इस बार केबीसी के कर्मवीर एपिसोड में बच्चन साहब के सामने एक बेहद ख़ास महिला बैठी हुई थी. 

नाम है सुनीता कृष्णन. 

सुनीता कृष्णन एक समाजसेविका हैं और अब तक वो कई महिलाओं-बच्चियों को यौन तस्करी से मुक्त करा चुकी हैं. इस कर्मवीर एपिसोड में उन्होंने दुनिया के सामने अपनी आपबीति और संघर्ष की कहानी बयां की, जिसे सुनकर बच्चन साहब भी स्तब्ध और हैरान थे. 

केबीसी की हॉट सीट पर बैठी कृष्णन ने बताया कि महज़ 15 साल की उम्र में 8 दरिंदों ने उनका बलात्कार किया था. छोटी सी उम्र में हुए इस हादसे ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया था, जिसके बाद उनके पास सिर्फ़ 2 रास्ते बचे थे. पहला या तो वो ज़िंदगीभर इसके बारे में सोच कर परेशान होतीं. दूसरा, हालातों को सामना करतीं. काफ़ी सोचने के बाद समाजसेविका ने दूसरा रास्ता चुना और हालातों का हिम्मत के साथ सामना किया. इसके साथ ही वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसी महिलाओं को बचाने का निर्णय लिया. 

केबीसी के सेट पर कृष्णन ने बताया कि वेश्यालयों में वेश्यावृत्ति करती महिलाओं की पहचान छिपाने के लिये, उनके नाम एक बार नहीं, बल्कि कई बार बदले जाते हैं. एक ही दिन में कई बार इन महिलाओं का शारीरिक शोषण किया जाता है, जिससे न सिर्फ़ वो शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी टूट जाती हैं. यही वजह है कि इसके बाद वो एक आम महिला की तरह की ज़िंदगी नहीं जी पाती. 

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सुनीता ने बताया कि उन्हें कई बार ये कहा गया कि जब तक धरती पर इंसान हैं, वेश्यावृत्ति चलती रहेगी. पर कृष्णन ने दूसरों की न सुनते हुए अपने दिल की सुनी. कृष्णन कहती हैं कि जब तक ज़िंदगी है, तब तक वो उन लड़कियों और महिलाओं के लिये लड़ती रहेंगी जो इस ख़ौफ़नाक मंज़र से गुज़रती हैं.   

इस मुद्दे पर आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये समस्या सिर्फ़ हमारे देश की नहीं है, बल्कि बाकि देशों में भी यही हालात हैं. फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि वहां तीन-चार साल की बच्चियों को नहीं बेचा जाता है, जबकि यहां उनका भी मोल लग जाता है. 

वो हैदराबाद में 9 महीने की बच्ची के साथ खिलवाड़ की घटना भी सुन चुकी हैं. कृष्णन कहती हैं कि हमारा समाज इतना कुंठित है कि छोटी-छोटी बच्चियों के भी ख़रीददार हैं. इसलिये जब तक घर के लड़कों की परवरिश और मर्दों की मानसिकता नहीं बदलेगी, कुछ नहीं बदलेगा. इसे रोकने के लिये पुरुषों को भी ज़िम्मेदारी लेने की ज़रूरत है. 

सुनीता का कहना है कि जब भी वो किसी महिला को बचाने के लिये गई हैं, उन्हें तालियां नहीं, बल्कि गालियां ही मिली हैं. पर उन्हें ऐसा करके ख़ुद पर गर्व महसूस होता है. 22 हज़ार से ज़्यादा बच्चियों और महिलाओं को यौन तस्करी से मुक्त कराने वाली कृष्णन को उनके साहसिक कार्यों के लिये पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. 

सुनीता कृष्णन की हिम्मत और साहस को सलाम! 

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