इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री (Indian Film Industry) एक ऐसी दुनिया है जहां बहुत कम लोगों का नाम उनके काम से होता है. आज नज़र डाले तो इस इंडस्ट्री में ‘नाम’ की वजह से ही लोगों को ‘काम’ मिलता है. प्रतिभा होने के बावजूद काम नहीं मिलना, नेपोटिज़्म, कास्टिंग काउच (Casting Couch) जैसे तम के तले पल रही इस इंडस्ट्री में कई रौशनी की किरणें हैं जिन्होंने इस इंडस्ट्री को अंधेरे में जाने से बचाकर रखा है. 
ये कुछ ऐसे नाम हैं, जो नाम कमाने के पीछे नहीं भागे और अपने काम से दुनिया में नाम भी कमा ही लिया. ऐसे ही एक निर्देशक, फ़िल्म निर्माता हैं, नागेश कुकुनूर. 
इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रतिभाशाली निर्देशकों में से एक नागेश कुकुनूर का नाम हम में से बहुत से लोग नहीं जानते लेकिन उनकी फ़िल्मों को हम अच्छे से जानते हैं, ‘डोर’, ‘इक़बाल’ जैसे ट्रेज़र्स Treasures) को देखकर ग़ैर-बॉलीवुड प्रेमी भी बॉलीवुड को एक्स्प्लोर (Explore) करने पर मजबूर हो जायेगा. 

नागेश कुकुनूर उन गिने-चुने निर्माताओं में से हैं जो कहानी कहने में यक़ीन रखते हैं और जिन्हें स्टार्स, सेलेब्स से कम ही मतलब होता है. नागेश कुकुनूर के बारे में लिखते या सोचते हुये अनायास ही सत्यजीत रे भी याद आ जाते हैं जिन्होंने अपने किरदार कैसे ढूंढे इसके क़िस्से दुनियाभर के फ़िल्म इंडस्ट्रीज़ में चर्चित हैं. दोनों का कोई कंपेरिज़न नहीं हो सकता, दोनों अपने-अपने दौर के तीस मार खां हैं लेकिन दोनों में एक बाद कॉमन है वो है रियल लाइफ़ (Real Life) को रील लाइफ़ (Reel Life) पर हुबहु उतारने की इच्छा, ललक. 

नागेश कुकुनूर की फ़िल्में ऐसी होती हैं कि उन्हें एक बार देखकर आप चुप नहीं बैठ सकते, आपको तुरंत ही उसी फ़िल्म को दोबारा देखने मन हो जायेगा. किरदारों की एक्टिंग हो या जानदार म्यूज़िक. 
ग़ौरतलब है कि नागेश कुकुनूर को बॉलीवुड वो सम्मान नहीं दे पाया जिसके वो हक़दार हैं. ये ज़िम्मेदारी दर्शकों पर आती है.
नागेश कुकुनूर की 7 फ़िल्में जो साबित करते हैं कि वो एक बेहतरीन स्टोरीटेलर (Storyteller) हैं- 

1. Hyderabad Blues, 1998 

Amazon

कुकुनूर ने कई साल USA में काम किया. 1998 में उन्होंने अंग्रेज़ी-तेलुगू फ़िल्म Hyderabad Blues बनाई. ये कहानी थी एक NRI की जो सालों बाद अपने शहर, हैदराबाद लौटता है. The News Minute के एक लेख के अनुसार इस फ़िल्म में CBFC ने 91 कट्स लगाये थे. ये फ़िल्म 17 दिनों में 17 लाख के बजट में बनाई गई थी.   

2. Rockford, 1999 

The Indian Express

स्कूल लाइफ़ (School Life) की प्यारी सी कहानी है Rockford. 1999 में आई ये फ़िल्म अपने समय से काफ़ी आगे की फ़िल्म थी. इस फ़िल्म में Maturely ऐसे टॉपिक्स पर बात की गई जिन पर आज भी कई फ़िल्में ढंग से बात नहीं कर पाती. आज भी युवाओं की बेहद पसंदीदा फ़िल्मों से एक है. ‘आसमां के प्यार शायद और कोई आसमां होगा’ गाना Indian Idol से अति Famous ज़रूर हुआ लेकिन ये गाना इस फ़िल्म में था. इस फ़िल्म का एक और गाना था, ‘यारों दोस्ती बड़ी ही हसीन है’ और ये गाना अनंत काल तक बेस्ट फ़ेयरवेल सॉन्ग (Farewell Song) रहेगा. इस फ़िल्म की शूटिंग 32 दिनों में पूरी हो गई थी.  

3. 3 दीवारें, 2003 

Fix Watch

लाइफ़ ड्रामा के 3 निवालों के बाद कुकुनूर ने क्राइम फ़िल्म (Crime Film) बनाकर एक नया एक्सपेरिमेंट किया. इस फ़िल्म में कहानी है 3 क़ैदियों की जिनको फांसी होने वाली है. एक ग़ुस्सैल है और ख़ुद को बेग़ुनाह बताता है, एक अपने अपराध पर Guilt Feel नहीं करता और तीसरा Guilt से इतना भरा हुआ है कि वो जल्द से जल्द फांसी चाहता है. इन तीनों की ज़िन्दगी में आती है एक महिला फ़िल्ममेकर. इस फ़िल्म को अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर तारीफ़ें मिली और कुकुनूर को बेस्ट स्टोरी के लिये फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड भी मिला.  

4. इक़बाल. 2005 

Zee5

क्रिकेट और भारत का अटूट रिश्ता है. इक़बाल कहानी है एक मूक-बधिर और बेहद प्रतिभाशाली गेंदबाज़ इक़बाल की. क्राइम ड्रामा के बाद कुकुनूर ने एक स्पोर्ट्स ड्रामा (Sports Drama) डायरेक्ट किया. ये फ़िल्म कुकुनूर को सभी के नज़रों में ले आई. कुकुनूर ने चमक-धमक, मिर्च-मसाला, अति की ड्रामेबाज़ भरी फ़िल्मी कहानियों वाली दुनिया में कुछ ऐसा बना डाला था जिो मील का पत्थर साबित हुई. कुकुनूर ने श्रेयस तलपड़े को ऊंची उड़ान के लिये पंख दे डाले. इस फ़िल्म के लिये कुकुनूर को नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड फ़ॉर बेस्ट फ़िल्म ऑन अदर सोशल इश्यूज़ का अवॉर्ड दिलाया.  

5. डोर, 2006 

Word Press

कुकुनूर के दिमाग़ की एक और उपज जिसे आप जितनी बार देखेंगे आपको कुछ नया ज़रूर मिलेगा. बंदीश, आज़ादी, अफ़सोस, प्रेम भाव, दोस्ती आदि, इस फ़िल्म में मानवीय भावनाओं पर बात की गई है. सबसे बेहतरीन चीज़ ये फ़िल्म कहानी है दो महिलाओं की, दो औरतें जो अलग परिवारों से हैं, अलग रीतियों से घिरी हैं और किस तरह ये दोनों एक-दूसरे को ‘आज़ाद’ करवाती हैं, ये कहानी न सिर्फ़ कई प्रश्न खड़े करती है बल्कि कई जवाब भी देती है.  

6. लक्ष्मी, 2014 

Bollywood Film Critic

Child Trafficking पर बनी ये फ़िल्म आपको ग़ुस्सा दिलायेगी, रुलायेगी, आप कुछ सीन्स में आंखें बंद करने, लैपटॉप/टीवी बंद करने पर भी मजबूर होंगे लेकिन ये फ़िल्म हर एक को देखनी चाहिये. क्या बकवास है, नहीं? इस फ़िल्म में गायिका, मोनाली ठाकुर ने ‘लक्ष्मी’ का किरदार निभाया है और यक़ीन मानिये मोनाली ने डेब्यू फ़िल्म में ही रोल के साथ जस्टिस किया. सच में कुकुनूर की आंखें जौहरी ही हैं! India Today की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये फ़िल्म, आंध्र प्रदेश में Child Prostitution के पहले Convicted Case पर आधारित है.  

7. धनक, 2016 

Variety

धनक यानि इंद्रधनुष. ये कहानी है 2 बच्चे और SRK की. ताम-झाम, दिलजले आशिक़, ग़ैरज़रूरी डांस नंबर्स की फ़िल्म दुनिया में धनक बसंत की हवा सी है. शायद ही किसी निर्देशक का निर्देशन इतनी सारी भावनाओं को एकसाथ गूंथकर परोस सकता है. ये कहानी है 10 साल बच्ची परी और उसके 8 साल के भाई, छोटू की. छोटू के ऑपरेशन के लिये परी और छोटू 300 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकल पड़ते हैं, SRK से मिलने, छोटू के आंखों के ऑपरेशन के लिये फ़ंड्स की आशा में. इन दोनों बच्चे का अभिनय आज के कई मशहूर सेलेब्स को कड़ी टक्कर दे सकता है.  

नागेश कुकुनूर की फ़िल्मों की भाषा हो या म्यूज़िक, एकदम अलग होते हैं. एक लेख के मुताबिक़, Hyderabad Blues में उन्होंने असल हैदराबादी उर्दू में डायलॉग्स दिखाये. उनकी फ़िल्मों में कई तरह की भाषायें सुनने को मिलती है और डायलॉग्स काफ़ी रियल होते हैं. कुकुनूर की कहानियां न सिर्फ़ आंखों को लुभाती हैं बल्कि आपकी ज़िन्दगी में भी विशेष प्रभाव छोड़ जाती हैं.