Jagjit Singh: महान ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन इनकी रुहानी आवाज़ और उनकी ज़िंदगी से जुड़े क़िस्से आज भी हमारी ज़िंदगी में उनकी जगह बनाए हुए हैं. जगजीत सिंह एक ऐसी आवाज़ थे, जो दिल और रुह को छू लेती थी. इस आवाज़ के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है. यही आवाज़ कारण थी उनकी पत्नि चित्रा से मिलने का. हालांकि, शुरू में दोनों में काफ़ी नोंक-झोंक हुई, लेकिन जिन्हें मिलना होता है वो मिल जाते.
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हम सब जानते हैं कि जगजीत सिंह ने चित्रा से लव मैरिज की थी मगर कॉलेज के दिनों का प्यार सबका होता है और इनका भी था. जगजीत सिंह जी का परिवार पंजाब के रोपड़ से ताल्लुक़ रखता था लेकिन इनका जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था. वो इसलिए क्योंकि रोज़ी-रोटी कमाने के लिए इनका परिवार राजस्थान शिफ़्ट हो गया था. पिता सरकारी कर्मचारी थे लेकिन संगीत उनकी रगों में था. वही संगीत जीत को अपने पिता से मिला साथ ही जीत नाम मिला जो उनके माता-पिता ने रखा था. बाद में उन्होंने ही अपना नाम जगजीत रख लिया और वो बन गए हम सबके जगजीत सिंह. हालांकि, शुरुआती पढ़ाई गंगानगर से ही हुई थी लेकिन कॉलेज करने वो जालंधर गए और फिर कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी.
जालंधर में पढ़ाई के दौरान जगजीत जी को एक लड़की बहुत पसंद थी लेकिन वो उससे कहने की हिम्मत नहीं कर पाते थे. बस कॉलेज जाते समय अक्सर उस लड़की के घर के सामने अपनी साइकिल सुधारने लगते थे क्योंकि उनकी साइकिल की चेन उसके ही घर के सामने उतरती थी या तो टायर की हवा कम हो जाती थी. ऐसा वो इसलिए करते-करते थे कि साइकिल ठीक करते-करते क्या पता उसकी एक झलक मिल जाए. साइकिल वाली ये मोहब्बत आगे नहीं बढ़ी बस यूंही देखने की उम्मीद पर ख़़त्म हो गई.
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जगजीत सिंह जी ने गंगानगर में रहने के दौरान पंडित छगन लाल शर्मा के पास दो साल शास्त्रीय संगीत सीखा. इसके बाद, सैनिया घराने के उस्ताद जमाल ख़ान साहब के पास ख़्याल, ठुमरी और ध्रुपद सीखा. संगीत तो उनकी आत्मा में बसता जा रहा था, लेकिन इनके पिता अन्य पिताओं की तरह बेटे को IAS बनाना चाहते थे उन्हें नहीं लगता था कि संगीत करियर हो सकता है. इसलिए जब जगजीत सिंह ने अपने घर में प्लेबैक सिंगर बनने के सपने के बारे में बताया तो घर में भूकंप आ गया.
एक बार जो ठान लिया उसे पूरा करने वाले जगजीत सिंह मुंबई तो आ गए, लेकिन कोई बड़ा काम हाथ में नहीं था. इसलिए उन्होंने विज्ञापन के जिंगल, शादी-पार्टियों में गाना शुरू किया फिर धीरे-धीरे गाड़ी ने रफ़्तार पकड़ी. संघर्ष के इन्हीं दिनों के बीच एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उनकी मुलाक़ात चित्रा से हुई, जो चित्रा ब्रिटानिया कंपनी के बड़े अधिकारी देबू प्रसाद दत्ता की बीवी थीं और उनकी एक बेटी भी थी.
शादी करना मुश्किल तो था, लेकिन सभी मुश्किलों को पार करके उन्होंने चित्रा से शादी की. हालांकि, चित्रा पहले से शादीशुदा थीं, उनके तलाक़ का प्रोसेस चल रहा था तो उन्होंने कहा कि ‘मुझे तलाक़ मिलने अभी टाइम लगेगा’ तो जगजीत सिंह ने कहा कि ‘मैं इंतज़ार करूंगा’, उन्होंने इंतज़ार किया भी फिर दोनों एक हो गए. जगजीत सिंह और चित्रा का एक बेटा था जिसकी 20 साल की उम्र में एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. बेटे की मौत के बाद चित्रा ने गाना छोड़ दिया और जगजीत सिंह भी आध्यात्म की ओर मुड़ गए.
भले ही आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज़ के ज़रिए वो हमेशा हमारे दिलों में ज़िंदा रहेंगे.