड (Bollywood) अपने कंटेंट में थोड़ा प्रोग्रेसिव होता दिख रहा है. हालांकि, दिक्कत ये है कि कई सारी हिंदी फ़िल्में जो सोशल इश्यूज़ पर आधारित होती हैं, वो बिना उस विषय को सही तरीक़े से पढ़े उस पर फ़िल्म बना देती हैं. या फिर हॉलीवुड या साउथ की फ़िल्मों का रीमेक बनाने पर ज़ोर दे रही हैं. यही वजह है कि धीरे-धीरे ऑडियंस की दिलचस्पी बॉलीवुड की ओर कम होती जा रही है. इसका मुख्य कारण ओरिजिनल कंटेंट की कमी और अपने विषय पर रिसर्च का अभाव हो सकता है.
आइए आपको बताते हैं उन 10 फ़िल्मों के बारे में, जिन्होंने कुछ अलग कंटेंट पेश करने की कोशिश की, लेकिन लॉजिक (Illogical Bollywood Movies) लगाने के मामले में वो फ़ेल हो गए.
Illogical Bollywood Movies
1. अकीरा
इस फ़िल्म में सोनाक्षी सिन्हा ने लीड रोल निभाया था. एक अच्छी फ़िल्म बनाने के लिए जो कुछ भी चाहिए होता है, वो सब इस मूवी में था. लेकिन, बुरी डायरेक्टिंग, बुरी एक्टिंग और अविश्वसनीय रूप से हास्यपूर्ण खलनायक की वजह से बची-कुची फ़िल्म देखने की एक्साइटमेंट भी ख़त्म हो गई. फ़िल्म शुरू होने के 30 मिनट बाद ये कहानी के हीरो के अपना नेतृत्व स्थापित करने के चक्कर में एक बड़ी खाई में गिर जाती है और फिर इसकी कहानी उस खाई में धंसती ही चली जाती है.
पहली नज़र में लगता है कि शाहरुख़ ख़ान स्टारर ये फ़िल्म बिल्कुल सही दिशा में जा रही है. इसमें हीरो बेहद कम हाइट का होता है और फ़िल्म की लीड एक्ट्रेस में से एक महिला व्हीलचेयर पर होती है. लेकिन फ़िल्म के पहले 30 मिनट के बाद आप अपने मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल खड़े करने पर मजबूर हो जाते हैं. क्योंकि इसमें SRK ने SRK का क़िरदार ही निभाया है. उसका फैन भी SRK की तरह ही लगता है. अनुष्का शर्मा वो लड़की हैं, जो उसके प्यार में पड़ जाती हैं. बस उनका इतना ही रोल है. फ़िल्म इस पूरे विषय का मज़ाक बनाती हुई दिखती है.
3. धड़क
जाह्नवी कपूर की डेब्यू फ़िल्म ‘धड़क’ मराठी मूवी ‘सैराट’ की रीमेक थी. ये फ़िल्म कास्ट और ऑनर किलिंग्स के बारे में थी. लेकिन करण जौहर ने जब इस प्रोजेक्ट को अपने हाथों में लिया, तब इस फ़िल्म में ग्राउंड रियलिटी देखने की हमारी सभी उम्मीदें धराशायी हो गईं. अगर आपने ओरिजिनल फ़िल्म और इस फ़िल्म को देखा है, तो आप हमारी बात से बिल्कुल सहमत होंगे. साथ ही ओरिजिनल कंटेंट से कितनी सारी इम्पोर्टेंट चीज़ें रीमेक में हटा दी गई थीं. (Illogical Bollywood Movies)
इस फ़िल्म में देश में ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा सामना किए जाने वाले कुछ मुद्दों और भेदभाव को संबोधित करने के लिए बनाया गया था. जबकि ये इसका उल्टा करती है. ये ट्रांस व्यक्तियों को ग़लत तरीके से चित्रित करती है और एक गहरे परेशान लोगों के रूप में उन्हें लोगों के सामने रखती है. अक्षय कुमार ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए जो सबसे अच्छी चीज़ कर सकते थे, वो उनके बारे में कहानियां बताने से दूर रहना होता.
5. मिशन मंगल
इस मूवी को 3 महिला वैज्ञानिकों की कहानी बतानी थी, जिन्होंने तमाम बाधाओं से जूझते हुए भारत का मार्स मिशन मुमकिन बनाया. इस फ़िल्म में जो कुछ भी अच्छी फ़िल्म बनाने के लिए चाहिए होता है, वो सब था. बस दिक्कत ये थी कि उन्हें अक्षय कुमार को कास्ट करके ग़लती कर दी. ए लिस्ट एक्टर होने के चलते उन्हें सबसे ज़्यादा स्क्रीन टाइम ले लिया और फ़िल्म आख़िरी में एक आदमी के बारे में प्रतीत होती दिखाई दी, जिसने उन महिलाओं की सफ़लता की कहानी को सुगम बनाया. हालांकि, ये फ़िल्म हिट रही थी.
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6. दोस्ताना
इस फ़िल्म के बारे में जितना कम कहा जाए, उतना बेहतर है. अभिषेक बच्चन, प्रियंका चोपड़ा और जॉन अब्राहम स्टारर ये मूवी समलैंगिकों का मज़ाक उड़ाती है और उनका अंत तक उपहास करती है. बस पूरी फ़िल्म यही है. हां, इसमें कुछ अच्छे गाने हैं, लेकिन इसके अलावा मूवी में और कुछ नहीं है.