‘एक प्यार का नग़म है, मौजों की रवानी है

इस गाने को गाया है लता मंगेशकर ने और ये गाना फ़िल्म ‘शोर’ में थे. इस बेहद सटीक और सच्चे गाने को लिखा था संतोष आनंद जी ने. आनंद जी ने ही ‘प्रेम रोग’ का ‘मोहब्बत है क्या चीज़’, ‘ये गलियां ये चौबारा’, ‘तिरंगा’ का ‘पीले पीले ओ मोरे राजा’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ का ‘मैं ना भूलूंगा’ भी लिखा है. आनंद जी को 1974 और 1982 में बेस्ट लिरीसिस्ट का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी मिला.
अपने सफ़र के बारे में बात करते हुए आनंद जी ने कहा
बरसों बाद बंबई में आया हूं, अच्छा लग रहा है. एक उड़ते हुए पंछी की तरह मैं यहां आता था और चला जाता था. रात-रात भर जग कर मैंने गीत लिखे. मैंने गीत नहीं अपना ख़ून कलम से लिखा है. ये सबकुछ कलेजे से… कितना अच्छा लगता है वो दिन याद करके. आज तो मेरे लिए कभी-कभी ऐसा लगता है दिन भी रात हो गया.
-संतोष आनंद
आनंद जी की बातें एपिसोड में मौजूद सभी लोगों और दर्शकों की आंखें नम कर गईं.
मैं जीना चाहता हूं बहुत अच्छी तरह. पैदल जाते थे देवी यात्राओं पर, गर्मी में पीले कपड़े पहनकर. राम जी ने मुझ पर कृपा भी बहुत की थी, बहुत कुछ दिया भी था. सब कुछ कैसे चला गया, ये राम जी के कपाट किसने बंद कर दिए मुझे आज तक पता नहीं है.
-संतोष आनंद
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 2014 में आनंद जी के बेटे और बहू की मृत्यु हो गई.
‘जो बीत गया है वो अब दौर ना आएगाइस दिल में सिवा तेरे कोई और न आएगाघर फूंक दिया हमने अब राख उठानी हैज़िन्दगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है’
-संतोष आनेद

नेहा कक्कड़ ने आनंद जी के लिए कहा कि उनके लिखे हुए गीतों से हमने प्यार करना सीखा है, दुनिया के बारे में जाना है. नेहा ने आनंद जी को 5 लाख भेंट देने की बात कही.
लेकिन मैं कैसे… मैं कैसे करूं बड़ा स्वाभिमानी आदमी हूं. मैंने आज तक किसी ने नहीं मांगा, कुछ भी. मैं आज भी मेहनत करता हूं.
-संतोष आनेद
इस पर नेहा कक्कड़ ने कहा कि ये आपकी पोती की तरफ़ से है, जिस पर आनंद जी ने कहा ‘उसके लिए स्वीकार करूंगा.’