Anime and Cartoon Difference: हम में से ऐसे कई लोग होंगे, जो बॉलीवुड और हॉलीवुड मूवीज़ नहीं, बल्कि एनिमेटेड मूवीज़ (Animated Movies) के दीवाने हैं. ‘टॉम एंड जेरी’ याद है? जी हां, वहीं शो जिसको बचपन में टीवी पर देख़ते हुए हम घंटों बिता देते थे. आज भी ये शो बच्चों में ख़ासा पॉपुलर है. वहीं, एनिमेशन से प्यार करने वाले एडल्ट्स के लिए भी एंटरटेनमेंट की कमी नहीं है. काफ़ी समय से यूथ के बीच एनिमे फ़िल्मों और सीरीज़ का क्रेज़ तेज़ी से बढ़ा है. हाल ही में, ‘अटैक ऑन टाइटन‘ सीज़न 4 का रिलीज़ किया गया पार्ट 2 इस बात का पुख़्ता सबूत है. हालांकि, अभी ये इंडिया में किसी प्लेटफ़ॉर्म पर लीगली रिलीज़ नहीं की गई है. अब आप सोच रहे होंगे कि ये ‘एनिमे’ नाम की बला क्या है? क्या ये कार्टून है?
तो जनाब अपने दिमाग़ में घूम रहे सवालों की स्पीड को थोड़ा ब्रेक दीजिए और इनके जवाब देने का ज़िम्मा हम पर छोड़ दीजिए. आज हम आपको इसकी पूरी कहानी समझा कर रहेंगे.
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Anime and Cartoon Difference
क्या होती हैं एनिमे फ़िल्में और सीरीज़?
इस सिंपल शब्द को समझने के लिए दिमाग़ के घोड़े दौड़ाने की ज़रूरत नहीं है. बस इतना जान लो एनिमेशन को जापानी में ‘एनिमे‘ कहा जाता है. एनिमे बनाने की शुरुआत जापान से ही हुई थी. जापान में धीरे-धीरे इसकी पॉपुलैरिटी बढ़ती गई, जिसने अपना विस्तार दुनिया तक कर लिया. इस तरह की फ़िल्में थोड़े सीरियस टॉपिक पर बनाई जाती हैं. इसमें दिख़ने वाले कैरेक्टर की शेप काफ़ी फाइन होगी. उनके चेहरे ज़्यादा तीख़े और बाल फ़ैले हुए होते हैं. इसकी कैटेगरीज़ भी बॉलीवुड फ़िल्मों की तरह डार्क, सस्पेंस, थ्रिलर, एक्शन आदि में बंटी होती है.
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एनिमे का इतिहास
इसकी लोकप्रियता 60 के दशक से ही दुनिया भर में बढ़ने लगी थी. उस दौरान ‘स्पीड रेसर’ अमेरिका में पॉपुलर होने वाली पहली फ़िल्म थी. साल 1980 में इस विज़ुअल आर्ट ने पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ दी थी. ‘स्नो व्हाइट‘ एंड ‘सेवेन ड्वार्फ्स‘ उस वक़्त जापान से बाहर प्रीमियर होने वाली पहली दो फ़िल्में थीं. इसके बाद साल 2001 में ‘स्पिरिटेड अवे’ नाम की फ़िल्म ने ऑस्कर तक जीता था. आप इसी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि लोगों में एनिमे फ़िल्मों को लेकर जुनूनियत किस क़दर सवार है.
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कार्टून और एनिमे में अंतर (Anime and Cartoon Difference)
एनिमे और कार्टून को एक जैसा समझने की भूल कतई मत करना. इन दोनों का नाम भले ही एनिमेशन की दुनिया से जुड़ा हो, लेकिन ये दोनों टर्म्स एक-दूसरे से बिल्कुल जुदा हैं. दोनों का ही अलग-अलग फैन बेस है. और तो और एनिमे लवर्स के सामने दोनों का कंपैरिज़न करने की तो सोचना भी मत. दोस्ती तो टूटेगी, साथ ही पीटने-पाटने की नौबत भी आ सकती है. (Anime and Cartoon Difference)
ऐसी स्थिति न पैदा हो इसलिए जान लो कि कार्टून एनिमेशन का नॉन-रियल फॉर्म है. यानि इसमें दिखाए गए कैरेक्टर्स इमेजिन करके बनाए जाते हैं. जैसे कि मछलियों का आपस में बात करना, सूरज़ और आसमान की दोस्ती. इसमें दिखाई गई कहानियां वास्तविकता को दूर-दूर तक नहीं टच करतीं. इसकी टारगेट ऑडियंस 14 साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं. इसमें कोई भी सीरियस इश्यू पर बात नहीं की जाती, जो बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डाल सके. इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई थी. हालांकि, आज दुनिया के ज़्यादातर देश कार्टून शोज़ और फ़िल्में बनाते हैं. ‘डोरेमोन‘, ‘छोटा भीम‘, ‘स्कूबी डू‘ इसके उदाहरण हैं. वहीं, अगर एनिमे का लुत्फ़ उठाना हो तो ‘ड्रैगन बॉल ज़ी‘, ‘डेथ नोट‘ जैसी सीरीज़ देखिए. यकीनन आप निराश नहीं होंगे.
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है ना ये काफ़ी क़माल की चीज़.