Karan Dewan Silver Jubilee Star: 60 के दशक में हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) में सिल्वर जुबली (Silver Jubilee) एक बड़ा लैंडमार्क माना जाता था. लगातार 25 हफ़्तों तक सिनेमाघरों में कमाई करने वाली फ़िल्म ‘सिल्वर जुबली’ यानी ‘सुपरहिट’ मानी जाती थी. उस दौर में अभिनेता राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) को जुबली कुमार (Jubilee Kumar) के नाम से जाना जाता था. 60 के दशक में राजेंद्र कुमार ‘जुबली कुमार’ के नाम से ख़ासे मशहूर थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी अधिकतर फ़िल्में 25 हफ़्तों तक सिनेमाघरों में ताबड़तोड़ कमाई करती थीं. लेकिन राजेंद्र कुमार हिंदी सिनेमा के पहले जुबली स्टार (Jubilee Star) नहीं थे. करण दीवान (Karan Dewan)

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दरअसल, राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) से पहले भी बॉलीवुड में एक अभिनेता हुआ करते थे, जिनकी फ़िल्में 25 हफ़्तों से पहले सिनेमाघरों से उतरने का नाम ही नहीं लेती थीं. इसी वजह से उन्हें हिंदी सिनेमा का पहला ‘सिल्वर जुबली स्टार’ भी कहा जाता था. इनका नाम करण दीवान (Karan Dewan) था. करण दीवान ने 1940 के दशक से 1970 के दशक तक हिंदी फ़िल्मों में काम किया था.

असल ज़िंदगी में कौन थे करण दीवान

करण दीवान (Karan Dewan) का जन्म 1917 में गुजरांवाला (पाकिस्तान) में हुआ था, उनका पूरा नाम दीवान करण चोपड़ा था. शुरुआती पढ़ाई लाहौर में करने के बाद करण दीवान वहीं के एक उर्दू मैगज़ीन के एडिटर बन गए थे. पत्रकार होने के नाते एक दिन उनकी मुलाक़ात ताराचंद बड़जात्या से हुई थी. ताराचंद बड़जात्या वही शख़्स थे जिन्होंने राजश्री प्रोडक्शन्स की नींव रखी थी, जिसकी कमान आज उनके पोते सूरज बड़जात्या संभाल रहे हैं.

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ताराचंद की वजह से बने अभिनेता

करण दीवान (Karan Dewan) को फ़िल्मों में मौका ताराचंद बड़जात्या की बदौलत ही मिला था. उन्होंने पंजाबी फ़िल्मों से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. उनकी पहली फिल्म ‘पूरण भगत’ थी, जो 1939 में रिलीज हुई थी. 1941 में उनकी दूसरी फ़िल्म ‘मेरा माही’ भी एक पंजाबी फ़िल्म थी. लेकिन सन 1944 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘रतन’ उनके करियर की निर्णायक फ़िल्म साबित हुई, जिसे उनके भाई जैमिनी दीवान ने डायरेक्ट की थी. ये फ़िल्म 1944 की सबसे बड़ी हिट साबित हुई थी. इस फ़िल्म की रिलीज़ के बाद करण दीवान ने अपनी सह-अभिनेत्री मंजू से शादी कर ली थी.

इन फ़िल्मों ने बनाया ‘जुबली स्टार’

करण दीवान (Karan Dewan) ने इसके बाद ज़ीनत (1945), लाहौर (1949), दहेज (1950), परदेस (1950), बहार (1951) और तीन बत्ती चार रास्ता (1953) समेत 20 से अधिक सिल्वर जुबली हिट फ़िल्में दी. इन फ़िल्मों ने करण दीवान को हिंदी सिनेमा के पहले ‘जुबली स्टार’ के रूप में मशहूर कर दिया था. वो केवल एक्टर ही नहीं, बल्कि सिंगर भी थे. उन्होंने पिया घर आजा (1947), मिट्टी के खिलौने (1948) और लाहौर (1949) जैसी फ़िल्मों में गाने भी गाये थे.

करण दीवान (Karan Dewan) 1960 तक 60 से अधिक फ़िल्मों में काम कर चुके थे, लेकिन इसके बाद उन्हें फ़िल्मों में लीड रोल मिलने कम हो गए और वो एक्टिंग के साथ-साथ फ़िल्मों में कास्टिंग एजेंट के रूप में भी काम करने लगे. सन 1960 और 1970 के दशक में उन्होंने अपना घर (1960), शहीद (1965), जीने की राह (1969) और नादान (1971) जैसी फिल्मों में सहायक भूमिका के तौर पर भी काम किया. साल 1979 में रिलीज़ हुई ‘आत्माराम’ उनकी आख़िरी फ़िल्म थी.

करण दीवान (Karan Dewan) सन 1979 तक हिंदी सिनेमा में सक्रिय रहे. क़रीब 3 दशक लंबे करियर में उन्होंने 75 से अधिक फ़िल्मों में काम किया था. उनका निधन 2 अगस्त 1979 को मुंबई में हुआ था.

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