भारत (India) में आज भी अगर शादी से पहले किसी का बच्चा हो गया, तो उस बच्चे को ‘नाजायज़ औलाद‘ कहकर संबोधित किया जाता है. समाज ऐसे कपल, ख़ासकर महिलाओं को नीची नज़रों से देखता है. मानो जैसे उन्होंने कोई गुनाह कर दिया हो. आज भी भारत की लगभग 95 प्रतिशत आबादी शादी से पहले किए गए बच्चे को स्वीकार नहीं करती है. किसी भी क़ानून में ऐसा नहीं लिखा है कि आप शादी से पहले बच्चा नहीं कर सकते. ये हर व्यक्ति की अपनी चॉइस पर निर्भर करता है. बायोलॉजी या मदरहुड का आपके मैरिटल स्टेटस से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, बॉलीवुड ने अपनी फ़िल्मों के ज़रिए कुछ हद तक इस सामाजिक कलंक को मिटाने की कोशिश की है.

आइए आपको हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की कुछ ऐसी ही मूवीज़ (Movies About Pregnancy) के बारे में बताते हैं.

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Movies About Pregnancy 

1. पा

इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चनअभिषेक बच्चन और विद्या बालन ने बेहतरीन भूमिका निभाई है. ये फ़िल्म ‘ऑरो‘ की स्टोरी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ‘प्रोजेरिया’ नामक जेनेटिक डिसऑर्डर से ग्रसित है. ये एक ऐसा रोग है, जिसमें लोगों में कम उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते हैं. ऑरो अपनी मां के साथ रहता है, जो उसकी सिंगल पेरेंट की तरह परवरिश करती है. उसकी मां को उसके बॉयफ्रेंड ‘अनमोल‘ ने कई साल पहले छोड़ दिया होता है. ऑरो उन्हीं का बच्चा होता है. कहानी तब अहम मोड़ लेती है, जब ऑरो की यंग राजनेता अनमोल से दोस्ती हो जाती है. उसे ये नहीं पता होता है कि अनमोल ही उसका पिता है.

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2. सलाम नमस्ते

सलाम नमस्ते फ़िल्म में निक (सैफ़ अली ख़ान) को अंबर (प्रीति ज़िंटा) से प्यार हो जाता है. वो अंबर को अपने साथ लिव-इन में रहने के लिए मनाता है और फिर वो दोनों साथ में रहने लगते हैं. दोनों समय के साथ एक-दूसरे के क़रीब आने लगते हैं. स्थितियां तब बदलती हैं, जब अंबर प्रेग्नेंट हो जाती है. इस बदलाव से कपल के बीच भी काफ़ी कुछ चेंज हो जाता है. (Movies About Pregnancy)

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3. हे बेबी

हे बेबी फ़िल्म में 3 दोस्त आरुष (अक्षय कुमार), अली (फ़रदीन ख़ान) और तन्मय (रितेश देशमुख) ऑस्ट्रेलिया में एक साथ लग्ज़री लाइफ़ जी रहे होते हैं. एक दिन चीज़ें तब बदलती हैं, जब दरवाज़े पर उन्हें एक न्यू बॉर्न बेबी गर्ल मिलती है. वो शुरुआत में इसको देखकर शॉक हो जाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे वो बच्चे से लगाव महसूस करने लगते हैं. वो ईशा से भी लड़ते हैं, जब कुछ महीनों बाद वो अपना बच्चा वापस लेने आती है. बाद में ईशा बताती है कि ये बच्चा आरुष का है, जब उन्होंने एक पार्टी में एक रात साथ में गुज़ारी थी. वो उस बच्चे को इतने समय से अकेले पाल रही थी.  

