Motu Patlu Ki Jodi: न ढेला..न दमड़ी…न कौड़ी… मोटू और पतलू की जोड़ी, इस जोड़ी को तो सब जानते ही होंगे. ये दोनों वो कार्टून कैरेक्टर हैं, जो फ़िक्शनल टाउन ‘फुरफुरी नगर’ में रहते हैं, लेकिन हर घर के सदस्य बन चुके हैं. इनकी कद काठी लोगों को ख़ूब पसंद आती है. मोटू गोल-मटोल है और लाल-काले रंग के कपड़े पहनता है तो पतलू पतला सा है और पीले रंग के कपड़े पहनता है. पतलू के पास मैजिक है, जिससे वो अपने हाथ लंबे करके कितनी भी दूर का सामान उठा लेता है. इस सीरीज़ में मोटू-पतलू के अलावा, डॉ. झटका, इंस्पेक्टर चिंगम, घसीटाराम, जॉन, बॉक्सर, नम्बर 1, नम्बर 2 और चायवाला ये सभी कैरेक्टर भी अपनी एक ख़ास जगह बना चुके हैं.

Motu Patlu
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बच्चों को हंसाने-गुदगुदाने के अलावा सीख देने वाले इस कार्टून सीरीज़ को 16 अक्टूबर 2012 को Nickelodeon चैनल पर हुई थी. अब ये कार्टून अपने 10 साल पूरे (10 Years of Motu-Patlu) कर चुका है. टॉप 5 पर रहने वाले इस कार्टून के पूरे भारत में 7 भाषाओं में 28.90 करोड़ व्यूअर्स हैं.

Motu Patlu Ki Jodi

चलिए, जानते हैं कि मोटू-पतलू (Motu-Patlu) कैसे हमारी ज़िदंगी का हिस्सा बनें?

मोटू-पतलू की शुरुआत मायापुरी मैगज़ीन के संस्थापक आनंद प्रकाश बजाज जिन्हें एपी बजाज भी कहते हैं उन्होंने की थी. इन्होंने 1969 में द्विभाषी कॉमिक मैगज़ीन ‘लोटपोट’ (Lotpot) की शुरुआत की क्योंकि वो चाहते थे कि वो बच्चों के मनोरंजन के लिए कुछ करें. इसी के चलते इन्होंने 1971 में लोटपोट कॉमिक्स में कार्टूनिस्ट प्राण का चाचा चौधरी कार्टून कैरेक्टर को बच्चों से मिलाया. इन सभी कैरेक्टर के जन्मदाता क्रिएटर कृपा शंकर भारद्वाज थे. एपी बजाज ने अपने अरोरबंस प्रेस का नाम बदलकर 1967 में मायापुरी कर दिया.

Motu Patlu Ki Jodi
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कॉमिक्स की डिज़ाइनिंग कृपा शंकर भारद्वाज ने की थी, लेकिन इसके एनिमेशन कैरेक्टर को दिल्ली के डॉ. हरविंदर मानकर ने डिज़ाइन किया है, जिन्हें बचपन से कार्टून कैरेक्टर बनाने का सौक़ था. वो एक फ़ेमस कार्टूनिस्ट, चित्रकार, लेखक और निर्देशक हैं.

Motu Patlu Ki Jodi
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मोटू-पतलू रोज़ कोई न कोई मुसीबत में फंस जाते हैं और फिर पतलू की सूझ-बूझ से दोनों ही मुसीबत से बाहर आ जाते हैं. मोटू को समोसे की ख़ुशबू इतनी पसंद है कि समोसा उसकी ताक़त और कमज़ोरी दोनों है. किरदार मोटू-पतलू, Laurel और Hardy (लॉरेल और हार्डी) पर बेस्ड हैं. मोटू-पतलू दोनों इतने अच्छे दोस्त हैं कि बच्चे उनसे दोस्ती के साथ-साथ बहुत सी ज्ञान की बातें सीखते हैं. डॉ. झटका डॉक्टर-कम-साइंटिस्ट हैं और घसीटाराम तो हर काम में अपने 20 साल का तजुर्बा बताने लगते हैं.

Laurel और Hardy
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एपी बजाज के बेटे पी. के. बजाज ने YourStory Hindi को बताया कि,

उनके पिता जानते थे कि आने वाला समय प्रिंटेड कॉमिक्स का नहीं, बल्कि एनिमेशन कॉमिक्स का होगा. इसलिए उनकी सलाह मानते हुए, एपी बजाज के पोते और पीके बजाज के बेटे मायापुरी ग्रुप के एमडी और सीईओ अमन बजाज ने कार्टून एनिमेशन में क़दम रखा. इसके लिए 1990 में ग्रुप ने 20 एप्पल कंप्यूटर ख़रीदे.

Motu Patlu
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आगे बताते हैं,

इस सीरीज़ को कोई भी टीवी पर टेलीकास्ट करने को तैयार नहीं था क्योंकि सबको इंटरनेशनल कार्टून कैरेक्टर चाहिए थे. मोटू-पतलू की 2:30 मिनट की एक क्लिप बनाई गई ती, जिसे सब रिजेक्ट कर रहे थे. तब मोटू-पतलू का एक सर्वे किया गगया, जिससे ये पता लगाया गया कि कितने लोग भारतीय कार्टून कैरेक्टर चाहिए. इस सर्वे में मोटू-पतलू को पॉज़ीटिव रिस्पॉन्स मिला फिर इसके 26 एपिसोड टेलीकास्ट किए गए.

मोटू-पतलू टीवी सीरीज़ को नीरज विक्रम ने लिखा है, जो ‘सोनपरी’ और ‘शाका लाका बूम बूम’ किड्स शो लिख चुके हैं. इसे Cosmos-Maya-Studios और Viacom 18 ने प्रोड्यूस किया है. इसके टाइटल सॉन्ग को संदेश शांडिल्य ने कंपोज़ किया है और गाया सुखविंदर सिंह ने है.

Motu Patlu
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आपको बता दें, भारत में ऑस्ट्रियन एंबेसी के लिए ‘मोटू-पतलू इन ऑस्ट्रिया’ कॉमिक बुक्स को रिलीज़ किया गया है. इसके अलावा, साल 2017 में मोटू पतलू को बेस्ट एनिमेशन शो अवॉर्ड मिला था. तो वहीं, साल 2019 में दिल्ली के मैडम तुसाद म्यूज़ियम में मोटू-पतलू के स्टैच्यू का उद्घाटन किया गया था.