आहत होना बहुत आसान है. आप चाहें, तो हर बात आपको आहत कर सकती है. इसके लिए कुछ ख़ास नहीं करना होगा. बस शब्दों को पकड़ना शुरू कर दीजिए, भावनाओं को चुल्हे-भाड़ में जाने दीजिए. ऐसे आप दिन भर में कम से कम सत्तर से सौ बार आहत हो सकते हैं.

सआदत हसन मंटों ने अपनी कहानियों में अपने समय की बहुत ही कड़वी बातें कही हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं. लाज़मी है, जब देखा बुरा है, तो शब्दों को चाशनी में डुबो कर कैसे पेश कर दें! जैसा देखा, वैसा लिखा. मंटो के इस मिज़ाज से लोगों को बड़ा एतराज़ था. कहते थे, मंटो तो एक अश्लील लेखक है.

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निर्देशक नंदिता दास मंटो के जीवन पर आधारित एक फ़िल्म लेकर आ रही हैं. लेकिन उससे पहले फ़िल्म के एक टुकड़े को लघु फ़िल्म के रूप में पेश किया है. इस लघु फिल्म का नाम है- In Defence of Freedom. फ़िल्म के इस अंश को India Today Conclave के India Tomorrow के बैनर तले लॉन्च किया गया है.

इस सीन में मंटो लेक्चर दे रहे हैं और अपने चर्चित बेबाक अंदाज़ में ख़ुद को रख रहे हैं. नवाज़उद्दीन सिद्दकी से बेहतर शायद ही कोई मंटो को दोबारा से रच पाता.

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