अभिनेता मनोज बाजपेयी एक अभिनेता नहीं हैं, बल्कि वो अभिनय का एक इंस्ट्यूट हैं, जहां लोग अभिनय की बारीक़िया सीख सकते हैं. अभिनय में तो उनका कोई सानी नहीं हैं, साथ ही कविताओं को गढ़ने में भी उनका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता. मनोज बाजपेयी अक्सर ‘दिनकर’ की कविताओं को कहते रहते हैं, जिसका वीडियो भी वो अपलोड करते हैं और कविताओं को गढ़ने की उनकी कला कमाल की हैं. साथ ही मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) की आवाज़ उस कविता को चेहरा दे देती है. हालही में, मनोज बाजपेयी(Manoj Bajpayee)फिर एक वीडियो में कविता सुनाते देखे गए हैं, जो वीडियोपिछले दो दिन से वायरल हो रहा है. ये कविता फ़िल्ममेकर मिलाप ज़ावेरी ने लिखी है और वीडियो कॉन्सेप्ट भी उन्हीं का है.

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस कविता का शीर्षक है ‘भगवान और ख़ुदा आपस में बात कर रहे थे. मंदिर और मस्जिद के बीच चौराहे पर मुलाक़ात कर रहे थे, ये हाथ जोड़े हुए हों या फिर दुआ में उठे कोई फर्क नहीं पड़ता है. कोई मंत्र पड़ता है तो कोई नमाज़ पड़ता है.’ 2 मिनट की इस कविता के ज़रिए वो देश में बढ़ रही हिंदू-मुस्लिम को खाई को पाटने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं. मनोज सौहार्द की भावना को इस कविता (Manoj Bajpayee Poem) के ज़रिए दर्शा रहे हैं. इस कविता को अबतक ढाई हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है और 7 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. 

दरअसल, ये कविता दो साल पुरानी है, लेकिन देश की ख़राब होती स्थिति के बीच ये कविता दोबारा वायरल हो रही है. इस पर मिलाप ज़ावेरी का कहना है कि, कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होने के कारण ये वीडियो दोबारा से सामने आया है इसीलिए मैंने इसे शेयर किया है. इसके अलावा, PTI से कहा,

हाल ही में कुछ ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घटीं, जिसके चलते दो समुदाय आपस में लड़ते दिके ऐसे में ये कविता लोगों के बीच वायरल हो गई.

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इस कविता को लोग ट्विटर पर जमकर सरहा रहे हैं. ये रहीं उनकी प्रतिक्रियाएं:

आपको बता दें, मिलाप ज़ावेरी की ये कविता पहली बार मई 2020 में शेयर की गई थी.

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