हमारे देश ने हमें बहुत सारे रियल लाइफ़ हीरोज(Real Life Heroes) दिए हैं और आगे भी ऐसा होता रहेगा. इनमें से कुछ ने देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा के ज़रिये भारत(India) का नाम रौशन किया तो कुछ ने बहादुरी से दुश्मनों का सामना कर देश की सरहदों और समाज की रक्षा की. 


चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसे ही हीरोज़ के बारे में जो एक बायोपिक(Biopic) तो डिजर्व करते ही है.

1. पीवी सिंधु(PV Sindhu)

पीवी सिंधु ओलंपिक में भारत के लिए दो पदक जीतने वाली पहली महिला एथलीट हैं. 17 साल की उम्र में ही उन्होंने BWF World Ranking की टॉप 20 बैडमिंटन खिलाड़ियों में जगह बना ली थी. वो पक्का एक बायोपिक(Biopic) डिजर्व करती हैं.

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2. सत्यजीत रे(Satyajit Ray) 

मशहूर फ़िल्म मेकर सत्यजीत रे अपने आप में एक फ़िल्मी संस्थान थे. मल्टी टैलेंटेड इस फ़िल्कार ने ऐसी फ़िल्में बनाई जिन्होंने भारतीय सिनेमा को पूरी दुनिया में पहचान दिलाई. वो भी तब जब बचपन में पिता का साया उठ गया और जीवन आर्थिक तंगियों में बीता. इनकी बायोपिक से करोड़ों लोगों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.

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3. बरुन बिस्वास(Barun Biswas) 

बरुन बिस्वास पश्चिम बंगाल के शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने निडर होकर सुतिया इलाके में रेप करने वाले गैंग के ख़िलाफ आवाज़ उठाई थी. उनकी वजह से कई अपराधियों को जेल भी हुई, लेकिन जेल से रिहा होने के बाद ही अपराधियों ने उनकी हत्या कर दी.

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4. फाल्गुनी नायर(Falguni Nayar) 

फाल्गुनी नायर जी ने 50 की उम्र में दुनिया की बेस्ट ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों में से एक Nykaa की नींव रखी थी. अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की बदौलत वो सेल्फ़ मेड अरबपति बनीं. 

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5. कल्पना चावला(Kalpana Chawla) 

कल्पना चावला वर्ल्ड फ़ेमस Astronaut थीं, उनकी क़ामयाबी का क़िस्सा भी बहुत कम लोग जानते हैं. भारतीय मूल की इस अद्भुत महिला पर भी बायोपिक(Biopic) बननी चाहिए. पहले कई बार इसकी ख़बर उड़ी है लेकिन अभी तक वो सच साबित नहीं हुई है.

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6. योगेंद्र सिंह यादव(Yogendra Singh Yadav) 

योगेंद्र सिंह यादव सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले सैनिक हैं. उन्हें ये मेडल 1999 के कारगिल युद्ध में 14 गोलियां लगने के बाद भी टाइगर हिल को वापस पाने के लिए दिया गया था. उस वक़्त वो बस 19 साल के थे.

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7. हिमा दास(Hima Das) 

IAAF World Under-20 Athletics Championships 2018 में 400 मीटर स्पर्धा में गोल्ड जीतकर इतिहास रच रचने वाली हिमा दास एक किसान की बेटी हैं. वो किसी अंतर्राष्ट्रीय ट्रैक इवेंट में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय हैं. उनकी कहानी भी लोगों को प्रेरणा देगी.

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8. बाइचुंग भूटिया(Bhaichung Bhutia) 

भारतीय फु़टबॉल के पथ प्रदर्शक कहलाते हैं बाइचुंग भूटिया. वो भी एक किसान परिवार में जन्में थे. बचपन में ही इन्होंने अपने पिता को खो दिया था मगर कड़ी मेहनत और लगन के दम पर 9 साल की उम्र में फु़टबॉल स्कॉलरशिप हासिल की. 

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9. सालूमरदा थीमक्का(Saalumarada Thimmakka) 

‘वृक्ष माता’ के नाम से मशहूर हैं सालूमरदा थीमक्का.सालूमरदा कर्नाटक की रहने वाली पर्यावरणविद हैं, उन्होंने Hulikal और Kudoor गांव के बीच में हाईवे के पास 4 किलोमीटर के क्षेत्र में 385 बरगद के पेड़ लगाए हैं. इनके पति और इन्होंने मिलकर पूरे राज्य में 8000 पेड़ लगाए हैं, इनकी कोई संतान नहीं है और ये इनको ही अपनी संतान समझते हैं.

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10. सिंधुताई सपकाल(Sindhutai Sapkal) 

अनाथों की मां के रूप में जानी जाती थीं सिंधुताई सपकाल, उन्होंने 1400 से अधिक बच्चों को गोद लिया था. 12 साल की उम्र में शादी और घरेलू हिंसा की शिकार होकर बेघर होना और स्टेशन पर भीख मांग गुज़ारा करना. यहीं अनाथ बच्चों की दुर्दशा को देखा और तय किया कि उनकी मां बन उन्हें ढ़ेर सारा प्यार देंगी और अपने मकसद में कामयाब भी हुईं.

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लिस्ट काफ़ी लंबी है, लेकिन हमें लगता है कि शुरुआत इनसे होनी चाहिए, है कि नहीं?