कहते हैं ऊपर वाले ने हर किसी को ज़िन्दगी में एक साथी से नवाज़ा है, बस वो आपका प्यार, साथी, हमसफ़र कब और किस रूप में आपके सामने आएगा किसी को पता नहीं होता. ऐसा ही कुछ हुआ था अभिनेता, रेडिओ जॉकी और नेता सुनील दत्त के साथ. 

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सुनील दत्त साब को कौन नहीं जानता… वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. दत्त साब जितने संजीदा कलाकार थे उतने ही रोमांटिक भी. सुनील दत्त और नरगिस जी की प्रेम कहानी के कई किस्से आपने सुने होंगे कि कैसे एक फ़िल्म के सेट पर जहां दोनों मां-बेटे का किरदार निभा रहे थे. वहीं दोनों को एक-दूसरे से प्यार हुआ. और दोनों हमेशा के लिए एक बंधन में बंध गए.

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इस प्रेम कहानी की एक ख़ास बात और है, जिसके बारे में तो आप शायद ही जानते होंगे: 

‘मदर इंडिया’ में साथ करने से पहले ये दोनों कई बार फ़िल्मों के सेट पर तो कई बार मिले लेकिन ऑफिशियली दोनों इसी फ़िल्म के सेट पर मिले. एक इंटरव्यू में सुनील साब ने बताया कि नरगिस जी ने कई बार मेरी मदद भी की जब मैं इंडस्ट्री में नया था. और मदर इंडिया में साथ काम करने के बाद फ़िल्म मेरे किरदार के नाम (बिरजू) से ही नरगिस जी मुझे बुलाती थीं और हमारी शादी के बाद भी वो मुझे इसी नाम से ही बुलाती थीं. 

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कब और कैसे हुई थी इस प्रेम कहानी की शुरुआत? 

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मगर शायद आपको ये नहीं पता होगा कि इस प्रेम कहानी की शुरुआत कब, कैसे और कहां से हुई थी. दरअसल, फ़िल्मों में आने से पहले सुनील दत्त सीलोन रेडियो में बतौर रेडियो जॉकी काम किया करते थे और उनका पाला Acting के ‘A’ से भी नहीं पड़ा था. साफ़-साफ़ शब्दों में कहा जाए तो वो फ़िल्मों से कोसों दूर थे. मगर इसी रेडियो स्टेशन में उनकी पहली मुलाक़ात उस ज़माने की जानी-मानी और सुपरहिट एक्ट्रेस नरगिस से हुई थी. हुआ ऐसा था कि सुनील दत्त साब को रेडियो प्रोग्राम के लिए नरगिस जी का इंटरव्यू लेना था. पर इंटरव्यू में नरगिस जी सामने देखकर सुनील दत्त इतने नर्वस हो गए कि वो कुछ बोल ही नहीं पाए थे. 

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जब शुरू हो गया था मुलाकातों का सिलसिला: 

ये तो हुई सुनील दत्त और नरगिस जी की पहली मुलाक़ात की बात. अब बतातें हैं उनकी दूसरी मुलाक़ात की. उस समय बिमल रॉय फ़िल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ की शूटिंग कर रहे थे और सुनील दत्त जी वहां काम की तलाश में गए थे, तभी निर्देशक बिमल रॉय से मिलने पहुंची नरगिस जी. वहां सुनील दत्त को देखकर नरगिस जी को स्टूडियो वाला किस्सा याद आ गया और वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गईं. कुछ दिन गुज़र गए और फिर महबूब खान ने मदर इंडिया के लिए नरगिस और सुनील दत्त को साइन किया, मगर मां-बेटे के रोल में. इसी फ़िल्म के एक सीन के दौरान सेट पर आग लग जाने पर सुनील साब ने नरगिस जी की जान बचाई और धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार हो गया. 

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हालांकि, इस ख़ूबसूरत जोड़ी की शादी काफ़ी कंट्रोवर्शियल भी रही थी क्योंकि उस टाइम की ये पहले इतनी हाई प्रोफ़ाइल इंटर रिलिजन मैरिज थी. मगर ये कहाना गलत नहीं होगा कि नरगिस और सुनील दत्त की ये कहानी प्रेम करने वालों के लिए प्रेरणा है, जब कि आज का समाज दो प्यार करने वालों के लिए मुश्किलें कड़ी कर रहा है. 

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आपको बता दें कि, सुनील दत्त और उनकी नरगिस जी की जयंती जून महीने के पहले हफ्ते में ही आती है. नरगिस की जयंती 1 जून को होती है और सुनील दत्त जी की 6 जून को.