बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने साल 2001 में आई फ़िल्म ‘अक्स- द रिफलेक्शंस’ से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया था. ये एक सुपरनेचुरल एक्शन फ़िल्म थी जिसमें अमिताभ बच्चन, मनोज बाजपेयी, नंदिता दास, रवीना टंडन जैसे स्टार्स थे. इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर ठीक-ठाक ही बिज़नेस किया था मगर इसके लिए अमिताभ बच्चन(Amitabh Bachchan) को फ़िल्मफ़ेयर का बेस्ट एक्टर क्रिटिक्स का अवॉर्ड मिला था.
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वहीं मनोज बाजपेयी(Manoj Bajpayee) को बेस्ट नेगेटिव एक्टर की कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला था. इस फ़िल्म से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें मनोज बाजपेयी अपने एक इंटरव्यू में शेयर की हैं. उन्होंने इस फ़िल्म में निभाए गए अपने नेगेटिव किरदार के बारे में बहुत से ख़ुलासे भी किए हैं.
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मनोजब बाजपेयी बताते हैं कि इस फ़िल्म के रोल के लिए उन्होंने ख़ूब मेहनत की थी. ओम प्रकाश मेहरा ने इसे बहुत ही मेहनत से गढ़ा था. इस किरदार के बारे में मनोज कहते हैं-‘बुराई तेज़तर्रार और ख़तरनाक हो सकती है, ये मनोरंजक और लालची हो सकती है, ये एक प्रेमी हो सकता है और ये एक विध्वंसक हो सकता है और मुझे ये सब एक चरित्र में लाना था.’
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बस फिर क्या था इसके बाद मनोज बाजपेयी और ओमप्रकाश मेहरा ने मिलकर इस किरदार को पर्दे पर उतारने की कोशिश शुरू कर दी. वो 5-6 महीने तक लगातार ओमप्रकाश मेहरा के घर जाते रहे. उन्होंने राघवन घाटगे के किरदार के लिए कॉस्ट्यूम भी डिज़ाइन करने में मदद की. यही नहीं उसके मास्क वाला आइडिया भी मनोज बाजपेयी ने ही दिया था.
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ओमप्रकाश मेहरा चाहते थे कि मनोज बाजपेयी Jack Nicholson, Mark Hamill और Heath Ledger के जोकर वाले नेगेटिव किरदार की तरह ही इस रोल को निभाएं. इसके लिए उन्होंने राघवन घाटगे की चाल-ढाल और बोलचाल पर भी काम किया. मनोज ने भी उन्हें निराश नहीं किया वो जैस कहते उस तरह किरदार को तैयार करने में लगे रहे.
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फ़िल्म की शूटिंग को याद करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार एक सीन में वो भेड़िये का शिकार होते-होते बचे थे. उससे जान बचाने के लिए वो एक वैन पर जा कूदे थे. एक और सीन की बात करते हुए कहा कि बुडापेस्ट में माइनस 10 डिग्री में उन्होंने शूटिंग की थी. तब उनका शरीर ठंड के मारे कंपकपा रहा था.
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इतनी मेहनत करने के बाद हमारे सामने एक अलग तरह का विलेन राघवन घाटगे निकलकर पर्दे पर सामने आया था. मनोज बाजपेयी कहते हैं जब अमिताभ बच्चन ने फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड लेते हुए उनकी तारीफ़ की थी तब मनोज ने अपनी मेहनत को सफ़ल माना था.