वेब सीरीज़ मिर्ज़ापुर-2 इन दिनों चर्चा में है. हाल ही में रिलीज़ हुई इस वेब सीरीज़ की कहानी पॉवर, पॉलिटिक्स और बदले के इर्द-गिर्द घूमती है. इसमें एक ख़ास किरदार है, मुन्ना भईया. इनकी स्टोरी कुछ-कुछ रियल लाइफ़ गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी से मिलती है. 

हालांकि, वेबी सीरीज़ निमार्ता का कहना है कि ये किरदार फ़िक्शनल यानी काल्पनिक है, लेकिन अगर आप मुन्ना बजरंगी की स्टोरी जानेंगे तो आप भी इस इत्तेफ़ाक से सहमत नज़र आएंगे. चलिए जानते हैं पूर्वांचल/मिर्ज़ापुर के कुख़्यात गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी के बारे में… 

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मुन्ना बजरंगी उर्फ़ प्रेम प्रकाश सिंह को एक ज़माने में मिर्ज़ापुर का किंग कहा जाता था. वो असल में गैंगस्टर था जो गोलियों से ज़्यादा बातें करता था. इसने क़रीब 40 लोगों का मर्डर किया था. मिर्ज़ापुर और पूर्वांचल में लोग उसका नाम सुनते ही कांपने लगते थे. 

17 साल की ही उम्र में की थी पहली हत्या 

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कालीन का धंधा इन्होंने भी बचपन में किया. 17 साल की उम्र में की थी पहली हत्या. इस तरह कालीन भैया कहलाए(कटाक्ष पढ़िए). लेकिन ये धंधा रास नहीं आया तो कट्टे यानी गन्स का धंधा शुरू कर दिया. अब जब पूर्वांचल में पॉकेट में गन और ख़ूब पैसा हो तो माथा वैसे ही गरमा जाता है.

मुख्तार अंसारी के राइट हैंड

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तो धीरे-धीरे फ़ेमस होने लगे मुन्ना बजरंगी के रूप में. जौनपुर में एक गैंगस्टर के साथ हो लिए ख़ूब अवैध खनन और कट्टे का व्यापार किया. फिर पहुंच गए डॉन/पॉलिटिशियन मुख्तार अंसारी के पास. कुछ ही दिनों में उनके खासम ख़ास हो गए माने राइट हैंड.

दिन दहाड़े बीजेपी के एमएलए की की थी हत्या

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अब उनके कहने पर बीजेपी के कद्दावर नेता कृष्णानंद राय और बाद में रामचंद्र सिंह का मर्डर कर दिया. मुन्ना बजरंगी को समाजवादी पार्टी का कथित तौर पर सपोर्ट था. कहते हैं अपने बाहुबल के दम पर उसने कई ग़ैरक़ानूनी काम किए और करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया.

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मुन्ना बजरंगी के बारे में एक और बात फ़ेमस है. कहते हैं यूपी में गैंगवॉर में AK47 का चलन इसने ही शुरू किया था. क़रीब दो दशक तक इन्होंने यूपी में ख़ूब आतंक मचाया. अब ये यूपी पुलिस की आंखों में खटकने लगे थे पर धरे नहीं जा रहे थे. सो पुलिस ने मुन्ना बजरंगी पर लाखों का इनाम रख दिया. 

मुंबई में रहा था छिपकर

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लेकिन ख़ौफ के मारे किसी ने कोई मुखबरी नहीं की. अब यूपी पुलिस का लक ही था कि इनके रिश्ते मुख्तार अंसारी से ख़राब हो गए. दरअसल, मुन्ना बजरंगी भी पॉलिटिक्स में आना चाहता था. वो एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था. जिसके चलते उसका मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी ख़राब हो गया. पुलिस हाथ धोकर पीछे पड़ी थी और सिर पर किसी का हाथ भी नहीं रहा तो चुपचाप मुन्ना बजरंगी मुंबई चले आए. 

जेल में हुआ अंत

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यहां वो सबकी निगाहों से बचकर मलाड में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहे थे. लेकिन पुलिस को इनका पता चल गया और 29 अक्टूबर 2009 को धर लिए गए. मुकदमा चला, जेल पहुंचे. जेल में भी वही दादागीरी चालू. तो एक गैंगस्टर से लड़ाई हो गई. उसने यानी सुनील राठी (पश्चिम यूपी का डॉन) ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर जेल में ही इनकी हत्या कर दी. अंदर की बात ये है कि कोई झगड़ा नहीं हुआ था. उसके दुश्मनों ने ही प्लान बना कर उसकी जेल में हत्या करवा दी थी. 

तो मुन्ना भईया और मुन्ना बजरंगी की स्टोरी में काफ़ी समानताएं हैं. इसलिए लोग मिर्ज़ापुर के इस कैरेक्टर को इनसे ही प्रेरित बता रहे हैं. अपनी राय कमेंट बॉक्स में शेयर करना मत भूलिएगा.