महेश भट्ट की गिनती बॉलीवुड के जाने-माने फ़िल्म निर्माता और निर्देशकों में होती है. उनकी अधिकतर फ़िल्में प्यार और धोखे के कॉन्सेप्ट के आस-पास घूमती हैं. उन्होंने इंडस्ट्री को कई सुपरहिट फ़िल्में दी हैं. इनमें ‘अर्थ’, ‘सारांश’, ‘नाम’, ‘सड़क’, ‘ज़ख्म’, ‘जिस्म’, ‘राज’ ‘मर्डर’ जैसी फ़िल्मों के नाम शामिल हैं.
मगर एक दौर था जब उनकी एक के बाद एक कई फ़िल्में फ़्लॉप हो रही थीं. तब महेश भट्ट की एक फ़िल्म के सीन ने उनकी ज़िंदगी बदल दी. उस फ़िल्म से जुड़ा क़िस्सा आज हम आपके लिए लेकर आए हैं.
बात उन दिनों की है जब महेश भट्ट ने इंडस्ट्री में पैर जमाना शुरू ही किया था. उनकी पहली चार फ़िल्में फ़्लॉप हो चुकी थीं. पांचवीं फ़िल्म अर्थ का फ़र्स्ट डे फ़र्स्ट शो दिल्ली के प्लाज़ा हॉल में चल रहा था. महेश भट्ट टेंशन में थे और सिनेमा हॉल के बाहर इधर उधर घूम रहे थे. कुछ देर बाद वो अंदर चले गए.
इस वक़्त फ़िल्म के आख़िरी सीन में हीरो (कुलभूषण खरबंदा) अपनी पहली पत्नी(शबाना आज़मी) से माफ़ी मांग रहा होता है. वो अपनी पहली पत्नी को किसी दूसरी औरत के लिए उसे छोड़ देता है. अब अपनी ग़लती का एहसास होने पर पति वापस पहली पत्नी के पास वापस लौट आया है और माफ़ी मांग कर नई शुरुआत कहने को कहता है.
उसके जवाब में पत्नी कहती है कि- ‘क्या मैं भी ऐसा करती तो क्या तुम मुझे माफ़ कर देते.’ तब पति कहता नहीं. इस पर पत्नी कहती है- ‘गुड बॉय इंदर’. इस सीन के बाद सिनेमा हॉल के अंदर सन्नाटा छा जाता है. दो मिनट बाद पहली लाइन में बैठे दर्शक तालियां बजाने लगते हैं और पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है.
हॉल में बैठे महेश भट्ट ये नज़ारा देख रोने लगे थे. तब उन्होंने रोते हुए कहा था- ‘मेरी फ़िल्म हिट हो गई. हिंदुस्तान के फ़्रंट बेंचर्स ने मेरी फ़िल्म को पसंद कर लिया है.’
इस फ़िल्म के बाद से ही महेश भट्ट की ज़िंदगी बदल गई. उनकी पहचान इंडस्ट्री में एक निर्देशक के तौर होने लगी. मतलब इस फ़िल्म के बाद ही उनका करियर पटरी पर आया था. महेश भट्ट से जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं.
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