सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद से सुसाइड, मानसिक स्वास्थ्य जैसी गंभीर समस्याओं की तरफ़ फिर से लोगों का ध्यान गया है. देर से ही सही मानसिक स्वास्थ्य, मेंटल वेलबींग पर बातचीत हो रही है.
Hindustan Times को दिए एक इंटरव्यू में नवाजु़्द्दीन सिद्दीक़ी ने ये बात स्वीकारी कि वो डिप्रेशन के शिकार थे. जब उनके पास काम या पैसे नहीं थे तब उन्हें लगता था मानो वो ‘मरने वाले’ हैं.
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मैं हमेशा मज़दूरों के जैसी मेहनत करने की हिम्मत रखता हूं. मुझे नहीं लगता कि मैं उनसे बड़ा हूं. मेरी भी वही ख़्वाहिशें थीं जो उनकी होती हैं. मेरा स्टार बनने का सपना नहीं था. मैं छोटी-मोटी नौकरियां करता था और खाने के लिए दोस्त के घर तक पैदल जाता था. वो मुश्किल दौर था पर हम ख़ुश थे. पर हां काम की कमी की वजह से मैं डिप्रेस्ड था. जब आप बड़ा सोचने लगते हो तब डिप्रेशन और फ़्रस्ट्रेशन शुरू होता है.
-नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी
नवाजु़्द्दीन का कहना था कि जब लोग बड़े चैलेंजिज़ लेते हैं तब उन्हें अवसाद होने का ज़्यादा चांस रहता है.
सफ़लता, ख़ुशियों की गारंटी नहीं है. अगर ख़ुश रहना आपका नेचर नहीं है तो दुनिया क़दमों में होने पर भी आप नाख़ुश होंगे.
-नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी
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नवाज़ुद्दीन ने आगे बताया कि क्योंकि वो ठीक से खा-पी नहीं रहे थे इसलिए उनक बाल झड़ने लगे, 2 किलोमीटर चलते ही वे थक जाते थे.
मुझे ऐसा लगता था कि मैं जल्द ही मर जाऊंगा. इसलिए मैं सारा दिन बाहर रहता था ताकि दुनिया को देख सकूं क्योंकि मुझे नहीं पता था कि मैं कितने दिन ज़िन्दा रहूंगा.
-नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी
नवाज़ुद्दीन के अलावा कई स्टार्स ने भी अपने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातें शेयर की हैं.
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