अच्छी फ़िल्में देखना पसंद हैं, तो पंकज त्रिपाठी की फ़िल्में देखा कीजिए. फ़िलॉसफ़ी में भी रूची रखते हैं, तो पंकज त्रिपाठी का साक्षात्कार देख लीजिए. एक मौके पर तो उन्होंने ख़ुद भी मज़ाकिया लहज़े में कबूल किया है कि वो आज कल फ़िल्मों से अच्छा इंटरव्यू देने लगे हैं. सबसे ताज़ा इंटरव्यू है राजीव मसंद का, शो का नाम है क्लास एक्ट.  

Hindustan Times

वरिष्ठ फ़िल्म आलोचक राजीव मसंद ने पंकज त्रिपाठी कौन हैं, कौनसी फ़िल्में कर चुके हैं, ये बताने का तकल्लुफ़ किए बिना उनके काम की बात शुरू कर दी. इंटरव्यू थोड़ा आगे बढ़ा ही थी कि पंकज त्रिपाठी ने अपने बारे में एक बड़ी गहरी बात कही कि ज़िंदगी के जितने भी पुराने अनुभव थे, वो एक्टिंग में इस्तेमाल हो गए. अब वो खाली होते जा रहे हैं.  

हाल की किसी भी अच्छी फ़िल्म या वेब सीरिज़ को उठा लीजिए, पंकज का काम आपको उसमें देखने को मिल जाएगा. इससे पता चलता है कि इनकी व्यस्तता किस दर्जे की होती होगी.  

पंकज त्रिपाटी ने जूता बेचा है, पंडिताई की है, होटल में काम किया है, ये बातें तो सबको पता है. इस इंटरव्यू में एक नई बात पता चली कि वो एक सप्ताह के लिए जेल भी जा चुके हैं. छात्र जीवन में राजनैतिक आंदोलन की वजह से उन्हें पटना के बेउर जेल में एक सप्ताह रहना पड़ा था, जहां उन्हें किताबें पढ़ने का शौक़ जगा.  

जब राजीव ने पंकज से पूछा कि आपको बहुत देर से सफ़लता हाथ लगी, अगर शुरुआती दिनों में ही सफ़ल हो जाते तो क्या उसे संभाल पाते, इसका जवाब भी पंकज ने अपने ट्रेड मार्क सादगी भरे अंदाज़ में दिया.  

लोग जब किसी कलाकार के फ़ैन बन जाते हैं और वो कलाकार कोई बुरी फ़िल्म में काम करता है, तो उस फ़ैन को वो बुरा लगता है. फ़ैन्स कलाकार के जीवन में पैसों की कमी-पेशी से अनजान रहता है. कलाकार के जीवन के कई पहलु होते हैं, जिन्हें चलाने के लिए पैसों की ज़रूरत पड़ती है.  

हम जिसे अच्छा कलाकार मान लेते हैं, तो हम उनपर यकीन करने लगते हैं कि ये बुरी एक्टिंग कभी नहीं करेंगे और हमेशा उससे अच्छे काम की उम्मीद करते हैं. लेकिन एक कलाकार सिर्फ़ उसे ही अच्छा काम मानता है, जो उसकी नींद में ख़लल पहुंचाए.  

सिर्फ़ ऐसे पढ़ने से आपको मज़ा नहीं आएगा, आपको पूरी इंटरव्यू देखना चाहिए. नीचे वीडियो मौजूद है.