पूरी दुनिया में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके बॉलिवुड के दिग्गज एक्टर इरफ़ान ख़ान क़रीब 2 साल से बड़े पर्दे पर नज़र नहीं आए थे. लेकिन उनके चाहने वालों का इंतज़ार अब ख़त्म हो गया है. इस शुक्रवार को इरफ़ान अपनी अपकमिंग फ़िल्म ‘अंग्रेज़ी मीडियम’ से वापसी कर रहे हैं. 

फ़िल्म में उनके साथ काम कर रही हैं एक्ट्रेस करीना कपूर ने कहा कि ‘मैंने सभी खान – शाहरुख, सलमान, आमिर और सैफ़ के साथ काम किया है. लेकिन मेरे लिए इरफ़ान खान के साथ काम करना सम्मान और सौभाग्य की बात है. वह अग्रणी हैं, अगर मैं कहूं तो सभी ख़ान में सबसे बेहतरीन हैं, और इरफ़ान मेरे लिए सबसे बड़ा खान है.’ 

timesofindia

बता दें, हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े खान ने काफ़ी धमाकेदार शुरुआत की थी. उन्होंने बहुत सारे अवसरों को याद किया – सभी में सबसे उल्लेखनीय मीरा नायर, सलाम बॉम्बे है। 

Indiatoday की रिपोर्ट के मुताबिक़, 1986 में मीरा नायर जब NSD (National School of Drama) गईं तो उनकी नज़रें एक ऐसे एक्टर की तलाश कर रही थीं, जो उनकी आगामी फ़िल्म सलाम बॉम्बे में एक सड़कछाप लड़के का किरदार निभा सके. कॉलेज में चल रही एक वर्कशॉप में उन्होंने इरफ़ान को देखा. 

indiatoday

अनीस छाबरा की क़िताब ‘The Man, The dreamer, The Star’ के लिए मीरा ने बताया था कि जब उन्होंने इरफ़ान को पहली बार देखा तो सबसे पहले इरफ़ान का ध्यान, तीव्रता, ज़बरदस्त लुक और उनकी आंखों को नोटिस किया. 

महज़ 20 साल के इरफ़ान के लिए ये मौका सपना साकार होने जैसा ही था. इरफ़ान ने तुरंत ही फ़िल्म का ऑफ़र स्वीकार कर लिया और वर्कशॉप के लिए मुंबई रवाना हो गए. वो और रघुवीर यादव मीरा के किराये पर लिये फ़्लैट पर रुके. उन्होंने सड़क पर रहने वाले लड़कों के साथ उसी फ़्लैट में वर्कशॉप में हिस्सा लिया. 

मीरा इरफ़ान को सलीम नाम के एक सड़क पर रहने वाले लड़के के रोल में लेना चाहती थीं, लेकिन इरफ़ान की हाइट और डील-डौल इसमें बाधा बन गया. वो सड़क पर रहने वाले एक कुपोषित लड़के के रोल में फ़िट नहीं हो रहे थे. 

इरफान अपने बैचमेट्स से आगे थे जब मीरा ने उन्हें एनएसडी से उठाया था. वो एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पास आउट होने से पहले एक फ़ीचर फिल्म में काम हासिल कर लिया था. हालांकि, इरफ़ान के सपने तब चकनाचूर हो गए, जब मीरा को सलाम बॉम्बे की शूटिंग के दो दिन पहले उन्हें उस रोल से हटाना पड़ा. उन्होंने इरफ़ान को फिल्म में एक छोटी भूमिका दी, जो व्यावहारिक रूप से कुछ भी नहीं थी. 

indiatimes

अपने करियर के शुरुआत में ही मिले इस कड़वे अनुभव ने इरफ़ान को काफ़ी चोट पहुंचाई. हालांकि, उन्हें सबसे बुरे अनुभवों के लिए तैयार भी किया. इरफ़ान ने कहा, ‘मुझे पूरी रात याद है जब मीरा ने मुझे बताया कि मेरा हिस्सा कम कर दिया गया है और अब मेरा रोल घटकर व्यवहारिक रूप से कुछ नहीं रह गया है. लेकिन इसने मेरे भीतर कुछ बदल दिया है. इसके बाद मैं हर चीज़ के लिए तैयार था.’ 

मीरा ने इरफ़ान को लीड रोल में लेने का वादा किया था. हालांकि, वो अपना ये वादा 2006 में ‘Namesake’ में निभा पाईं. इस दौरान इरफ़ान को बहुत स्ट्रगल करना पड़ा. उन्होंने टेलिविज़न में कई अधूरे रोल निभाए. उन्हें पहला दमदार रोल निभाने का मौका 2004 में विशाल भारद्वाज की फ़िल्म ‘Maqbool’ में मिला. इस फ़िल्म में इरफ़ान की एक्टिंग की जमकर सराहना हुई. 

इरफ़ान की ये बेहतरीन परफ़ॉर्मेंस ‘Namesake’ में भी जारी रही. इस फ़िल्म में उनकी अदाकारी ने उन्हें पूरी दुनिया की नज़रों में ला दिया. अमेरिका में Namesake ने भारी सफलता हासिल की. जिसने अन्य अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं जैसे A Mighty Heart (2009), Slumdog Millionaire (2009), In Treatment (2010), the life-altering The Life Of Pi (2012), Jurassic World (2015), Inferno (2018) और बहुत सी फ़िल्मों के दरवाज़े इरफ़ान के लिए खोल दिये. 

Namesake में इरफ़ान का किरदार अंत में मर जाता है. इस फ़िल्म में इरफ़ान की अदाकारी से जहां सब बहुत ख़ुश थे वहीं, उनकी मां मीरा से बहुत नाराज़. फ़िल्म की स्क्रीनिंग की बाद इरफ़ान की मां ने मीरा से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की. उन्होंने कहा, ‘बुला, उसको बुला, ‘उसको मेरा बच्चा ही मिला था मारने के लिए?’ 

इरफ़ान का सफ़र बेहद रोमांचक रहा है. वो ऐसे परिवार में पले-बड़े जहां किसी को उनका फ़िल्म देखना तक पसंद नहीं था. मुश्किल हालातों के बावजूद उन्होंने एक्टिंग को चुना. 

इरफ़ान खान ने अपने हर क़िरदार से फैन्स का दिल जीता है और एक बार फिर इस शुक्रवार को वो Angrezi Medium से लोगों को अपनी दमदार अदाकारी से हैरान करने के लिए तैयार हैं.