Kamla Ki Maut: बासू चैटर्जी द्वारा निर्देशित ‘कमला की मौत‘ 1989 में आई एक ऐसी फ़िल्म जो अपने समय से बहुत आगे थी. इसमें प्यार से जुड़े मुद्दे, शादी से पहले प्रेगनेंसी, Pre-Marital Sex जैसे गंभीर मुद्दे उठाए गए थे. समाज में रह रहे लोगों पर ख़ासकर लड़कियों पर इन बातों का क्या असर होता है वो है ‘कमला की मौत’ की कहानी. कमला की मौत एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो फ़िल्म शुरू होते ही प्यार में धोखा मिलने की वजह से ख़ुदकुशी कर लेती है, जो शादी से पहले प्रेगनेंट हो जाती है और अपनी ग़लती को या उस प्यार को जो कमला ने किया था, लेकिन उसके बॉयफ़्रेंड भास्कर ने नहीं. कमला के 5 मिनट के प्रभावशाली किरदार को अभिनेत्री कविता ठाकुर ने निभाया था. IMDb ने इस फ़िल्म को 7.5 रेटिंग दी थी.

Kavita Thakur
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कमला की मौत के बाद उसके पड़ोस में रहने वाला परिवार बहुत चिंतित हो जाता है क्योंकि उस परिवार में रहने वाले सदस्यों की अपनी अलग-अलग कहानियां होती हैं. इस परिवार में एक पिता हैं जिनका नाम सुधाकर पटेल (पंकज कपूर) है, एक मां हैं जिनका नाम निर्मला सुधाकर पटेल (आशालता वाबगांवकर) दोनों की दो बेटियां हैं गीता (रूपा गांगुली) और चारू (मृणाल कुलकर्णी).

अभिनेत्री कविता ठाकुर
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कमला की मौत (Kamla Ki Maut) के बाद सुधाकर की पत्नी उसे मज़े लेकर बताती है कि कमला के पेट में बच्चा था तभी तो मर गई और करती भी क्या? दोनों बेटियों ने ही मां को ये बात बताई थी. इसके बाद दोनों बहनें जब लेटती हैं तो चारू गीता से पूछती है कि अगर अजीत ने तुम्हारे साथ ऐसा किया तो तुम क्या करोगी? यहीं से शुरू होती है पूरे घर के अतीत की कहानी, जिसमें सुधाकर का अतीत सबसे ज़्यादा ख़राब है. अजीत का किरदार लेजेंडरी एक्टर इऱफ़ान ख़ान ने निभाया था. गीता को विश्वास होता है कि अजीत ऐसा नहीं करेगा, लेकिन वो अजीब-अजीब सपने देखकर डरती है.

Kamla Ki maut
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गीता चारू से भी यही सवाल पूछती है कि अगर दीपक ने उसके साथ ऐसा किया तो दीपक का किरदार आशुतोष गोवारिकर ने निभाया था. चारू जो दीपक के साथ बहक जाती, लेकिन वो रुक गई उसे भी विश्वास था कि दीपक ऐसा नहीं है.

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दोनों बेटियों की उधेड़बुन के बीच उनकी मां का भी एक अतीत था जो कमला की मौत के बाद उनके सामने आ जाता है, वो शादी से पहले अपने से तीन गुना उम्र में बड़े टीचर से प्यार करती हैं, जो शादीशुदा भी था और बच्चों का बाप भी. उसके मना करने पर वो आत्महत्या करने के लिए नदी में कूद जाती हैं, लेकिन बच जाती हैं. उनका कहना था कि अगर कमला रुक जाती तो मरती नहीं.

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जिस भास्कर को सब कोस रहे थे वो भास्कर, सुधाकर के रूप में उन्हीं घर में था, उन दो बेटियों के पिता. सुधाकर अपनी बेटियों के लिए चितिंत थे कि कहीं वो भी कमला की तरह न करें. मगर सुधाकर ने अपने जवानी के दिनों में तीन लड़कियों के साथ ग़लत किया. पहली अंजू जिसे प्यार में फंसाया प्रेगनेंट किया और फिर गर्भपात. इसके बाद, सुधाकर, अंजू को छोड़कर भाग गया, लेकिन अंजू कमला नहीं बनी उसने ख़ुदकुशी नहीं की और न ही चमेली के अलावा उस आख़िरी लड़की ने ऐसा किया.

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कमला की मौत आज से 34 साल पहले आई थी, जिसने समाज को उस सच्चाई से मिलाया जो धरातल पर कहीं न कहीं औरतें झेल रही थीं, जिनके बारे में बात करने को कोई तैयार नहीं था. बस इन कड़वी सच्चाइयों से महिलाएं अपने अंतर्मन में उधेड़बुन किया करती थीं, समाज के ताने, घरवालों की कड़वी बातें कड़वे घूंट समझकर पीती थीं, जो नहीं पी पाती थीं वो कमला की तरह ख़ुदकुशी कर लेती थीं, जबकि मौत कमला की नहीं भास्कर या सुधाकर को मिलनी चाहिए थी.

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दौर कोई भी आज 34 साल बाद हम कहते हैं कि महिलाएं प्लेन चला रही हैं, महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन जब शादी से पहले प्रेगनेंसी या सेक्स की बात आती है तो आज भी हम 34 साल पीछे चले जाते हैं और एक महिला को तब तक कोसते हैं जब तक वो कमला न बन जाए. समय से आगे की फ़िल्मों से सुधार तब आएगा जब हम अपनी सोच से 68 साल आगे आएंगे. शादी से पहले हो या बाद बच्चा पैदा करने में औरत और आदमी दोनों ज़िम्मेदार होते हैं इस बात को समझना ज़रूरी है ताकि समाज में कमला कम और अंजू ज़्यादा बनें!

कमला की मौत मूवी इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं.