Indian Cinema First Blockbuster Film: आज के समय में फ़िल्मों के लिए 100 करोड़ या 200 करोड़ की कमाई करना नॉर्मल है. फ़िल्म अगर 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई, तो वो सुपरहिट की कैटेगरी में आ जाती है. हाल ही में KGF 2‘, ‘RRR’, ‘भूल भुलैया 2’ फ़िल्में इस बात का सटीक उदाहरण हैं. लेकिन पुरानी फ़िल्मों के साथ बिल्कुल भी ऐसा नहीं था. भारतीय सिनेमा के कुछ सबसे प्रतिष्ठित ब्लॉकबस्टर में ‘मुगल-ए-आज़म’, ‘शोले’, ‘हम आपके हैं कौन!’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘गदर: एक प्रेम कथा’, ‘बाहुबली 2: द कन्क्लूज़न’, ‘दंगल’ और ‘3 इडियट्स‘ शामिल हैं. 

हालांकि, क्या आप उस पहली भारतीय फ़िल्म (Indian Cinema First Blockbuster Film) के बारे में जानते हैं, जो बॉक्स ऑफ़िस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई थीं? 

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कौन थी भारत की पहली ब्लॉकबस्टर फ़िल्म?

हम यहां बात कर रहे हैं साल 1943 में आई अशोक कुमार फ़िल्म ‘क़िस्मत’ की. बॉम्बे टॉकीज़ द्वारा प्रोड्यूस और ज्ञान मुख़र्जी द्वारा डायरेक्ट ‘क़िस्मत’ में अशोक कुमार, मुमताज़ शांति और डेविड अहम भूमिका में हैं. ये सिर्फ़ भारतीय सिनेमा की पहली ब्लॉकबस्टर फ़िल्म नहीं थी, बल्कि पहली भारतीय फ़िल्म भी थी, जिसने बॉक्स ऑफ़िस पर 1 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया था. बस इतना ही नहीं, ‘क़िस्मत’ ऐसी पहली फ़िल्म भी थी, जिसका लीड एंटी-हीरो था. इस फ़िल्म से पहले, लीड एक्टर आमतौर पर फ़िल्मों में अच्छा काम करने वाले का रोल निभाता था. अशोक कुमार ने ‘शेखर’ का रोल निभाया था, जिसमें उन्होंने जेबकतरे का रोल निभाया था.

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इस फ़िल्म ने लीड स्टार की बदल दी थी क़िस्मत

इस फ़िल्म ने सिनेमा में ‘खोया और पाया’ का फ़ॉर्मूला भी शुरू किया था. इस फ़िल्म से लीड स्टार अशोक कुमार की क़िस्मत भी रातों-रात बदल गई थी. इसके बाद से उनकी गिनती बड़े मूवी स्टार के तौर पर की जाने लगी. एक्टिंग के अलावा अशोक कुमार ने हिट गाना ‘धीरे धीरे आ रे बादल’ भी गाया था. फ़िल्म की उस दौर में बोल्ड थीम चुनने के लिए भी प्रशंसा की गई थी. इस मूवी में एक अविवाहित लड़की को प्रेग्नेंट दिखाया गया है, जो उस दौर में दर्शाना एक बड़ी बात मानी जाती थी. (Indian Cinema First Blockbuster Film)

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Indian Cinema First Blockbuster Film

मूवी का रीमेक भी बना

साल 1961 में ‘क़िस्मत’ मूवी को दोबारा बनाया गया. इस बार उसे ‘बॉय फ्रेंड’ का नाम दिया, जिसको नरेश सहगल ने डायरेक्ट किया था. इस मूवी में शम्मी कपूर, मधुबाला और धर्मेन्द्र ने काम किया था. दिलचस्प बात है कि इस रीमेक में आमिरबाई कर्नाटकी, जिन्होंने शम्मी कपूर की मां का रोल निभाया था, उन्होंने 1943 में बनी ओरिजिनल फ़िल्म के 8 में से 6 गाने गाए थे.

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इस फ़िल्म के गाने से डर गए थे अंग्रेज़

इस फ़िल्म का एक दूसरा दिलचस्प पहलू ये भी है कि इस फ़िल्म का एक गाना ‘दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदोस्तां हमारा है!’ उस दौरान स्वतंत्रता सेनानियों में काफ़ी मशहूर हुआ करता था. लेकिन ब्रिटिश हुकूमत इस गाने से डर गई थी और इस पर बैन लगाना चाहती थी. उन्हें लगता था कि इस गाने की वजह से देश में उनके खिलाफ़ बगावत हो जाएगी. इस गाने की वजह से इस फ़िल्म को बैन करने तक की नौबत आ गई थी. लेकिन अशोक कुमार ने एक चाल चलते हुए ब्रिटिश सरकार से कहा कि ये गाना अंग्रेज़ों के नहीं, बल्कि जर्मन और जापानियों के खिलाफ़ है. अंग्रेज़ों को उनकी बात पर यकीन हो गया और फ़िल्म की रिलीज़ को हरी झंडी दे दी गई. इसके बाद जो इस मूवी ने कमाल दिखाया, उसकी वाहवाही आज तक की जाती है. 

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क्या इस फ़िल्म के बारे में जानते थे?