समय-समय पर बॉलीवुड सामजिक मुद्दों पर फ़िल्में बना कर, दर्शकों को देश के हालातों से रू-ब-रू करवाता आ रहा है. इसी क्रम में बॉलीवुड में कई मूवीज़ देश के अलग-अलग राज्यों पर भी बनाई गई हैं. इन फ़िल्मों में न सिर्फ़ उन शहरों की आब-ओ-हवा से वाकिफ़ कराया, बल्कि वहां के लोगों की समस्याओं को भी खुल कर सामने रखा है.

आइये जानते हैं अब तक बॉलीवुड भारत के किन-किन राज्यों पर फ़िल्में बना चुका है :

1. उत्तर प्रदेश

‘मुक्काबाज़’

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ये फ़िल्म बरेली की तंग गलियों में करियर को लेकर हंसीन सपने देखने वाले युवक श्रवण सिंह नामक मुक्केबाज़ पर आधारित थी. छोटे शहर के एक खिलाड़ी को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, फ़िल्मों में काफ़ी अच्छे से दर्शाया गया है.

‘बैंडिट क्वीन’

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ये फ़िल्म दस्यु सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर बनाई गई थी. शुरुआत में मूवी को लेकर काफ़ी विरोध किया गया, लेकिन फिर बाद में इसे न्यायालय से स्वीकृति मिल गई.

‘मसान’

इस फ़िल्म की शूटिंग पवित्र नगरी बनारस में की गई थी. फ़िल्म में छोटे कस्बे या गांव में शहर बनने की एक कसक की झलक देख सकते हैं.

‘तलवार’

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विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित ये फ़िल्म नोएड स्थित आरूषी-हेमराज मर्डर केस पर बनाई गई थी.

‘तनु वेड्स मनु’

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छोटे शहर की लड़कियां कितनी बिंदास और ग्लैमरस होती हैं, ये जानने के लिए आपको एक बार ये फ़िल्म ज़रूर देखनी चाहिए.

2. मध्य प्रदेश

‘पीपली लाइव’

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आमिर खान स्टारर फ़िल्म पीपली लाइव भारत के भीतरी इलाकों में रहने वाले लोगों की कहानी है, जो कि अब भारतीय सिनेमा में दिखाई नहीं पड़ते और न ही कोई उनकी सुध लेना चाहता है.

‘पान सिंह तोमर’

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कैसे एक सेना का जवान इंटरनेशनल एथलीट बन कर बागी बनने पर मजबूर हो जाता है, ये सब इस फ़िल्म में काफ़ी बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है.

‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’

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अलंकृता श्रीवास्‍तव द्वारा निर्देशित फ़िल्म ल‍िपस्टिक अंडर माई बुर्का महिलाओं की आकांक्षाओं की कहानी बयां करती है, फिर चाहे वो किसी भी उम्र, धर्म या समाज से आती हों.

3. छत्तीसगढ़

‘न्यूटन’

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ये फ़िल्म नक्‍सल प्रभावित इलाके में सालों बाद इलेक्‍शन कराने जैसे विषय पर बनाई गई थी. इसे भारत की ओर से विदेशी भाषा में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के ऑस्‍कर सम्मान के लिए आधिकारिक एंट्री भी मिली थी.

4. झारखंड

‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’

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गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में 1947 से 2004 के बीच बनते-बिगड़ते वासेपुर शहर की कहानी को पेश किया गया है, जहां कोल और स्क्रैप ट्रेड माफ़िया का जंगल राज चलता है.

‘एम.एस. धोनी’

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अगर आप टीम इंडिया के कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी के फ़ैन हैं, तो ये फ़िल्म आपने ज़रूर देखी होगी. धोनी का जीवन कितना उतार-चढ़ाव भरा रहा है, फ़िल्म में काफ़ी नज़दीक से दिखाया गया है.

5. ओडिशा

‘बुधिया सिंह : बॉर्न टू रन’

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इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे हमारे देश की राजनीति, खेल की प्रतिभाओं का गला घोट देती है. फ़िल्म में इस मुद्दे को बख़ूबी पेश किया गया है.

6. पंजाब

‘उड़ता पंजाब’

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पंजाब के युवा किस तरह ड्रग्स के नशे में लिपटे हुए हैं और वहां की सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. इस मुद्दे को फ़िल्म में अच्छे से बयां किया गया है.

7. राजस्थान

‘पार्च्ड’

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गांवों में टीवी और मोबाइल तो पहुंच गए हैं, लेकिन महिलाओं के प्रति पुरुषों के नज़रिए में ज़रा भी बदलाव नहीं आया, फ़िल्म की कहानी इसी विषय पर आधारित है.

‘धनक’

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फ़िल्म ‘धनक’ की कहानी राजस्थान के एक छोटे से गांव के दो अनाथ बच्चों पर आधारित है, जो शाहरुख़ खान के बहुत बड़े फ़ैन हैं.

8. गुजरात

‘काय पो छे’

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हमारा भारतीय समाज किस तरह क्रिकेट, धर्म और राजनीति के इर्द-गिर्द घूमता है, ये सब कुछ ‘काई पो छे’ की कहानी में साफ़ देखने को मिलता है.

9. जम्मू एंड कश्मीर

‘हैदर’

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विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में बदला, राजनीति, रोमांस, आतंकवाद जैसे सारे तत्व कहानी में मौजूद हैं.

‘फ़ना’

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आमिर खान और काजोल स्टारर ये फ़िल्म एक नेत्रहीन लड़की और एक आतंकवादी के बीच के रिश्तों पर आधारित थी. फ़िल्म के गानों के साथ उसकी शायरियां भी काफ़ी हिट हुई थीं.

