Ravindra Jain: रवींद्र जैन वो सिंगर थे, जिन्होंने मन की आंखों से संगीत को जिया और समझा. इन्होंने कभी संगीत के शब्द तो नहीं देखे, लेकिन उसे अपनी आवाज़ और समझ से एक नया आयाम ज़रूर दिया. इन्होंने रामायण के साथ-साथ फ़िल्म इंडस्ट्री को एक अलग तरह के संगीत से मिलवाया. रवींद्र जैन (Ravindra Jain) का बचपन रौशन नहीं था, लेकिन संगीत से उन्होंने पूरी दुनिया को रौशन कर दिया. इनका जन्म 28 फरवरी 1944 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था.

nyt

ये भी पढ़ें: फ़ेमस सिंगर-म्यूज़िशियन रवींद्र जैन जी के जीवन के भजन, भूख और भीख से जुड़े 3 क़िस्से

Ravindra Jain

भले ही आंखों में रौशनी नहीं थी, लेकिन ज़िंदगी को संगीत से भरना उन्हें आता था. रवींद्र जैन (Ravindra Jain) को बचपन से ही संगीत में रुचि थी. इसलिए उनके चाचा उन्हें लेकर कोलकाता आए, जहां उन्होंने संगीत सीखा. इसके बाद, इनकी मुलाकात  राधेश्याम झुनझुनवाला नाम के निर्माता से हुई उन्होंने इनका म्यूज़िक ट्यूशन लगवा दिया. संगीत में पारंगत होने की वजह से हर कोई इनकी तारीफ़ करता था, इससे इनकी पहचान दूर-दूर तक होने लगी और वो एक दिन सपनों की नगरी मुंबई तक पहुंच गए.

ibtimes

मुंबई पहुंचने के बाद रवींद्र जैन को पहला ब्रेक राजश्री प्रोडक्शन की फ़िल्म ‘सौदागर’ से मिला, जिसमें उन्हें म्यूज़िक देना था. हालांकि, ये फ़िल्म तो फ़्लॉप रही, लेकिन फ़िल्म का एक गाना ‘सजना है मुझे सजना के लिए’ सुपर-डुपर हिट हो गया. इस तरह से रवींद्र जैन की राजश्री कैंप में एंट्री हो गई.

cinestaan

बड़े बैनर में एंट्री तो मिल गई थी, लेकिन 1972 में आई कांच और हीरा भी असफल रही थी. इसके बावजूद, इन्होंने हार नहीं मानी और फ़िल्म ‘चोर मचाए शोर’, ‘चितचोर’, ‘तपस्या’, ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाए’, ‘अंखियों के झरोखों से’, ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘हिना’, ‘इंसाफ़ का तराज़ू’, ‘प्रतिशोध’ जैसी कई फ़िल्मों में शानदार संगीत दिया. इन्हें 1985 में फ़िल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार से भी नवाज़ा गया.

twimg

इसी सफलता के बाद उनके संगीत को लोगों ने सुनना और समझना शुरू कर दिया. फिर वो साल 1987 में आई रामानंद  सागर की रामायण की आवाज़ बने और उन्होंने इस रामायण की चौपाइयों को अपनी मधुर आवाज़ से सजा दिया, जिसे लोग आज भी सुनते हैं और वो पीढ़ियां गुज़र जाने के बाद भी कानों को मधुर लगती है. आप भी नीचे के वीडियो में सुन सकते हैं.

ये भी पढ़ें: सिंगर बनने मुंबई आए थे राज खोसला, क़िस्मत ऐसी पलटी कि बन गए मशहूर डायरेक्टर

रवींद्र जैन ने अपनी मधुर आवाज़ और संगीत से गानों को सजाया तो था ही, साथ ही कई बॉलीवुड गाने लिखे भी. बेशक रवीन्द्र जैन आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने संगीत के ज़रिए हर फ़ैन के दिल में बसे हैं. उन्होंने इस दुनिया को संगीत से सजाया है और संगीत वो है जो किसी भी दर्द को कम कर देता है. 

आपको बता दें, साल 2015 में रवीन्द्र जैन का 71 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया था. इन्हें 2015 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

thequint

इन्होंने, रामायण की चौपाई के अलावा मर्यादा पुरुषोत्तम राम और कृष्ण जी के भजन गाए हैं.