Kaali Poster Controversy: डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म काली (Kaali) के पोस्टर पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. इसकी डायरेक्टर लीना मणिमेकलई अब एक नई मुसीबत में घिरती नज़र आ रही हैं. देशभर में खूब बवाल मचने के बाद लीना के ख़िलाफ़ धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में FIR दर्ज की गई है, लेकिन इन सबका लीना पर कोई असर नहीं हुआ. उल्टा उन्होंने कहा कि इससे उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला. 

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दिल्ली और यूपी में लीना के ख़िलाफ़ केस दर्ज

दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट ने ‘काली’ फ़िल्म के विवादित पोस्टर पर एक्शन लिया है. दिल्ली पुलिस ने सेक्शन 153A और 295A के तहत FIR दर्ज की है. दिल्ली पुलिस को पिछले कुछ दिनों से ‘काली मां’ वाले इस पोस्टर को लेकर लगातार शिकायतें मिली रही थीं. IFSO यूनिट ने डायरेक्टर लीना मनिमेकलाई के ख़िलाफ़ आईपीसी 153A यानी धर्म जाति के आधार पर भड़काना और आईपीसी 295A यानी कोई किसी वर्ग, धर्म की भावनाओं को आहत पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया है. इस बीच हिंदू देवताओं के अपमानजनक चित्रण को लेकर डायरेक्टर लीना के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस ने भी FIR दर्ज कर ली है.

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क्या है पूरा विवाद? 

दरअसल, फ़िल्ममेकर लीना मणिमेकलई(Leena Manimekalai) ने 2 जुलाई को अपनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘काली’ का पोस्टर शेयर किया था. पोस्टर में ‘मां काली’ को सिगरेट पीते दिखाया गया है. इसके साथ ही उनके एक हाथ में LGBTQ के सपोर्ट वाला झंडा भी दिखाई दे रहा है. इस विवादित पोस्टर को लेकर देश भर में बवाल खड़ा हो गया और मामला पुलिस तक पहुंच गया है. अब दिल्ली और यूपी पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है. 

ये पहला मौका नहीं है जब लीना मण‍िमेकलई विवादों में फंसी हैं. वे अपनी ऐसी ही अन्य डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों के कारण पहले भी विवादों में घ‍िर चुकी हैं.इन विवादों से उलट लीना ने अपनी असल ज़िंदगी में काफी संघर्ष देखा है. समाज से पर‍िवार से और आर्थ‍िक रूप से. आइए जानें लीना की जिंदगी के कुछ संघर्षपूर्ण क‍िस्से.  

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कौन हैं ये लीना मणिमेकलई?

लीना मणिमेकलई (Leena Manimekalai) का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में हुआ था. लीना एक किसान पर‍िवार से ताल्लुक़ रखती हैं. कुछ साल पहले तक उनके गांव में एक अजीबो-ग़रीब प्रथा थी, जिसमें ग़रीबी के कुछ साल बाद लड़क‍ियों की शादी उनके मामा से करवा दी जाती थी. जब लीना को पता चला क‍ि घरवाले उनकी शादी की तैयारी कर रहे हैं तो वो चेन्नई चली गईं और तम‍िल मैगज़ीन ‘विकटन’ के ऑफ़िस में नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन ऑफ़िस वालों ने लीना इंतजार करने को कहकर उनके पर‍िवार वालों से संपर्क किया और वापस लीना को उसके पर‍िवार वालों को सौंप दिया. किसी तरह लीना ने अपनी फ़ैमिली को मनाया और इंजीन‍ियर‍िंग की पढ़ाई करने की बात कही.

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तमिल डायरेक्टर से हुआ प्यार  

लीना मणिमेकलई के पिता लेक्चरर थे. कॉलेज के आख़िरी साल में प‍िता की मौत के बाद लीना ने उनकी ‘डॉक्टरल थीसीस’ जो वो तमिल डायरेक्टर P Bharathiraja पर लिख रहे थे. उसे किताब के तौर पर पब्ल‍िश करवाने का फ़ैसला किया. इस सिलसिले में जब लेना डायरेक्टर P Bharathiraja से मिलने चेन्नई गईं तो उन्हें पहली नजर में ही भारतीराज से प्यार हो गया. डायरेक्टर के साथ लीना के रिलेशन की ख़बरें फ़ैलने लगी तो मां ने खाना-पीना बंद कर दिया और बेटी को वापस घर आने को कह दिया. मां की ख़राब हालत देखते हुए लीना ने सिनेमा और पी भारतीराज को छोड़कर घर चली गईं.

