बिग बी का वो डायलॉग तो याद ही होगा, कि ‘हम जहां खड़े होते हैं लाइन वहां से शुरू होती है’. मगर एक वक़्त ऐसा भी था जब बिग बी रोल्स के लिए लाइन लगाया करते थे और पैसों की ज़रूरत के चलते उन्हें भीड़ का हिस्सा बनना पड़ा था. शायद अब वो इसे याद भी नहीं करना चाहते होंगे, लेकिन ज़िंदगी की यादें ही तो हैं जो पीछे नहीं छोड़ती. गुज़रे वक़्त के उन्हीं क़िस्सों में एक क़िस्सा हम आपको बताएंगे.

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 क़िस्सा: जब अमिताभ बच्चन को लगाना पड़ा था शत्रुघन सिन्हा की कार को धक्का

इस क़िस्से का ज़िक्र अनु कपूर ने अपने शो, ‘सुहाना सफ़र विद अनु कपूर’ में किया था, उन्होंने बताया था कि शशि कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर और अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन दोस्त थे. इसी कारण अमिताभ और शशि भी एक दूसरे को जानते थे.

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दरअसल, जब अमिताभ बच्चन मुंबई में अपना करियर शुरू कर रहे थे और काम की तलाश में थे. तब उन दिनों शशि कपूर एक सफल अभिनेता बन चुके थे और वो स्माइल मर्चेंट की फ़िल्म ‘बॉम्बे टॉकी’ कर रहे थे. उसी में एक फ़्यूनरल के सीन के लिए भीड़ की ज़रूरत थी. फ़िल्मों में रोल के लिए संघर्ष कर रहे अमिताभ बच्चन को ये बात अपने एक दोस्त से पता चली कि फ़िल्म में भीड़ की ज़रूरत है तो वो पैसों के लिए उस भीड़ का हिस्सा बनने चले गए क्योंकि उसके लिए उन्हें 500 रुपये मिलते.

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इसके बाद जब शूट के वक़्त शशि कपूर ने अमिताभ को देखा तो उन्हें बुलाया और डांट लगाते हुए समझाया, तुम हीरो बनने के लिए मुंबई आए हो, इस तरह के छोटे रोल तुम्हारे करियर को शुरू होने से पहले ही ख़त्म कर सकते हैं. फिर अमिताभ बच्चन ने शशि कपूर को अपनी आर्थिक तंगी के बारे में बताया तो उन्होंने कहा, पैसे की ज़रूरत है तो मुझसे ले लो लेकिन ऐसे रोल मत करो. मगर अमिताभ बच्चन ने उनसे पैसे नहीं लिए और अपनी शूटिंग पूरी की, जिसके लिए उन्हें 500 रुपये मिले.

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जब बिग बी ने उनकी बात नहीं मानी तो शशि कपूर ने फ़िल्म के डायरेक्टर से कहा,

अमिताभ का कोई भी सीन फ़िल्म में दिखना नहीं चाहिए. शशि कपूर की बात मानते हुए डायरेक्टर ने फ़िल्म से अमिताभ बच्चन के सभी शॉट हटा दिये.
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इसके बाद, अमिताभ बच्चन को पहला बड़ा रोल 1969 में आई फ़िल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ में मिला था. इस फ़िल्म को नेशनल अवॉर्ड भी मिला था, लेकिन उनका संघर्ष फिर भी जारी रहा था.

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आपको बता दें, इसके दो साल बाद अमिताभ को राजेश खन्ना के साथ फ़िल्म ‘आनंद’ में काम मिला, जिससे उन्हें पहचान भी मिली. फिर फ़िल्म ज़ंजीर से लोग उन्हें एंग्री यंग मैन कहने लगे.