‘फ़ितूर’

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ये मूवी चार्ल्‍स डिक्‍सन के नॉवेल ‘द ग्रेट एक्‍सपेक्‍टेशन्‍स’ से प्रेरित हो कर बनाई थी. इसमें एक ऐसे यतीम लड़के की कहानी को दिखाया गया, जिसे एक अमीर और निर्मम स्‍वभाव की लड़की से बेइंतिहा मोहब्बत हो जाती है.

10. दिल्ली

‘पिंक’

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ये फ़िल्म लड़कियों के चरित्र पर उठाये जाने वाले सवाल और पुरुषवादी मानसिकता के खिलाफ़ एक कड़ा संदेश देती है.

‘नो वन किल्ड जेसिका’

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ये फ़िल्म दिल्ली के बहुचर्चित हत्याकांड जेसिकालाल हत्याकांड पर बनाई गई एक थ्रिलर मूवी थी, जो शुरुआत से लेकर आखिर तक दर्शकों को बांध कर रखती है.

‘तितली’

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इस फ़िल्म में दिल्ली के ऐसे परिवार की कहानी को दर्शाया गया है, जो काफ़ी अव्यवस्थित है और उनके घर का रास्ता बेहद तंग गलियों से होकर गुज़रता है. मूवी देखने के बाद शायद इसकी कहानी को दिमाग़ से निकाल पाना काफ़ी मुश्किल है.

‘खोसला का घोसला’

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ये फ़िल्म उन तमाम हिंदुस्तानियों की ज़िंदगी को दर्शाती है, जो अपनी छोटी सी जमा पूंजी से अपना एक घर बनाने का सपना देखते हैं.

‘हिंदी मीडियम’

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भूषण कुमार द्वारा निर्मित इस फ़िल्म के मुख़्य कलाकार इरफ़ान ख़ान और सबा कमर हैं. ‘हिंदी मीडियम’ में बेहद ही कॉमिक अंदाज में शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार को दिखाया गया है.

11. बिहार

‘गंगाजल’

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प्रकाश झा के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में अजय देवगन एक पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका में थे, जो वहां की जनता को हमेशा भ्रष्टाचार और बुराई से लड़ने के लिए प्रेरित करता है.

‘मांझी : द माउंटेन मैन’

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इस फिल्म की कहानी दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित है, जिसका निर्देशन केतन मेहता ने किया था. इसके मुख़्य कलाकार नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और राधिका आप्टे थे.

12. वेस्ट बंगाल

‘कहानी’

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विद्या बालन स्टारर ये फ़िल्म रहस्य, रोमांस और ड्रामा से भरपूर है. इसके साथ ही इसका स्क्रीनप्ले भी काफ़ी बारीकी से लिखा गया था.

‘बर्फ़ी’

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रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा स्टरर इस फ़िल्म में प्रियंका ने ऑटिस्टिक लड़की का किरदार निभा सबका दिल जीत लिया. इसके साथ ही मूवी का संगीत भी काफ़ी हिट रहा था.

‘डिटेक्टिव बोमेश बख़्शी’

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ये फ़िल्म भारत का पहला सच नीले जासूसी के प्रारंभिक कारनामे पर आधारित है, जिसमें सुशांत राजपूत मुख़्य भूमिका में थे और डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी थे.

13. हरियाणा

‘दंगल’

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अगर एक लाइन में इस फ़िल्म की कहानी को बयां को करना हो, तो यही कहेंगे कि म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं है. इसमें ऐसे समाज की स्थित को दिखाया गया है, जहां स्त्री अपनी भूमिका को सार्थक सिद्ध करने का संघर्ष कर रही है.

‘एनएच 10’

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‘एन एच 10’, 2015 में आई एक भारतीय क्राइम थ्रिलर फ़िल्म है, जिसका निर्देशन नवदीप सिंह द्वारा किया गया है. इसके साथ अनुष्का शर्मा ने प्रोडक्शन में अपना डेब्यू किया भी था.

14. मुंबई/महाराष्ट्र

‘सैराट’

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ये एक मराठी फ़िल्म है, जिसमें हर इंसान की नाकामयाबी को दर्शाया गया है. यूं समझ लीजिये इसकी कहानी कुछ तेरी, तो कुछ मेरी है.

‘द लंचबॉक्स’

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‘लंच बॉक्स’ कहानी है दो अजनबियों की. इसमें मुख्य किरदारों में एक युवा महिला गृहिणी इला और रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़ा साजन फर्नांडिस हैं.

‘ब्लैक फ़्राइडे’

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1993 मुंबई ब्लास्ट पर बनी अनुराग कश्यप ने फ़िल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ के ज़रिये आतंक के ख़ौफ़नाक मंजर बड़े पर्दे पर काफ़ी शानदार तरीके से पेश किया है.

‘लव पर स्क्वायर फ़ुट’

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ये एक ऐसी ऑनलाइन फ़िल्म है, जिसने मुंबई महानगरी के परिप्रेक्ष्य को दिखा कर दर्शकों का दिल जीत लिया. इस मूवी में आपको भारत में सिनेमा की बदलती तस्वीर की झलक दिखेगी.

‘टैक्सी नंबर 9211’

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2006 में मिथुन लुथरिया की इस फ़िल्म में नाना पाटेकर और जॉन अब्राहम की जोड़ी ने दर्शकों का जीत लिया. फ़िल्म आम आदमी की ज़िंदगी पर आधारित है.

देखा आपने इन छोटे-बड़े राज्यों पर आधारित कितनी सुपरहिट फ़िल्में बनाई जा चुकी हैं. फ़िल्मों से जुड़ी ये जानकारी अगर पसंद आई, तो हमें कमेंट बॉक्स में जाकर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं.