किशोर कुमार वो शख़्सियत हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. सदाबहार गायिकी से लेकर एक्टिंग तक, सब में उन्होंने सफ़लता के झंडे गाड़े. 8 बार तो उन्हें Best Male Singer के फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड से नवाज़ा गया था.

एक से बढ़ कर एक गाने के लिए जाने जाने वाले किशोर कुमार थोड़े अलहदा क़िस्म के इंसान थे. वो कहते थे कि न तो उनका कोई दोस्त है और न ही उन्हें पार्टियों में जाना, लोगों से मिलना-जुलना पसंद है.

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1985 में प्रीतीश नंदी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनका कोई दोस्त नहीं है और वो उनके (दोस्तों) के बजाय पेड़ों से बात करना पसंद करेंगे. जब पत्रकार ने उनके अकेलेपन पर टिप्पणी की तो किशोर कुमार उन्हें अपने बगीचे में ले गए, वहां कुछ पेड़ों के नाम रखे और उन्हें अपना सबसे क़रीबी दोस्त बताया.

किशोर कुमार कहते थे फ़िल्मी दुनिया के लोग उन्हें बहुत बोर करते हैं. वो ये भी कहते थे की उन्हें बहुत अच्छे डायरेक्टर के साथ काम करने में डर लगता है. इस इंटरव्यू में वो बताते हैं:  

सत्यजीत रे मेरे पास आए और वो चाहते थे कि मैं उनकी कॉमेडी फ़िल्म – पारस पत्थर में एक्टिंग करूं, मगर मैं इतना डर ​​गया कि मैं भाग गया. बाद में तुलसी चक्रवर्ती ने ये भूमिका निभाई. ये एक बेहतरीन रोल था और मैं इससे भाग गया था, इतना डरता हूं मैं इन महान निर्देशकों से.
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ग़ौरतलब है कि किशोर कुमार सत्यजीत रे को पहले से जानते थे और उन्हें पाथेर पांचाली के निर्माण के लिए 5 हज़ार रुपये लोन भी दिया था. किशोर कुमार हंसी-मज़ाक करने में हद पार कर जाते थे और कभी-कभी कुछ अजीबों-ग़रीब काम भी कर जाते थे.

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ऐसा ही एक वाक़या तब हुआ जब उन्होंने अपनी मुंबई वाले घर को वेनिस जैसा बनाना चाहा. आपको बता दें कि इटली के वेनिस शहर में सड़कें नहीं हैं, बस नहरें हैं. किशोर कुमार अपने घर के बाहर भी एक नहर खुदवाने की ठान चुके थे. इसके लिए उन्होंने लोगों को भी काम पर लगा दिया और खुदाई शुरू हो गयी. लेकिन उनका ये सपना कभी पूरा नहीं हो पाया. क्यों? ख़ुद किशोर कुमार ने एक इंटरव्यू में पूरा क़िस्सा कुछ यूं बयान किया:    

मैंने यहां अपने बंगले के चारों ओर एक नहर खोदने की कोशिश की, ताकि हम उसमें गोंडोला चला सकें. नगरपालिका का एक कर्मचारी बैठकर ये सब देखता रहा और ‘न’ में अपना सिर हिलाता रहा मगर मेरे आदमी नहर खोदते रहे, खोदते रहें. लेकिन ये सब काम नहीं आया. एक दिन किसी को एक हाथ मिला – कंकाल वाला हाथ- और कुछ पैर की उंगलियां. उसके बाद कोई आगे खुदाई नहीं करना चाहता था. अनूप, मेरा दूसरा भाई, गंगाजल लेकर आया और मंत्रों का जाप करने लगा. उसे लगा कि ये घर कब्रिस्तान पर बना है. शायद ऐसा ही है. लेकिन मैंने अपना घर वेनिस जैसा बनाने का मौका गंवा दिया.
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किशोर कुमार की निजी ज़िंदगी काफ़ी उथल-पुथल से भरी रही थी. उन्होंने चार शादियां की थी. उनकी पत्नियों में मशहूर अभिनेत्री, मधुबाला भी शामिल हैं. अपने बड़े भाई अशोक कुमार के बॉलीवुड में एक्टर बनने के बाद उन्होंने 1940 के दशक में मुंबई में क़दम रखा था.

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इसी इंटरव्यू में किशोर कुमार ने ये खुलासा किया कि वो आगे मुंबई में नहीं रहना चाहते हैं और वापस खंडवा (मध्य प्रदेश) जाना चाहते हैं, जहां वो बड़े हुए हैं. वो मुंबई में नहीं मरना चाहते हैं. ये इंटरव्यू 1985 में प्रकाशित हुआ था और इसके ठीक 2 साल बाद मुंबई में उनका देहांत हो गया.

अगर आप प्रीतिश नंदी के साथ किशोर कुमार का पूरा इंटरव्यू पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें.