Oscar Winner Documentary ‘The Elephant Whisperers’: 95th ऑस्कर अवार्ड्स (Oscar Awards 2023) में तमिल डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स‘ को बेस्ट डॉक्यूमेंटरी शॉर्ट फ़िल्म का अवॉर्ड मिला है. जो भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है. साथ ही ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ ऑस्कर जीतने वाली किसी भारतीय फिल्म निर्माता की पहली भारतीय फिल्म बन गई है. मतलब कि इस मूवी ने इतिहास रच डाला है.
इस फ़िल्म को कार्तिकी गोंसालविज़ ने निर्देशित और गुनीत मोंगा ने प्रोड्यूस किया है. इस फ़िल्म को इसकी खूबसूरत कहानी और नज़रिये की वजह से ऑस्कर मिला है. जिसमें एक बुजुर्ग कपल ख़ूबसूरती से एक अनाथ (जंगली) हाथी की सेवा करते हैं. इसी सफ़र को फ़िल्म में बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है. चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इस फ़िल्म के बारे में बारे में विस्तार से बताते हैं.
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क्या है Oscar-Winning फ़िल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स‘ की कहानी-
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दिल को छूने वाली इंडियन-अमेरिकन शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म एक खूबसूरत साउथ इंडियन कपल Bomman और Bellie के बारे में बताती है. जो अपना सारा जीवन एक अनाथ हाथी (रघु) को पालने में गुज़ार देते हैं. साथ ही इस डॉक्यूमेंट्री में न सिर्फ़ रघु की कहानी बल्कि आपको भारत की अतुल्य सुंदरता और प्राकृतिक परिवेश के बारे में भी देखने को मिलेगा. जो तमिल नाडु के मुदुमलाई नेशनल पार्क में स्थित है. साथ ही हाथियों की दुर्दशा को लेकर भी इसमें ज़िक्र किया गया है.
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भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण
इस शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री में आपको जानवरों के प्रति निस्वार्थ प्रेम दिखता है. कैसे वहां के ट्राइबल लोग ख़ुशी से अपना जीवन प्रकृति और जानवरों के साथ गुज़ारते हैं. इंसान और जानवर के खूबसूरत रिश्ते के अलावा, इस फ़िल्म में भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के इतिहास के बारे में भी दिखाया गया है.
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कहा जाता है कि किसी इंसान या जानवर का ध्यान रखना कोई आसान काम नहीं होता है. उनका केयर करना बहुत ही मुश्किल काम होता है. ट्राइबल कम्युनिटी को अपने पर्यावरण से बहुत प्यार होता है. जो कार्तिकी के इस फ़िल्म में दिखाया है. बोमन रघु को उसी तालाब में नहलाता है, जहां वो खुद नहाता है. बेल्ली रघु को ठीक उसी तरह हाथों से खाना खिलाती है, जैसे वो अपने बच्चे को खिलाती. उनकी इसी प्रेम की कारण रघु की हालत ठीक हुई. और रघु भी इनको उतना ही प्यार करता है.
39 मिनट की फ़िल्म को बनाने में लगे 5 साल
एक इंटरव्यू के दौरान गीता ने बताया कि इस फ़िल्म को बनने में कुल 5 साल लगे. उन्होंने बताया ‘कार्तिकी इस प्रोजेक्ट से 5 साल से जुड़ी हैं और मैं इसके साथ साढ़े तीन साल से हूं, और Netflix आख़िरकार इस प्रोजेक्ट पर आ गया और हमने फिल्म बनाई”
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गीता ने बताया – “इसमें थोड़ा समय लगा क्योंकि हमारे पास 450 घंटे के फुटेज थे, जंगल के बहुत सारे शॉट्स. यह एक पवित्र कहानी है, जिसे बनाने में समय लगता है. क्योंकि इसमे सब कुछ वास्तविक है. तो इस पर हमारी यात्रा रही, कार्तिकी को यह कहानी मिली,” इसका श्रेय उन्हें जाता है और मुझे एक महिला निर्देशक का समर्थन करने में बहुत खुशी हुई.”
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ये शॉर्ट फ़िल्म नेटफ़्लिक्स (Netflix) पर 8 दिसंबर 2022 को रिलीज़ हुई थी. जो केवल 39 मिनट की फ़िल्म है. जिसे आप आराम से अपने परिवार के साथ देख सकते हैं.