कहा तो ये जाता है कि बॉलीवुड में कोई हीरो या हीरोईन किसी की दोस्त नहीं होती है, लेकिन 70 के दशक की दो मशहूर एक्ट्रेस मीना कुमारी और नरगिस दत्त बहुत अच्छी दोस्त थीं. दोनों ने ही अपनी फ़िल्मों और अपने अंदाज़ से हिंदी सिनेमा में अमिट पहचान बनाई है. अपने करियर की शुरुआत ‘बच्चों का खेल’ फ़िल्म से करने वाली मीना कुमारी ने कई हिट मूवी दीं और बहुत छोटी उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया और उनको दुनिया से जाने के लिए उनकी सबसे अच्छी दोस्त नरगिस ने एक लेख लिखकर मुबारक़बाद दी. आख़िर क्यों नरगिस ने वो लेख लिखा? आइए जानते हैं.

ये भी पढ़ें: आख़िर ऐसा क्या हुआ था जो प्रधानमंत्री लाल बहादुर को मीना कुमारी से मांगनी पड़ी थी माफ़ी?

दरअसल, मीना कुमारी और नरगिस की दोस्ती ‘मैं चुप रहूंगी’ के सेट पर हुई थी. तभी से दोनों बहुत अच्छी दोस्त हो गई थीं. मीना कुमारी नरगिस को बाजी कहकर बुलाती थीं. मीना कुमारी से जुड़े एक क़िस्से को याद करते हुए नरगिस ने लिखा था, 

‘मैं चुप रहूंगी’ के दौरान सुनील साहब ने मुझे सेट पर बच्चों के साथ बुलाया था, जब मैं उनके साथ डिनर पर गई तो मीना ने ही संजय और नम्रता का ख़्याल रखा था.

-नरगिस दत्त

इतनी अच्छी दोस्त होते हुए भी नरगिस ने मीना कुमारी को श्रद्धांजलि देते हुए एक नोट लिख, जो एक उर्दू मैगज़ीन में पब्लिश हुआ था. इसमें नरगिस ने लिखा था,

ये दुनिया तुम्हारे जैसे लोगों के लायक नहीं है. मौत मुबारक़ हो. मैंने ये बात पहले कभी तुमसे नहीं कही, लेकिन मीना आज तुम्हारी बाजी तुम्हें मुबारक़बाद देते हुए कहते है कि इस दुनिया में दोबारा कभी मत आना.

-नरगिस दत्त

telegraphindia

मीना कुमारी के बारे में बात करते हुए नरगिस ने आगे कहा, जिससे शायद ये पता चल जाएगा कि नरगिस ने आख़िर क्यों उन्हें मौत की मुबारक़बाद दी.

एक रात की बात है जब मैंने मीना को बगीचे में हांफ़ते हुए देखा. तब मैंने उनसे कहा कि आराम कर लिया करो तो उन्होंने मुझसे कहा बाजी आराम मेरी क़िस्मत में नहीं है. मैं केवल एक बार ही आराम करूंगी. उस रात मैंने मीना के कमरे से मार-पीट और लड़ाई झगड़े की आवाज़ें भी सुनी थी, फिर जब मुझे वो सुबह मिलीं तो उनकी आंखें सूजी हुई थीं.

-नरगिस दत्त

theprint

ये भी पढ़ें: 52 फ़िल्में की, मगर हर रोल इतना दमदार कि दुनिया उसे बॉलीवुड की मदर इंडिया कहने लगी. नाम नरगिस दत्त

नरगिस ने मीना कुमारी के बारे में लेख में आगे बताया, कुछ वक़्त बीत गया तब मुझे पता चला कि मीना कमाल साहब के घर से चली गई हैं क्योंकि उनकी बकर से बहुत बड़ी लड़ाई हुई थी, जिसके बाद वो वापस नहीं आई. बकर, जो कमाल अमरोही के सचिव थे. मीना कुमारी को शराब पीने की लत थी, जिसके चलते उनके फेफड़े खराब हो गए थे और वो नर्सिंग होम भर्ती थीं, जब मैं उनसे नर्सिंग होम में मिलने पहुंची तो उन्होंने कहा,

बाजी, मेरे सब्र की भी एक सीमा है. कमाल साहब के सचिव ने मेरे ऊपर हाथ कैसे उठाया, जब मैंने उनसे शिकायत की तो उन्होंने कुछ भी नहीं किया. इसलिए मैंने तय कर लिया है कि मैं वापस नहीं जाऊंगी.

आपको ता दें कि, मीना कुमारी का निधन साल 1972 में महज़ 39 साल की उम्र में हो गया था. साथ ही नरगिस भी अब इस दुनिया में नहीं है, उन्होंने साल 1981 में 52 साल की उम्र में कैंसर के चलते दुनिया को अलविदा कह दिया था.