कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते लाखों प्रवासी मज़दूर देशभर के अलग-अलग हिस्सों में फंस गए. अपने घर पहुंचने के लिए इन मज़दूरों ने सरकार से बार-बार फ़रियाद लगाई, लेकिन नतीज़ा हम सड़कों पर सैकड़ों किमी की दूरी पैदल ही तय कर रहे इन मज़दूरों की आंखों में देख सकते हैं. हालांकि, तमाम लोग अपने-अपने स्तर पर इन प्रवासी मज़दूरों की मदद कर रहे हैं. इनमें भी सबसे ऊपर बॉलिवुड एक्टर सोनू सूद का नाम दर्ज है.

इस कठिन समय में वो लगातार प्रवासी मज़दूरों की मदद कर रहे हैं. कभी लॉकडाउन में ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को राशन पहुंचाते दिख रहे हैं तो कभी इन बेसहारों को घर पहुंचाने के लिए बसों का इंतजाम कर रहे हैं. उनकी इसी कोशिशों का नतीजा है कि अब तक सैकड़ों मज़दूर अपने घर सकुशल पहुंच पाए हैं. सोशल मीडिया से लेकर ग़रीब मज़दूरों के दिलों तक सोनू सूद के लिए प्यार और सम्मान कई गुना बढ़ गया है. ऐसे ही उनकी मदद से घर पहुंची बिहार की एक गर्भवती मज़दूर महिला भी है, जिसने उन्हें बेहद ख़ास ढंग से शुक्रिया अदा किया है.
मुंबई से बिहार के दरभंगा पहुंची गर्भवती महिला ने अपने बच्चे का नाम सोनू सूद रख दिया है. इस बात का खुलासा एक इंटरव्यू के दौरान ख़ुद सोनू सूद ने किया. उन्होंने कहा, ‘मैंने जिन लोगों को घर भेजा उनमें से एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया और उसका नाम मेरे नाम पर रखा है.’

‘मैंने टीम के साथ मिलकर 12 मई को प्रवासी मज़दूरों का एक ग्रुप मुंबई से बिहार के दरभंगा के लिए रवाना किया था. जिसमें में दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल थीं. इनमें से एक को घर पहुंचते ही बच्चा हुआ. उन्होंने फ़ोन कर मुझे ये ख़ुशखबरी दी और बताया कि बेटे का नाम सोनू सूद रखा है.’
हालांकि, जब मैंने उनसे पूछा कि सोनू सूद कैसे हो सकता है, आप तो श्रीवास्तव है न? उसका नाम तो सोनू श्रीवास्तव होना चाहिए. इस पर महिला ने कहा कि ‘नहीं हमने बच्चे का नाम सोनू सूद श्रीवास्तव रखा है.’ सोनू ने कहा कि ये बेहद प्यारा था. इसने मेरे दिल को छू लिया.

जिस तरह से सोनू सूद इन प्रवासी मज़दूरों की मदद कर रहे हैं, उसकी हर तरफ़ सराहाना हो रही है. महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोशयारी ने उनकी फ़ोन कर तारीफ़ की. सोनू सूद का कहना है कि ये उनके लिए सम्मान की बात है. सोनू ने बताया, उन्होंने मेरे काम की तारीफ़ की, साथ ही कहा कि हमें मिलना चाहिए, कल परसों आओ कॉफ़ी पीते हैं.
सोनू सूद ने बताया कि उन्हें हर रोज़ देशभर से क़रीब 56 हज़ार मैसेज आते हैं. ये चैलेंज है लेकिन मदद करना भी सुकून देने वाला है. ‘भगवान क्या-क्या कराता है और क्या-क्या सिखाता है. ये अमेजिंग है.’