बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार साहब ने इंडस्ट्री को कई सुपरहिट फ़िल्में दी हैं. उन्होंने यहां जो मुक़ाम हासिल किया है वो बहुत कम ही लोगों को नसीब होता है. आज हम आपको दिलीप कुमार के एक ऐसे झूठ के बारे में बताएंगे जो उनके करियर और पिता से ताल्लुक रखता है. इतना कि उनके इस झूठ से दिलीप कुमार के पिता को बहुत गहरा सदमा तक लग गया था.
बात उन दिनों की है जब दिलीप कुमार के पिता गुलाम सरवर और राज कपूर के दादा बशेश्वर नाथ बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे. दोनों की दोस्ती पेशावर से थी. दोनों अपने सारे राज़ और बातें एक-दूसरे से शेयर किया करते थे.
गुलाम सरवर अकसर उनसे ये शिकायत करते थे कि पृथ्वी राज कपूर ने सही व्यवसाय नहीं चुना. वो सोचते थे कि फ़िल्मों में काम करना सही नहीं है. वो चाहते थे कि उनका बेटा भी बशेश्वर नाथ की तरह ही सरकारी अफ़सर बने. वो तो अपने बेटे दिलीप कुमार को भी एक बड़ा अफ़सर बनाना चाहते थे. जबकि बशेश्वर नाथ को अपने बेटे के पेशे से कोई शिकायत नहीं थी. इसलिए उन्होंने उनकी इस बात का कभी बुरा नहीं माना.
इसी बीच दिलीप कुमार ने फ़िल्मों में काम करना शुरू कर दिया. उनके पिता को इस बात की कोई ख़बर नहीं थी. क्योंकि दिलीप कुमार ने घर पर कह रखा था कि वो एक कंपनी में काम करते हैं. 1947 में एक बार बशेश्वर नाथ बाज़ार में टहल रहे थे तब उनकी नज़र दीवार पर लगे एक पोस्टर पर गई. उसे देख वो दिलीप के पिता के पास पहुंचे.
वो उन्हें उस तक ले गए और कहा- ‘मियां गुलाम सरवर हैरान न हों, ये और कोई नहीं अपना यूसुफ़ ही है. फ़िल्मों में इसने अपना नाम दिलीप कुमार रख लिया है. ताकि किसी घरवाले का नाम ख़राब न हो.’
उन्होंने जो पोस्टर देखा था वो दिलीप कुमार की फ़िल्म ‘जुगनू’ का था, जिसमें बड़े-बड़े शब्दों में लिखा था दिलीप कुमार. इस पोस्टर को देख उन्हें बहुत बड़ा सदमा लगा. उन्हें बहुत बुरा लग रहा था. दिलीप कुमार के पिता को ये एक बुरे सपने जैसा लग रहा था.
इस सच को जानने के बाद कई दिनों तक उन्होंने दिलीप कुमार से बात नहीं की थी. ख़ैर, वक़्त के साथ उन्होंने भी इस सच को स्वीकार कर लिया, क्योंकि दिलीप कुमार की गिनती धीरे-धीरे जाने-माने कलाकारों में होने लगी थी. एक्टर्स को भी लोग सर आंखों पर बैठाने लगे थे. दिलीप कुमार से जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं.
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