जब सबकी ज़रुरतें एक समय में एक ही जैसी हो, तो उस समय होने वाले साझा काम काफ़ी आसानी से हो जाते हैं. किस्मत की रेस में एक ही ट्रैक पर दौड़ रहे खिलाड़ियों की तरह ही बॉलीवुड फ़िल्म ‘हरामखोर’ की कहानी है. आज के समय में यह फ़िल्म महज़ 1 करोड़ की लागत में बन कर तैयार हो गई है. इससे भी ख़ास बात यह रही कि इस फ़िल्म के लिए वर्तमान दौर के हिंदी सिनेमा के सबसे टैलेंटेड कलाकारों में से एक नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने महज 1 रुपया मेहनताने के तौर पर लिया है.

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गौरतलब है यह फ़िल्म काफ़ी समय से सेंसर बोर्ड से पास नहीं हो पा रही थी. हाल ही में सेंसर बोर्ड ने इसे ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट दे कर पास किया है. बोर्ड से स्वीकृति मिलते ही प्रोड्यूसर गुनित मोंगा इसे जल्द से जल्द रिलीज़ करने की तैयारी में लग गये. फ़िल्म से जुड़े राइट्स बेच कर गुनित पहले ही मुनाफ़ा कमा चुके हैं. अब फ़िल्म का अगर एक भी टिकट सिनेमाघर की खिड़की पर बिकेगा, तो वो सीधे तौर पर मुनाफ़े में ही गिना जायेगा.

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नवाज़ उन कलाकारों में से हैं, जो फ़िल्म को पैसे से ज़्यादा उसकी कहानी को देख कर सलेक्ट करते हैं. इस छोटे बजट की फ़िल्म को करने के पीछे भी उनका यही कारण था. यह फ़िल्म एक शिक्षक और उसकी 15 साल की छात्रा (श्वेता त्रिपाठी) के रिश्तों की कहानी बयां करती है.

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इस फ़िल्म के लिए नवाज़ ही नहीं, बल्कि कई लोगों ने भी या तो पैसे नहीं लिए हैं या फिर काफ़ी कम पैसों पर काम किया है. ऐसे में फ़िल्म के प्रोड्यूसर ने कहा है कि हम नवाज़ को फ़िल्म के द्वारा की जाने वाली कमाई में से हिस्सा देंगे.

बॉलीवुड फ़िल्म इंडस्ट्री में दुनिया की किसी भी फ़िल्म इंडस्ट्री से ज़्यादा फ़िल्में बनती हैं. हर शुक्रवार को सिनेमाघरों की खिड़कियों पर फ़िल्मों के शौकीन कतारों में पहुंच जाते हैं. इस इंडस्ट्री में जितना जलवा बड़े कलाकारों के नाम के साथ आने वाली फ़िल्मों का है, उतना ही जलवा अच्छी कहानी और दमदार एक्टिंग के साथ आने वाले नये और छोटे कलाकारों की फ़िल्मों का भी है और ‘हरामखोर’ भी उनमें से एक है.