बचपन में हर शनिवार कभी पेट में दर्द, तो कभी कान में दर्द होने लगता था, जो दोपहर 12 बजे तक ठीक हो जाता था. शुरुआत में घरवालों को भी समझ नहीं आया कि आखिर हर शनिवार ही तबियत क्यों ख़राब होती है, पर धीरे-धीरे उन्हें भी समझ आ गया कि ये सब शक्तिमान की वजह से हो रहा है.
वही शक्तिमान जिसे देखने के लिए मुझ जैसे न जाने कितने ही बच्चों के पेट में हर शनिवार दर्द हो जाता था. इस बात को शायद शक्तिमान और शक्तिमान के निर्माता भी समझ चुके थे तभी उन्होंने इसका प्रसारण शनिवार से हटा कर रविवार को कर दिया था, जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो. ये ख़बर सुनते ही अपनी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा.
अब शनिवार को बहाने बनाना छूट चुका था और रविवार सुबह से ही टेलीविज़न सेट से कुछ ऐसे चिपक जाते थे, जैसे चींटी शहद से. कभी हवा में घूमते हुए उड़ने वाला शक्तिमान, जब अंधेरे के राक्षसों से लड़ता था, तो ऐसा लगता था कि इसके आगे सुपरमैन, He Man और स्पाइडर मैन जैसे सभी विदेशी हीरो फे़ल हों. ऐसा हो भी क्यों न! आखिर शक्तिमान पहला ऐसा हीरो था, जिसे लोग हिंदुस्तान की मिट्टी से जुड़ा हुआ महसूस कर सकते थे. वो ऊंची-ऊंची बिल्डिंग्स पर ज़रूर उड़ता था आसमान में भी जाता था, आखिर में गंगाधर बन कर वापस लोगों के बीच आ जाता था.
शक्तिमान ख़त्म भी हो जाता, तो बेड पर उसकी तरह घूमने की कोशिश भी किया करते थे, जिससे कई बार तो ऐसी चोट आती कि चलना भी मुश्किल हो जाता, पर शक्तिमान के प्रति प्यार कभी कम नहीं होता. पता नहीं कैसे पर शक्तिमान तक भी ये ख़बर पहुंच गई थी कि उसकी तरह गोल-गोल घूमने की कोशिश करने के चक्कर में कई बच्चे ख़ुद को चोटिल कर रहे हैं. इसके बाद शक्तिमान के एक एपिसोड में Sorry Shaktimaan सेक्शन में शक्तिमान ने बच्चों को समझाया कि उसके पास कुछ सुपर पावर हैं, जिसकी वजह से वो ऐसा कर पाता है, तो ऐसा करने से पहले आप भी अपनी सुपर पावर को खोजिये.
उस समय शक्तिमान की सुपर पावर वाली बात मान ली, पर आज लगता है कि वो सुपर पावर वाली बात जैसे समझ आ गई कि कैसे उस समय बच्चे पर्दे के पीछे की कहानियों को नहीं समझ सकते थे इसलिए बच्चों के साथ बच्चा बनकर कितनी आसानी से शक्तिमान ने अपनी बात उनके दिल पर बैठा दी.
ऐसा नहीं कि उन दिनों शक्तिमान ही एकलौता शो रहा हो, जिसकी वजह से वो बच्चों का पसंदीदा हीरो बन गया. शक्तिमान ने अपनी ये जगह ‘कैप्टेन व्योम’ और ‘आर्यमान’ जैसे शोज़ को टक्कर देते हुए बनाई थी. इसके अलावा नया-नया शुरू हुआ कार्टून नेटवर्क बच्चों को अपनी तारीफ़ आकर्षित करने की भरसक कोशिश कर रहा था, पर शक्तिमान, तो शक्तिमान ही था, जिसकी वजह से क्या बच्चे और क्या बड़े सब दूरदर्शन से जुड़ने लग गए थे.
ढंग से याद नहीं पर कुछ साल पहले एक खबर पढ़ी थी कि जब मुकेश खन्ना शक्तिमान शो को टेलीविज़न पर लॉन्च करने की तैयारी कर रहे थे, तो बहुत से चैनल्स ने उनसे कॉन्टैक्ट किया और अपने चैनल पर शो लॉन्च करने को कहा, पर मुकेश खन्ना ने ये कहते हुए उन्हें मना कर दिया था कि ‘ये शो बच्चों के लिए है. अगर ये केबल टेलीविज़न पर ही दिखाया गया, तो देश के बहुत सारे बच्चे, जिनके घर पर केबल टीवी नहीं है, वो इसे नहीं देख पाएंगे और शक्तिमान का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा.’
अगर मुकेश चाहते तो शक्तिमान को किसी केबल टेलीविज़न चैनल पर दिखा कर अच्छा ख़ासा-पैसा कमा सकते थे, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया और बच्चों के लिए बनाये गए इस शो को बच्चों के लिए ही रहने दिया. शक्तिमान की ये कहानी मुझे उस समय आ कर पता चली, जब वो टेलीविज़न से दूर हो गया, पर ये कहानी जानने के बाद शक्तिमान के लिए दिल में और भी ज़्यादा प्यार पैदा हो गया.