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4. क्या कहना

ये फ़िल्म उस वक़्त आई थी, जब इस इश्यू के बारे में बात करना भी पाप माना जाता था. ये फ़िल्म एक यंग महिला प्रिया (प्रीति ज़िंटा) का दर्द बताती है, जो अपनी चॉइस को सबके सामने रखने में घबराती नहीं है. शादी से पहले प्रेग्नेंट होने के चलते और अपने लवर व परिवार के द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद, वो बहादुरी से समाज की कड़वाहट को झेलते हुए सिंगल मदर बनने का फ़ैसला करती है. (Movies About Pregnancy)

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5. जूली

जूली फ़िल्म में एक ऐसी लड़की की कहानी दिखाई गयी है जिसके पिता शराबी होते हैं. जूली को अपनी बेस्ट फ्रेंड के भाई से प्यार हो जाता है, जोकि एक हिंदू लड़का होता है. वो दोनों एक-दूसरे के क़रीब आते हैं, जिसके चलते वो प्रेग्नेंट हो जाती है. जूली की मां को जब उसकी प्रेग्नेंसी का पता चलता है, तब वो उसे एबॉर्शन कराने पर ज़ोर देती हैं. हालांकि, एक धर्म निष्ठ ईसाई इस बारे में उनसे बात करता है, जिसके बाद जूली को अपने बच्चे की सीक्रेट तरीके से परवरिश करने के लिए कहीं दूर भेज दिया जाता है. ये मूवी उन कठोर परिस्थितियों पर प्रकाश डालती है, जिसमें शादी से पहले प्रेग्नेंट हो जाने पर महिलाओं को धकेल दिया जाता है. 

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6. मुझे इंसाफ़ चाहिए

साल 1983 में रिलीज़ हुई इस मूवी ने उस वक़्त काफ़ी सनसनी मचा दी थी. ये फ़िल्म ‘मालती’ की कहानी और उसके संघर्ष के इर्द-गिर्द घूमती है, जब उसका बॉयफ्रेंड सुरेश उसे प्रेग्नेंसी की हालत में छोड़ देता है. वो बेबी को रखने का फ़ैसला करती है और ‘सुरेश’ के खिलाफ़ क़ानूनी एक्शन लेती है. उसका केस एक महिलाओं के हक़ के लिए लड़ने वाली वकील ‘शकुंतला’ लड़ती है. ये फ़िल्म बिना शादी के एक महिला के प्रेग्नेंट होने पर लोगों के दोगुलेपन को दर्शाती है. (Movies About Pregnancy) 

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7. बदनाम गली

ये फ़िल्म एक सरोगेट मदर की जर्नी को दिखाती है, जिसके कैरेक्टर पर हमेशा सवाल खड़े किए जाते हैं. हालांकि, उसे पता होता है कि उसे क्या चाहिए और वो समाज की परवाह किए बगैर वही करती है, जो उसे करना होता है. इस फ़िल्म में पत्रलेखा पॉल और दिव्येंदु शर्मा लीड रोल्स में हैं.

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8. मिमी

ये फ़िल्म मराठी मूवी ‘Mala Aai Vhhaych‘ की रीमेक है. ये फ़िल्म एक सरोगेट मां के बारे में है, जो बच्चे को जन्म देने और उसकी परवरिश अकेले करने का फ़ैसला तब करती है, जब उसके बायलॉजिकल पेरेंट्स बच्चे के ‘डाउन सिंड्रोम’ होने का पता चलने के बाद विदेश भाग जाते हैं.

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9. त्रिशूल

इस फ़िल्म में ‘राज’ किसी अमीर लड़की से शादी करने के लिए शांति को छोड़ देता है. अपनी शादी के दिन उसे पता चलता है कि उसकी एक्स-गर्लफ्रेंड प्रेग्नेंट है और ये बच्चा उन दोनों का है. सिंगल मदर के तौर वो अपनी मृत्यु तक उस बच्चे की अकेले परवरिश करती है. चीज़ें तब उलझती है, जब उसका बच्चा अपने पिता से उन घावों का बदला लेने का प्रण लेता है, जो उसके पिता ने उसकी मां को दिए थे. 

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इन फ़िल्मों ने समाज का नज़रिया बदलने का काम किया है.