ओम प्रकाश नैयर उर्फ़ ओ. पी. नैयर की गिनती हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकारों में की जाती है. उनके बारे में कहा जाता है कि वो तालियों, घोड़े के टापों और सीटी से भी धुन निकाल लिया करते थे. शायद यही वजह है कि उन्हें हिंदी सिनेमा का महोम्मद अली तक कहा जाता था. उनके ये गाने आज भी लोग सुनने से पीछे नहीं हटते…
ये देश है वीर जवानों का…
मांग के साथ तुम्हारा…
आइए मेहरबां…
लेके पहला पहला प्यार…
1926 में लाहौर में जन्में ओ. पी. नैयर साहब ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1952 में आई फ़िल्म ‘आसमान’ से की थी. इसके बाद वो एक से एक हिट फ़िल्मों में संगीत देते चले गए और लोगों के दिलों पर राज करने लगे.
ओ.पी. नैयर ने अपने ज़माने की कई हिट फ़िल्मों में संगीत दिया था. इनमें ‘नया दौर’, ‘कश्मीर की कली’, ‘मेरे सनम’, ‘फिर वही दिल लाया हूं’, ‘सावन की घटा’, ‘रागिनी’, ‘फागुन’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘बहारें फिर भी आयेंगी’, जैसी फ़िल्मों के नाम शामिल हैं.
ओ.पी. नैयर जितने फ़ेमस अपने संगीत के लिए थे, उतने ही ख़ुद से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सीज़ को लेकर वो सुर्खियों में रहते थे. ओ.पी. नैयर के बारे में कहा जाता है कि बड़े ज़िद्दी और विद्रोही स्वभाव के आदमी थे. एक नज़र डालते हैं उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प क़िस्सों पर…
लाहौर में एक स्कूल की नौकरी छोड़नी पड़ी थी
ऑल इंडिया रेडियो ने कर दिया था बैन
50 के दशक में ओ. पी. नैयर के गानों पर ऑल इंडिया रेडियो ने बैन लगा दिया था. रेडियो का मानना था कि उनका संगीत समय से कहीं अधिक मॉर्डन और पश्चिमी कल्चर से प्रेरित है. मगर इस बात से ओ. पी. नैयर को कभी फ़र्क नहीं पड़ा.
लता मंगेशकर के साथ नहीं किया काम
स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के साथ सभी संगीतकारों ने काम किया है, ओ. पी. नैयर को छोड़कर. इस बारे में एक इंटरव्यू में उन्होंने बात करते हुए कहा था कि- ’लता जी की आवाज़ में ‘पाकीज़गी’ थी, जबकि अपने गानों के मुझे ‘शोखी’ की ज़रूरत थी, ये शोखी मुझे आशा भोसले, गीता दत्त या शमशाद बेग़म की आवाज़ में नज़र आती थी. इसी वजह से मैंने लता जी के साथ काम नहीं किया.’
आशा भोसले और ओ. पी. नैयर का अफ़ेयर
यूं तो ओ. पी. नैयर का नाम कई महिलाओं के साथ जुड़ा, लेकिन एक नाम जो सबसे चर्चित रहा वो है आशा भोसले. लोग कहते हैं इनका अफ़ेयर पूरे 14 साल तक चला था. इस संबंध को 1972 में आशा भोसले ने ही तोड़ा था. कहते हैं कि दोनों के बीच काफ़ी झगड़े होने लगे थे. इसलिए आशा भोसले ने ही ये संबंध तोड़ना सही समझा था.
ओ. पी. नैयर भले अक्खड़ स्वभाव के रहे हों, लेकिन उनका संगीत औरों से हटकर था. हिंदी सिनेमा को अपने दिल छू लेने वाले संगीत से अमर कर देने वाले इस संगीतकार के गाने हर संगीत प्रेमी को आज भी किसी अलग दुनिया में ले जाते हैं.
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