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आईटी सेक्टर से लेकर फ़्रीलांसर की नौकरी की 

लीना ने उसके बाद बेंगलुरू की एक आईटी कंपनी में नौकरी की. इस दौरान उनकी मुलाकात टेलीफ़िल्म मेकर C Jerrold से हुई और उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी. लेकिन Jerrold के साथ लीना ज़्यादा दिन काम नहीं कर सकीं. इसके बाद भी उन्होंने कई नौकर‍ियां बदली और अंत में बतौर फ़्रीलांसर काम शुरू कर दिया. इस बीच लीना ने शोषण के श‍िकार लोगों, सामाजिक मुद्दों की आवाज बनने का फ़ैसला किया. आख़िरकार साल 2002 में उन्होंने अपनी पहली डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘Mathamma’ पर काम करना शुरू किया. इसके बाद लीना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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लीना का डायरेक्शन और एक्टिंग करियर

लीना मणिमेकलई (Leena Manimekalai) अब टोरंटो में रहती हैं. फ़िल्म मेकिंग के अलावा वो एक्टिंग और कविताएं लिखने का काम भी करती हैं. बतौर एक्टर लीना 4 शॉर्ट फ़िल्मों ‘चेल्लम्मा’, ‘लव लॉस्ट’, ‘द वाइट कैट’ और ‘सेनगडल द डेड सी’ में काम कर चुकी हैं. लीना ने अपने करियर में अब तक अधिकतर डॉक्युमेंट्री फ़िल्में ही बनाई हैं, जिन्हें कई विदेशी फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स में प्रीमियर किया जा चुका है. मेनस्ट्रीम सिनेमा में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करने के बाद साल 2002 में लीना की पहली डॉक्युमेंट्री ‘महात्मा’ रिलीज़ हुई थी. इसके बाद उन्होंने दलितों, महिलाओं व ग्रामीण समस्याओं पर कई शॉर्ट मूवीज़ और डॉक्यूमेंट्री बनाई. इस बार लीना ‘Kaali’ डॉक्यूमेंट्री के ज़रिए LGBTQ समुदाय से जुड़ी समस्याओं को लेकर आ रही हैं.

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इन डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों पर भी हुआ था विवाद 

लीना ने साल 2002 में देवदासी प्रथा को लेकर ‘Mathamma’ फ़िल्म बनाई थी. इसमें उन्होंने नाबाल‍िग लड़क‍ियों को 10-20 रुपये में मंद‍िर में समर्प‍ित किए जाने और पुजारी-पंड‍ितों द्वारा उनके शोषण की कहान‍ियों को पेश किया था. इस दौरान अरुंधत‍ियार समुदाय समेत अपने पर‍िवार की नाराजगी झेलने के बाद भी लीना डरी नहीं. इसके बाद उन्होंने साल 2004 में दल‍ित मह‍िलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘Parai’ बनाई. इसपर भी लीना को काफ़ी आक्रोश झेलना पड़ा. लेक‍िन लीना कभी हिम्मत नहीं हारीं. साल 2011 में लीना एक बार विवादों में आयी. इस दौरान उन्होंने धनुषकोढ़ी के मछुआरों पर ‘Sengadal’ नाम की डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनाई. सेंसर बोर्ड से महीनों की लड़ाई के बाद जब ये फ़िल्म रिलीज़ हुई तो इसे कई अंतराष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्ट‍िवल्स में सराहा गया.

Kaali Poster Controversy

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काली के पोस्टर विवाद के बाद लीना मण‍िमेकलई ने ट्वीट करके कहा- फिल्म उन घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती हैं जो उस शाम की है जब ‘काली’ प्रकट होती हैं और टोरंटो की सड़कों पर टहलती हैं. यदि आप तस्वीर देखते हैं, तो हैशटैग ‘अरेस्ट लीना मणिमेकलई’ न डालें और हैशटैग ‘लव यू लीना मणिमेकलई’ डालें.